Donald Trump: ग्रीनलैंड के बाद अब ब्रिटिश-इंडियन क्षेत्र पर डोनाल्ड ट्रंप की नजर है. मामले ने ब्रिटेन की राजनीति में भी उथल-पुथल मचा दी है. क्या मॉरीशस भी सहम गया है. आइए इसे समझ लेते हैं कि आखिर ट्रंप को क्या चाहिए.
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Trump Targets Chagos: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद की वापसी ने एक बार फिर दुनियाभर की राजनीति में हलचल मचा दी है. ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा जता चुके डोनाल्ड ट्रंप ने अब ब्रिटिश-इंडियन क्षेत्र चागोस द्वीपसमूह पर नजर गड़ा दी है. यह क्षेत्र हिंद महासागर में स्थित है और इसका रणनीतिक महत्व अमेरिका और ब्रिटेन के संयुक्त सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया के कारण और भी बढ़ जाता है. हाल ही में ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच इन द्वीपों को मॉरीशस को सौंपने पर चर्चा चल रही थी लेकिन ट्रंप की शपथ के बाद यह सौदा अधर में लटक गया है.
दरअसल, ब्रिटेन ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि वह चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप देगा, लेकिन डिएगो गार्सिया पर नियंत्रण 99 साल के पट्टे पर बनाए रखेगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन प्रशासन ने इस समझौते को मंजूरी दे दी थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद स्थिति बदल गई है. इतना ही नहीं यह भी जानकारी सामने आई है कि ब्रिटेन इस समझौते को ट्रंप की सहमति के बिना आगे बढ़ाने से बच रहा है.
उधर मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम इस समझौते पर अंतिम हस्ताक्षर के लिए तैयार थे लेकिन अब इसे रोक दिया गया है. चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस का दावा लंबे समय से है और संयुक्त राष्ट्र की उच्चतम अदालत ने इसे ब्रिटेन के कब्जे को अवैध करार दिया था. हालांकि ट्रंप प्रशासन के लिए यह मामला चीन के बढ़ते प्रभाव और द्वीपों के रणनीतिक महत्व के कारण चिंता का विषय हो सकता है.
डिएगो गार्सिया अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा, वैश्विक सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है. ट्रंप के विदेश मंत्री नामित मार्को रुबियो ने इस सौदे को गंभीर खतरा बताया है क्योंकि मॉरीशस का चीन के साथ व्यापारिक संबंध है. ट्रंप समर्थक और ब्रिटिश नेता निगेल फराज ने चेतावनी दी है कि अगर यह सौदा हुआ तो अमेरिका-यूके के विशेष संबंधों में दरार आ सकती है.
इस मामले ने ब्रिटेन की राजनीति में भी उथल-पुथल मचा दी है. विपक्षी नेता केमी बैडेनोक ने इस सौदे को राष्ट्रीय अपमान करार दिया, जबकि प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने का सर्वोत्तम तरीका बताया. हालांकि ट्रंप की वापसी के साथ ही अब इस पर हलचल तेज है. इन सबके बीच भारत का जिगरी दोस्त मॉरीशस भी सहम गया है कि आखिर क्या होने वाला है. फिलहाल ट्रंप की शपथ 20 जनवरी को है. देखना है कि इसके बाद क्या तस्वीर सामने आती है.