'पीरियड फ्री' कैंपेन चलाकर भारतीय लड़की ने अमेरिका में जीता 'ऑस्कर'
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'पीरियड फ्री' कैंपेन चलाकर भारतीय लड़की ने अमेरिका में जीता 'ऑस्कर'

अमिका के अलावा ये सम्मान इस साल ईराक की नादिया मुराद और केन्या के दिसमस किसिलु को दिया गया है.

'पीरियड फ्री' कैंपेन चलाकर भारतीय लड़की ने अमेरिका में जीता 'ऑस्कर'

न्यूयॉर्क : एक भारतीय लड़की ने अमेरिका में एक शानदार कामयाबी अपने नाम की है. 18 वर्षीय अमिका जॉर्ज ने अपने 'पीरियड फ्री कैंपेन' के लिए ऑस्कर जीता. नाम सुनकर आप चौंक सकते हैं. लेकिन इससे पहले कि आप कोई और अंदाजा लगाए हम आपको बता दें कि अमिका को गोलकीपर ग्लोबल अवॉर्ड दिया गया. इसे सामाजिक क्षेत्र का ऑस्कर सम्मान कहा जाता है. दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स का फाउंडेशन ये गोलकीपर ग्लोबल अवॉर्ड देता है. इस साल ये अवॉर्ड तीन लोगों को मिला है. इसमें एक भारतीय मूल की लड़की अमिका जॉर्ज हैं.

अमिका के अलावा ये सम्मान ईराक की नादिया मुराद, केन्या के दिसमस किसिलु को दिया गया है. ईराक की नादिया मुराद यजीदी लड़की हैं, जिन्होंने आईएस के प्रभाव वाले क्षेत्र से बचकर निकली हैं. वहीं 28 वर्षीय केन्या के किसिलु ने केन्या के किसानों के लिए एनर्जी के दूसरे विकल्पों को उपलब्ध कराया है. ये सम्मान न्यूर्याक में मंगलवार की रात दिए गए. अमिका को ये सम्मान उनके पीरियड फ्री कैंपेन के लिए दिया गया. जो उन्होने ब्रिटेन में 2017 में चलाया था.

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अमिका उस समय चर्चा में आईं, जब उन्होंने दिसंबर 2017 में पीरियड फ्री कैंपेन चलाया. इस प्रदर्शन में उनके साथ 2000 लोग शामिल हुए. इसमें अमिका ने मांग की कि गरीब लड़कियों को स्कूलों में सैनेटरी पैड फ्री में दिए जाएं. गोलकीपर अवॉर्ड को बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने 2017 में शुरू किए थे. इसमें उन लोगों को सम्मान दिया जाता है, जिन्होंने सामाजिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए हों. इस साल के कार्यक्रम में फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रों, विमेन एंड चिल्ड्रेन एक्टिविस्ट ग्रेसा माकल जैसे लोग शामिल हुए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मूल की अमिका मूलत: केरल से हैं. लेकिन उनका पूरा परिवार अब इंग्लैंड में रहता है. उन्होंने इस साल का कैंपेन अवॉर्ड अपने नाम किया. उनके इस कैंपेन को 15 लाख पाउंड का इनाम दिया गया. एक बातचीत में अमिका ने बताया कि पूरी दुनिया में ये एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते. 2017 में जब मैंने इस बारे में एक रिपोर्ट पढ़ी कि पीरियड्स के कारण कई लड़कियों को अपना स्कूल छोड़ना पड़ता है तब मैंने अपना कैंपेन शुरू किया.

अमिका के अनुसार, गरीब लड़कियां सेनेटरी पैड्स खरीद नहीं सकतीं. यहां तक कि ब्रिटेन में भी 10 में से एक लड़की ऐसी है, जो सैनेटरी पैड्स नहीं खरीद सकती. मैंने कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया था, लेकिन मैं हैरान थी, कि ब्रिटेन में भी ऐसा होता है. यहां पर कई गरीब लड़कियों को इन दिनों में पुराने कागज इस्तेमाल करने पड़ते हैं. मैं ये सोचकर और हैरान थी कि सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही है. इसके बाद अमिका ने ऑनलाइन अपना कैंपेन शुरू कर दिया. दिसंबर 2017 में डाउनिंग स्ट्रीट पर करीब 2000 लोगों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. इसमें अमिका का पूरा परिवार शामिल था.

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