IATA: असल में एयरपोर्ट कोड एक तरह का व्यावसायिक कोड होता है जो विमानक्षेत्र को पहचानने के लिए इस्तेमाल होता है. यह कोड व्यावसायिक संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होता है. आइए इसके बारे में समझते हैं.
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Airport codes: नोएडा में तैयार हो रहे एयरपोर्ट को हाल ही में अपना यूनिक कोड मिला तो इस कोड को लेकर कई चीजें चर्चा में आ गई हैं. नोएडा एयरपोर्ट को DXN कोड दिया गया है. आइए जानते हैं इस कोड का महत्त्व क्या है और यह कैसे काम करता है. DXN तब चर्चा में आया जब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए IATA) ने को तीन अक्षर का कोड डीएक्सएन प्रदान किया है. असल में किसी भी एयरपोर्ट को दो संस्थाओं द्वारा को कोड्स दिए जाते हैं. ये दो संस्थाएं IATA और संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नियमों के मुताबिक दुनियाभर के सभी एयरपोर्ट्स को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन यानी आएटा विशिष्ट कोड्स जारी करता है. संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन यानी आईसीएओ भी इसमें शामिल होती है. कोड्स का इस्तेमाल हवाईअड्डों की सटीक पहचान करने के लिए किया जाता है. तीन अंकों वाले IATA कोड का उपयोग यात्रियों के परिचालन के लिए किया जाता है- टिकट, बोर्डिंग पास, साइनेज आदि पर.
वहीं इसके सतह एक और कोड दिया जाता है जो ICAO द्वारा दिया जाता है. इस चार अंकों के कोड का उपयोग पायलट, हवाई यातायात नियंत्रक, योजनाकार आदि द्वारा किया जाता है. शुरुआती दौर में पहली बार 1930 के दशक में एयरपोर्ट कोडिंग शुरू की गई थी. उस समय एयरलाइंस और पायलट आमतौर पर गंतव्यों की पहचान के लिए अपने खुद के दो अक्षर के कोड चुनते थे. इसी कड़ी में अब नोएडा एयरपोर्ट को भी अपना कोड मिल गया है.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के सीईओ क्रिस्टोफ़ श्नेलमैन ने कहा कि IATA कोड मिलने से हम उत्साहित हैं. एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंसियां इंटरनेशनल लेवल पर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की पहचान करने के लिए DXN कोड का इस्तेमाल करेंगी. बता दें कि इस एयरपोर्ट का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है.