Rhine River: यूरोप में गर्मी से हाहाकार, सूख गई 'लाइफलाइन', कारोबार पर पड़ी मार
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Rhine River: यूरोप में गर्मी से हाहाकार, सूख गई 'लाइफलाइन', कारोबार पर पड़ी मार

Summer Crisis in Europe: राइन नदी आलप्स पर्वत श्रेणियों से उत्तरी सागत तक 800 मील की लंबाई तक घुमावदार तरीके से बहती है.इस नदी के जरिए तेल के अलावा पूरे यूरोप के लिए अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं का व्यापार होता है. इसमें लौह अयस्क, कोयला और बजरी शामिल है.

Rhine River: यूरोप में गर्मी से हाहाकार, सूख गई 'लाइफलाइन', कारोबार पर पड़ी मार

Temperature in Summer: गर्मी से यूरोप का हाल बेहाल है. आलम ये है कि यूरोप की कारोबारी नब्ज कही जाने वाली राइन नदी का पानी गर्मी के मौसम में दो ही हफ्तों के भीतर सूख गया. राइन नदी के सूखने की वजह से व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. 

जर्मनी की अंतर्देशीय जलमार्ग एजेंसी के मुताबिक, अच्छी बारिश नहीं होने की वजह से काब (फ्रैंकफर्ट के करीब) में एक अहम चोकपॉइंट पर पानी का लेवल 16 जून को 1.43 मीटर के नीचे चला गया. यह पिछले 20 साल में सबसे कम स्तर है. एजेंसी ने अनुमान लगाया कि मंगलवार (20 जून) तक पानी का स्तर 16 सेमी और गिर सकता है. यह मौसम के पैमानों से काफी कम है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष अगस्त के महीने में इस नदी के पानी का स्तर निचले बिंदु से करीब 30 सेमी तक चला गया था. इस वजह से यूरोप में हाहाकार मच गया था.

कारोबार पर पड़ी मार

रिवरलेक के एक ब्रोकर की माने तो नदी में पानी कम होने के कारण काब से आगे डीजल से चलने वाली नावों को अगर आगे जाना है, तो वे अपनी क्षमता का 60 प्रतिशत लोड लेकर ही जा रही हैं. इस वजह से स्विट्जरलैंड समेत अपस्ट्रीम इंपोर्टर्स की सप्लाई में रुकावट पैदा कर रहा है. अब जो कारखाने उत्तरी सागर के बंदरगाहों पर स्थित हैं, वहां कच्चे माल की सप्लाई में मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.

राइन नदी आलप्स पर्वत श्रेणियों से उत्तरी सागत तक 800 मील की लंबाई तक घुमावदार तरीके से बहती है.इस नदी के जरिए तेल के अलावा पूरे यूरोप के लिए अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं का व्यापार होता है. इसमें लौह अयस्क, कोयला और बजरी शामिल है.

पिछले साल भी गिरा था जलस्तर

जब पिछले साल राइन नदी का जलस्तर गिरा था, तब कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ था. बताया जा रहा है कि हालात पिछले साल की तुलना में इस साल और मुश्किल भरे हो सकते हैं. हालांकि इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के मुताबिक, जून के आखिरी हफ्ते में थोड़ी बारिश हो सकती है, जो कुछ हद तक पानी की गिरावट को रोक सकती है.  लेकिन जुलाई के आखिरी में नदी में प्रवाह की स्थिति में कोई सुधार आएगा, इसकी उम्मीद नहीं है.

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