Israel Hamas War: नेहरू की नीति, मोदी की ढाल! संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर चली वाली यूक्रेन वाली चाल
Advertisement
trendingNow11933436

Israel Hamas War: नेहरू की नीति, मोदी की ढाल! संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर चली वाली यूक्रेन वाली चाल

Gaza Humanitarian Aid: यूएन में इजरायल-फिलिस्तीन के बीच सीजफायर वाले प्रस्ताव पर भारत ने किसी का समर्थन नहीं किया. भारत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. आइए इसकी वजह के बारे में जानते हैं.

Israel Hamas War: नेहरू की नीति, मोदी की ढाल! संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर चली वाली यूक्रेन वाली चाल

UN Resolution On Gaza: इजरायल-हमास के बीच भीषण जंग जारी है. इजरायल (Israel) की चौतरफा घेरेबंदी की वजह से गाजा (Gaza) में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद भी मुश्किल से पहुंच पा रही है, जिसे लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में करीब 50 देशों ने सीजफायर और तुरंत मानवीय मदद पहुंचाने का प्रस्ताव पेश किया. बहस के बाद संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने इस प्रस्ताव को पास कर दिया. प्रस्ताव के पक्ष में 120 देशों ने वोटिंग की. जबकि 14 देशों ने खिलाफ में वोट डाला. वहीं, 45 देश ऐसे भी थे जिन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. वोटिंग में भारत ने भी भाग नहीं लिया. यहां भारत के काम देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीति आई. भारत गुट निरपेक्ष रहा. भारत ने किसी के पक्ष में वोट नहीं किया. जैसे आजादी के बाद भारत, अमेरिका या यूएसएसआर किसी के पाले में नहीं गया. गुट निरपेक्ष की नीति अपनाई. इससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध में भी भारत किसी एक की तरफ खड़ा नहीं दिखा था.

भारत ने वोटिंग में क्यों नहीं लिया हिस्सा?

गौरतलब है कि भारत ने जॉर्डन के प्रस्ताव को इसलिए सपोर्ट नहीं किया क्योंकि उसमें साफतौर से इजरायल पर हमास के आतंकियों के हमलों की निंदा नहीं की गई थी. हालांकि, भारत ने कनाडा के एमेंडमेंट का समर्थन किया. हालांकि, ये संशोधन पास नहीं हो पाया क्योंकि इसे दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला. कनाडा के संशोधन में इस प्रस्ताव में एक पैराग्राफ जोड़ने के लिए कहा गया था. जिसमें कहा गया था कि यूएन 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए हमास के आतंकी हमलों और बंधक बनाने की निंदा करता है. बंधकों की सुरक्षा की मांग करता है. यूएन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत बंधकों के साथ मानवीय व्यवहार और उनकी तत्काल बिना शर्त रिहाई की अपील करता है.

क्या है भारत का स्टैंड?

भारत ने भले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. लेकिन भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि युद्ध में मानवीय नुकसान से हिंदुस्तान काफी चिंतित है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि भारत लगातार बिगड़ते हालात और चल रहे युद्ध में लोगों की मौत से बहुत चिंतित है. भारत ने हमेशा इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के लिए बातचीत के जरिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है. दुनिया के देश गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने की बात कर रहे हैं. भारत दोनों पक्षों से जिम्मेदारी की अपील कर रहा है.

प्रस्ताव के पक्ष और खिलाफ में कौन-कौन?

अब ये भी जान लेते हैं कि किन देशों ने पक्ष में वोटिंग की और किन देशों ने खिलाफ में वोट डाले. तुर्की, फिलिस्तीन, मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने पक्ष में वोटिंग की. वहीं, अमेरिका, इजरायल, क्रोएशिया, ऑस्ट्रिया, पराग्वे और हंगरी जैसे देशों ने मसौदे के खिलाफ में वोटिंग की. संयुक्त राष्ट्र में गाजा में मानवीय मदद और शांति प्रस्ताव पास होने के बाद इजरायल की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है.

रुकने नहीं वाला है इजरायल

वहीं, इस प्रस्ताव पर इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र महासभा की सीजफायर की अपील को सिरे से खारिज करते हैं. इजराइल का इरादा हमास को वैसे ही खत्म करने का है जैसे दुनिया ने नाजियों और ISIS को मिटाया था. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने प्रस्ताव के मसौदे पर सवाल उठाया. उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े मंच से ये भी कहा कि इजरायल चुप नहीं बैठेगा.

वहीं, संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि 7 अक्टूबर से पहले गाजा में मानवीय मदद के लिए 450 ट्रक गाजा में जा रहे थे. लेकिन अब सिर्फ 12 ट्रक ही गाजा में एंट्री ले पा रहे हैं. यहां पीने के पानी और बिजली का भी संकट है, जिसे जल्द पूरा करना होगा. कुल मिलाकर गाजा की स्थिति बढ़ते दिन के साथ गंभीर हो रही है. गाजा से हमास के आतंकी रॉकेट दाग रहे हैं तो इजरायल भी हमास को दुनिया से मिटा देने के लिए आगे बढ़ चुका है और इसमें पिस रहे हैं गाजा के मासूम बच्चे, महिलाएं और निर्दोष लोग.

Trending news