Rajasthan Election 2023: उदयपुर में कौन मारेगा बाजी? क्या चल पाएगा कांग्रेस का गौरव वल्लभ वाला दांव; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
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Rajasthan Election 2023: उदयपुर में कौन मारेगा बाजी? क्या चल पाएगा कांग्रेस का गौरव वल्लभ वाला दांव; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report Udaipur Election: बावड़ियों के शहर उदयपुर के चुनाव में टूरिज्म, सफाई और कानून-व्यवस्था जैसे हावी हैं. कन्हैयालाल की हत्या का मामला लोग अभी तक नहीं भूले हैं. आइए जानते हैं कि उदयपुर का चुनावी मिजाज क्या है.

Rajasthan Election 2023: उदयपुर में कौन मारेगा बाजी? क्या चल पाएगा कांग्रेस का गौरव वल्लभ वाला दांव; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

Udaipur Election Ground Report: उदयपुर सीट राजस्थान की सबसे हॉट सीट मानी जाती है. इसकी वजह है यहां का विश्व प्रसिद्ध पर्यटन उद्योग और साथ में यहां से आने वाली पॉलिटिकल हस्तियां. बीजेपी के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया यहीं से विधायक बने थे. कांग्रेस के बड़े नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी भी उदयपुर से ही आते हैं. साल 2018 में गुलाबचंद कटारिया ने कांग्रेस की कद्दावर नेता गिरिजा व्यास को चुनाव में हराया था, लेकिन अब वो राज्यपाल बन गए है तो उनकी जगह पर ताराचंद जैन को टिकट दिया गया है. इस बार इस सीट से बीजेपी ने गुलाबचंद कटारिया के खास माने जाने वाले ताराचंद जैन को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस में एक तरह से पैराशूट लैंडिंग से राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को मैदान में उतारा गया है.

बावड़ियों के शहर में किसके सिर पर सजेगा ताज?

ताराचंद जैन कहते हैं कि उनको बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. उदयपुर में सबसे बड़ी मुश्किल ट्रैफिक जाम की है. यहां स्टेशन से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक एक फ्लाईओवर बनना है, जो अब तक कागजों पर ही अटका हुआ है. ताराचंद जैन कहते हैं कि उन्होंने खुद इसकी दबी फाइलों को बाहर निकाला है और अब आने वाले दो तीन सालों में इसके निर्माण की बात कर रहे हैं. उदयपुर इतना बड़ा टूरिज्म स्पॉट होने के बावजूद भी आजतक यहां इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू नहीं हो पाई है. अब ताराचंद इसके लिए भी दो से तीन साल का समय मांग रहे हैं. उदयपुर झीलों, बावड़ियों का शहर कहलाता है. पुराने समय में पानी की समस्या से निपटने के लिए ही बावड़ियों का निर्माण किया गया था, फिर इनमें गंदगी का भंडार लगने लगा है. इस समस्या पर बहुत ज्यादा काम तो नहीं हो पाया है. इसकी वजह हर पांच साल में सरकार का बदलना है. जिन जरूरी कामों को उदयपुर को मिलना चाहिए था, उसके बजाय फाल्तू के काम किए गए हैं.

कन्हैयालाल का मर्डर भी बना अहम मुद्दा?

ताराचंद जैन कहते हैं कि इसी शहर में कन्हैयालाल का मर्डर सिर्फ इस बात पर कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने नुपुर शर्मा के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी. ताराचंद जैन कहते हैं कि जब भी कांग्रेस की सरकार आती है आसामाजिक तत्वों को बल मिलता है और वो अपनी मनमानी करते हैं. जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपी भी सरकारी की कानूनी नाकामी की वजह से छूट गए हैं. इस घटना को आज भी हिंदू मतदाता भूल नहीं पाया है और इसका असर आने वाले चुनाव पर जरूर दिखेगा. जहां तक गौरव वल्लभ से सीधा मुकाबले का सवाल है तो कांग्रेस को अपने कार्यकर्ता पर विश्वास ही नहीं है, ना अपने काम पर विश्वास है. कांग्रेस सिर्फ इसी उधेड़बुन में है कि कौन उनकी लाज बचा सकता है.

क्या गौरव वल्लभ कर पाएंगे कमाल?

वही, कांग्रेस ने इस बार मैदान में अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को उतारा है. गौरव वल्लभ की पत्नी उदयपुर से ही आती हैं. पिछले 5-6 महीनों से गौरव वल्लभ लगातार उदयपुर के चक्कर लगा रहे हैं, कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और लोकल स्तर पर अपनी पैठ जमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. गौरव वल्लभ कहते हैं कि इस शहर में पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने का पोटेंशियल है लेकिन भारत में स्वच्छता में उदयपुर 122वें नंबर पर आता है. पिछले 20 साल से उदयपुर में कुशासन चल रहा है, बीच चौराहे पर टॉयलेट बना दिया गया है.

