Women Life in Afghanistan: अमेरिकी सेना के लौटने के बाद अफगानिस्तान में जब तालिबान ने सत्ता संभाली, तो आश्वासन दिया था कि वो महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं करेगा. बावजूद इसके हर रोज़ महिलाओं के अधिकारों को रूढ़िवादी और कट्टर सोच रूपी बूटों तले रौंदा जा रहा है.
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Taliban News: अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पहले से ही बहुत अच्छी नहीं थी. वहां महिलाओं पर अत्याचार और उनका शोषण आम बात थी. लेकिन, अब तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा का एक नया फरमान सामने आया है, जिससे साफ हो गया है कि अफगानिस्तान में महिलाओं की जिंदगी नर्क से भी बदतर होने वाली है.
दोजख जैसी अफगानी महिलाओं की जिंदगी
जिंदगी दोजख कैसे बन जाती है ये कोई अफगानिस्तान की महिलाओं से पूछे. हर पल खौफ के साए में कैसे जीना पड़ता है ये कोई अफगानिस्तान की औरतों से पूछे. वो अफगानिस्तान जहां औरतों की आज़ादी पर्दे में कैद है. घर से अकेले बाहर निकलना दूभर है. काम करने पर प्रतिबंध है और खुली हवा में सांस लेना मना है। वजह है सिर्फ और सिर्फ एक तालिबान.
अमेरिकी सेना के लौटने के बाद अफगानिस्तान में जब तालिबान ने सत्ता संभाली, तो आश्वासन दिया था कि वो महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं करेगा. बावजूद इसके हर रोज़ महिलाओं के अधिकारों को रूढ़िवादी और कट्टर सोच रूपी बूटों तले रौंदा जा रहा है. हर रोज़ औरतों को सिसकने पर मजबूर किया जा रहा है. और इसका सबूत है महिलाओं के खिलाफ सुनाया गया तालिबान का एक और नया फरमान.
हिबातुल्लाह अखुंदजादा का ऑडियो मैसेज
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने एक ऑडियो मेसेज जारी किया है. इस ऑडियो मैसेज में अखुंदजादा ने कहा है कि तालिबानी शासन अफगानिस्तान में शरिया वापस लाकर रहेगा.
यही नहीं तालिबान ने फरमान सुनाया है कि जो भी महिला पति के अलावा किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने के मामले में दोषी पाई गई. उसे सरेआम कोड़े मारे जाएंगे और पत्थरों से मार-मारकर उसकी हत्या कर दी जाएगी.
अफगानिस्तान की आधी आबादी को तालिबान का ये नया फरमान मानना ही होगा. ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने इससे पहले तालिबान के दूसरे फरमान सिर झुका कर कबूल किए थे.
अफगानिस्तान में लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर रोक लगा दी गई है.
ज्यादातर नौकरियों से महिलाओं को निकालकर उनकी जगह पुरुषों को रख लिया गया है.
महिलाओं के ब्यूटी पार्लर जाने और खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
तालिबान ने महिलाओं के पार्क जाने समेत, जिम, स्विमिंग पूल और स्पोर्ट्स क्लब जाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा रखी है.
महिलाओं को अकेले यात्रा करने की इजाज़त नहीं है.
अफगानिस्तान में औरतों का बुर्का पहनना अनिवार्य है जो उनके पूरे शरीर को ढक कर रखे.
अगर औरतों ऐसा नहीं करतीं तो उनके परिवार के मर्दों को जेल में डाला सकता है.
तालिबानी फरमान के मुताबिक औरतों को सिर्फ महिला डॉक्टर ही देखेंगी.
जबकि हाल ये है कि अफगानिस्तान के अस्पतालों में बहुत कम महिला डॉक्टर हैं.
यही नहीं डॉक्टर भी उन पाबंदियों से आजाद नहीं हैं जो बाकी महिलाओं पर लागू होती है.
महिलाओं पर बढ़ता जा रहा प्रतिबंधों का बोझ
जहां दुनिया के ज्यादातर देशों में महिलाओं को समान अधिकार हासिल हैं. जिंदगी अपने हिसाब से जीने की आजादी है.औरतें मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में काम कर रही है. अपनी जिंदगी को नया आयाम दे रही हैं. वहीं अफगानिस्तान में शरिया को जरिया बनाकर तालिबान महिलाओं पर प्रतिबंधों का बोझ लादता जा रहा है और औरतें इस बोझ तले दबती चली जा रही हैं. वो घुटन भरी जिंदगी जीने और तालिबान के अत्याचार सहने को मजबूर हो गई हैं.
हाल ही में अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट सामने आई थी. इस रिपोर्ट में महिलाओं और लड़कियों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने पर चिंता जताई गई थी.
रिपोर्ट में खौफनाक दावे
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तालिबान शासन के दौरान जेलों में कैद महिलाओं के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया गया है.
रिपोर्ट में तालिबान शासन से मांग की गई थी कि वो लड़कियों को हिरासत में रखने पर रोक लगाए. यही नहीं तालिबान से ये मांग भी की गई थी कि वो महिलाओं के पहनावे पर लगाए गए प्रतिबंधों को तत्काल हटाए.
लेकिन, तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कह दिया कि देश में शरिया कानून लागू होगा. शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है.
कई इस्लामी देशों में ये लागू है. हालांकि, पाकिस्तान समेत अधिकतर इस्लामी देशों में ये पूरी तरह लागू नहीं है. आपको बता दें कि इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं.
शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून भी शामिल हैं। इसमें अपराध के लिए कड़ी सजा के नियम हैं.