China US Garlic Conflict: चीन तो चीन उसके लहसुन को भी अमेरिकी सीनेटर ने खतरनाक बता दिया है. सीनेटर खत लिखकर बाइडेन सरकार को सावधान किया है और जांच की मांग की है.
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Chinese Garlic National Security: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से खींचतान चली आ रही है. चाहे बात व्यापार की हो या हिंद-प्रशांत महासागर में धाक जमाने की, दोनों एक-दूसरे को सुनाने में कभी नहीं चूकते हैं. लेकिन अब अमेरिका-चीन के बीच एक नई बात पर तनातनी शुरू होने के आसार हैं. दरअसल, अमेरिकी सीनेटर रिक स्कॉट ने चीन के लहसुन को नेशनल सिक्योरिटी के लिए रिस्क बता दिया है. उन्होंने दावा किया है कि चीन से अमेरिका आने लहसुन खतरनाक है. चीन में लहसुन मल के पानी में उगाया जा रहा है. आइए समझते हैं कि ये पूरा मामला क्या है.
चीन के लहसुन पर क्यों भड़के सीनेटर?
चीन से अमेरिका में इम्पोर्ट होने वाले लहसुन पर अमेरिकी सीनेटर ने कहा कि चीनी लहसुन देश की सिक्योरिटी के लिए सही नहीं है. इस पर आगे बढ़ते हुए अमेरिकी सीनेटर ने बाइडेन सरकार से मांग की कि चीनी लहसुन से नेशनल सिक्योरिटी पर पड़ने वाले असर की जांच होनी चाहिए. और अगर लहसुन सच में मल के पानी में उगाया जा रहा है तो उसे बैन करना चाहिए.
अमेरिकी सीनेटर ने लिखी चिट्ठी
अमेरिकी सीनेटर रिक स्कॉट ने वाणिज्य मंत्री को इस संबंध में चिट्ठी भी लिखी है. खत में सीनेटर ने दावा किया कि चीनी लहसुन सेफ नहीं है. चीन में लहसुन गंदे तरीके से उगाया जा रहा है. लहसुन उगाने में मल के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. सीनेटर ने अलग-अलग तरह के लहसुन की जांच के बारे में कहा. उन्होंने साबुत, कलियां, छिले हुए, फ्रेश, फ्रोजन, पानी या दूसरे पदार्थ में पैक सभी तरह के लहसुन की जांच की मांग की है.
लहसुन पर तकरार है पुरानी
जान लें कि अमेरिका में सबसे ज्यादा लहसुन चीन से ही आता है. ये भी दिलचस्प है कि चीन लहसुन का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा कंज्यूमर है. अमेरिका पहले भी चीन पर आरोप लगाता रहा है कि ड्रैगन बेहद कम कीमतों पर उसको लहसुन भेजता है. वह अपने लहसुन को अमेरिका में खपा रहा है.
US-चीन की व्यापारिक दुश्मनी
गौरतलब है कि 90 के दशक में अमेरिका ने चीन के तमाम सामानों पर भारी-भरकम टैक्स लगा दिया था. जिससे कि अमेरिका के प्रोडक्ट्स की कीमतों को मार्केट में गिराना ना पड़े. फिर साल 2019 में ट्रंप सरकार ने इन टैरिफ को और ज्यादा बढ़ा दिया था. जिससे चीन और अमेरिका में व्यापार को लेकर टेंशन बढ़ गई थी.