वेनिस से क्यों पीछे रह गया उदयपुर?

6 लाख की उदयपुर की जनसंख्या वाले उदयपुर में सिर्फ 2 लाख टूरिस्ट ही आते हैं जबकि वेनिस में ढाई लाख की जनसंख्या पर साढ़े चार लाख टूरिस्ट आते हैं. जहां तक सवाल उदयपुर में पैराशूट लैंडिंग का है और लोकल कार्यकर्ताओं की नाराजगी का है तो गौरव वल्लभ कहते हैं कि मेरे पास जितनी संख्या में कार्यकर्ता हैं. ये इस नरेटिव को काउंटर करने के लिए काफी है. मेरी पत्नी और बेटी दोनों का जन्म इसी शहर में हुआ है, उनकी शिक्षा इसी शहर की है. मेरी बहन की शादी भी यहीं हुई है. 25 साल से मेरा स्थाई पता इसी शहर का है. बीजेपी के पास नीति, नेता, नियत नहीं है.

कन्हैयालाल के परिवार से वादे का क्या हुआ?

करीब डेढ़ साल पहले उदयपुर अचानक से नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियों में आ गया. जब यहां पर रहने वाले कन्हैयालाल की कुछ लोगों ने उनकी दुकान पर आकर गला रेत कर नृशंस हत्या सिर्फ इसीलिए कर दी क्योंकि कन्हैयालाल ने बीजेपी नेता नुपुर शर्मा के सपोर्ट में एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी. हालांकि, आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन अभी भी उन्हें सजा नहीं हो पाई है, ये मामला अभी कोर्ट में ही है. कन्हैयालाल के परिवार से मिलने हर पार्टी का नेता आया और वादा करके गया कि इस मामले की सुनवाई Fast Track Court में की जाएगी. जल्दी से जल्दी उन्हे इंसाफ दिया जाएगा लेकिन आज तक ये मामला कानूनी पेचिदगियों में ही फंसा हुआ है.

क्या है कन्हैयालाल के बेटे की कसम?

हालत ये है कि कन्हैयालाल के दोनों बेटों को पुलिस सुरक्षा मिली हुई हैय. बड़ा बेटा यश बताता है कि उसने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक उनके परिवार को इंसाफ नहीं मिल जाता है, कन्हैयालाल की अस्थियों को नदी में प्रवाहित नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही यश ने इंसाफ ना मिलने तक केश ना कटाने और पैरों में चप्पल ना पहनने का भी संकल्प लिया है. ज़ी न्यूज़ से बात करते हुए इनके परिवार ने बताया कि किस तरह से कन्हैयालाल के जाने के बाद अब ये परिवार किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाता है. परिवार कहता है कि अब चुनावी मौसम है, उन्हें पता है कि हर पार्टी उनका दरवाजा खटखटाएगी, लेकिन वो हर नेता से सिर्फ इंसाफ की ही गुहार लगाएंगे.

क्या हैं उदयपुर की सबसे बड़ी समस्याएं?

उदयपुर को झीलों, बावड़ियों का शहर के नाम से जाना जाता है लेकिन बरसों पुराने पानी के ये स्त्रोत अब अपना अस्तित्व खोज रहे हैं. हम पुराने उदयपुर शहर के अंबाजी मंदिर की बावड़ी के पास पहुंचे, जो अब कचरे का भंडार लग रही है, इसमें से गंदे पानी की बदबू इतनी ज्यादा आती है कि इसके पास खड़े होना भी मुश्किल है. दयाशंकर पालीवाल पिछले 35 साल से पुराने जल स्त्रोतों के बचाव में लगे हुए हैं और अब इनकी स्थिति देख कर बेहद दुखी है. पिछले पांच सालों में किसी भी पार्टी या नेता ने इस और ध्यान नहीं दिया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है की जो सीवरेज लाइन बिछाई गई है उसमे लीकेज है, जो कोई भी सरकार या पार्टी ठीक नहीं करवा सकी है. इसी सीवरेज का गंदा पानी बावड़ियों में बहकर आ चुका है. इसकी वजह से ही कुओं, हैंडपंपों में भी गंदा दूषित पानी आता है.

इन बावड़ियों की आज भी जरूरत है क्योंकि जब पानी की कमी होती है तो यही बावड़ियां काम आती हैं. पिछले 25 सालों से इनकी सफाई के लिए एक बोर्ड का गठन किया गया है लेकिन इसकी ओर सुध लेना वाला कोई नहीं है. इसी उदयपुर शहर में एक ओर सबसे बड़ी मुश्किल है ट्रैफिक जाम की. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही चल रही है. एक फ्लाईओवर जो रेलवे स्टेशन रोड से कलेक्टर ऑफिस तक बनना था, जिससे सुरजपोल जैसे इलाकों के ट्रैफिक को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन उसे आज तक नहीं बनाया गया है.

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