राजस्‍थान: चुनाव से पहले बीजेपी को झटका, 101 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा
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राजस्‍थान: चुनाव से पहले बीजेपी को झटका, 101 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा

इस बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सोमवार को पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं को चेतावनी पत्र भेजा, जो कथित तौर पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

राजस्‍थान: चुनाव से पहले बीजेपी को झटका, 101 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा

जयपुर: आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर बेहद ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है जहां एक ही परिवार के चार लोग एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे हैं.  यहां एक पति अपनी पत्नी के खिलाफ, जीजा अपनी साली के खिलाफ और भतीजी अपने चाचा के खिलाफ चुनाव लड़ रही है.

सीकर का संकट

सीकर की दांता रामगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहीं रीता चौधरी ने बताया कि 'मैं अपने चुनाव प्रचार अभियान में महिला सशक्तिकरण और पेयजल जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हूं. ' उन्हें हरियाणा स्थित जननायक जनता पार्टी ने सीकर की दांतारामगढ़ सीट से मैदान में उतारा है.  उनके पति वीरेंद्र चौधरी मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं और इसी सीट से उन्हें चुनौती दे रहे हैं.  चौधरी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सात बार के विधायक नारायण सिंह के बेटे हैं.

परिवार परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, लेकिन इसमें राजनीतिक विभाजन तब हुआ जब रीता चौधरी इस साल अगस्त में जेजेपी में शामिल हो गईं और उन्हें जेजेपी की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट पाने की उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं क्योंकि पार्टी ने उनके पति वीरेंद्र को चुना.  इसके बाद रीटा ने अपना राजनीतिक आधार मजबूत करना शुरू कर दिया.

रीटा ने कहा कि दांता रामगढ़ में लोग बदलाव चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'चूंकि मैं लोगों के बीच सक्रिय रही हूं, इसलिए मुझे विश्वास है कि मैं चुनाव में यह सीट जीतूंगी. '

धौलपुर में धमाल

धौलपुर विधानसभा सीट पर एक ही परिवार के दो सदस्यों के बीच मुकाबले में दिलचस्पी इस बात से बढ़ गई है कि दोनों नेताओं ने पार्टियां बदल ली हैं. शोभारानी कुशवाह ने 2018 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के डॉ शिवचरण कुशवाह को हराकर सीट जीती थी.  शिवचरण की भाभी शोभारानी को पिछले साल जून में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग को लेकर भाजपा ने निष्कासित कर दिया था.

इस बार कांग्रेस ने शोभारानी को टिकट दिया है तो भाजपा ने शिवचरण को मैदान में उतारा है. उन्होंने कहा कि “रिश्ते और राजनीतिक मुकाबले पूरी तरह से अलग-अलग पहलू हैं और उनकी अपनी जगह है.  इसलिए, चुनावी लड़ाई के दौरान, हम अपने राजनीतिक दलों के उम्मीदवार हैं, न कि 'जीजा’ और 'साली'. '

शोभारानी ने 2017 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव जीता था. उनके पति बीएल कुशवाह, जिन्होंने 2013 का विधानसभा चुनाव बसपा उम्मीदवार के रूप में जीता था उन्हें दिसंबर 2016 में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

नागौर और खेतड़ी सीट पर चाचा अपनी भतीजियों के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुईं और उन्हें नागौर में पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया, जबकि कांग्रेस ने उनके चाचा हरेंद्र मिर्धा को अपना उम्मीदवार चुना है.

इसी तरह झुंझुनू जिले की खेतड़ी सीट पर धर्मपाल गुर्जर, उनके भाई दाताराम गुर्जर और दाताराम की बेटी मनीषा गुर्जर भाजपा से टिकट की दौड़ में थे.

भाजपा द्वारा धर्मपाल गुर्जर को चुने जाने के बाद, मनीषा ने बगावत कर दी और कांग्रेस में शामिल हो गईं, जिससे उन्हें इस सीट से पार्टी का टिकट मिल गया.

कांग्रेस ने बागियों को लिखा खत
इस बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सोमवार को पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं को चेतावनी पत्र भेजा, जो कथित तौर पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे हैं. पार्टी ने एक बयान में कहा कि रंधावा ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ बगावत करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक पत्र भी भेजा और उनसे आधिकारिक उम्मीदवार का समर्थन करके पार्टी के पक्ष में प्रचार में शामिल होने को कहा.

रंधावा ने चेतावनी दी है कि अगर अगले दो दिनों में बागी उम्मीदवार चुनाव से पीछे नहीं हटते हैं और हबीबुर रहमान, उमरदराज और सरोज मीणा समेत पार्टी पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होते हैं तो पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस से बगावत करने वाले करीब 15-20 उम्मीदवार आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बन रहे हैं.

भिन्न कार्यक्रमों के बाद वे शाम को दिल्ली के लिए रवाना होंगी.

25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में 1875 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 183 महिलाएं और 1,692 पुरुष शामिल है. राज्य की सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी.

101 BJP कार्यकर्ताओं का इस्तीफा

सवाई माधोपुर विधानसभा चुनावों के समर में सियासी दांव-पेच पूरी तरह से हावी हैं. इसके चलते आज बड़ा उलट फेर भी देखने को मिला. 101 भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने अचानक से अपने इस्तीफे दे डाले और निर्दलीय प्रत्याशी आशा मीणा के समर्थन में खड़े हो गए. भाजपा प्रत्याशी राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा को बनाए जाने से भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में नाराजगी है . आज प्रदेश भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने एक आदेश जारी करते हुए भाजपा प्रदेश कार्य समिति की सदस्य आशा मीणा को भी सदस्यता से निष्कासित कर दिया है. इसको लेकर 101 भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने भाजपा की सदस्यता से ही अपना इस्तीफा दे दिया . भाजपा पदाधिकारी ने इस्तीफा देने के दौरान कहा कि डॉक्टर किरोड़ी को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से वे बेहद नाराज है और अब भी निर्दलीय प्रत्याशी आशा मीणा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे.

सुधांशु त्रिवेदी का कांग्रेस पर तंज

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को कहा कि भाजपा सरकार के शासन में महंगाई दर नीचे और विकास दर ऊपर होती है और जब कांग्रेस सरकार आती है तब महंगाई की दर ऊपर और विकास की दर नीचे होती है. त्रिवेदी ने कहा कि दुनिया भर में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और वर्तमान मुद्रास्फीति दर 4.87 प्रतिशत दर्ज की गई है. 
उन्होंने कहा "जब भाजपा शासन होता है तो मंहगाई की दर नीचे और विकास की दर ऊपर होती है और जब उनकी सरकार आती है तब महंगाई दर ऊपर और विकास की दर नीचे होती है.’’ उन्होंने कहा कि "जुलाई में देश के शीर्ष महंगाई वाले तीन राज्यों में राजस्थान एक था जहां महंगाई दर देश में सबसे अधिक (9.6%) दर्ज की गई थी. उन्होंने कहा कि जो लोग कहते थे कि भाजपा ने अर्थव्यवस्था को बबार्द कर दिया.. तबाह कर दिया उन्हें देखना चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था मोदी जी के नेतृत्व में सामान्य होती जा रही है. 

उन्होंने हाल ही में कांग्रेस ने महंगाई को लेकर जयपुर में रैली की थी, लेकिन उस रैली में राहुल गांधी ने हिंदुत्व के खिलाफ भाषण दिया था. उन्होंने कहा कि "इसका कारण यह है कि उन्हें महंगाई और बेरोजगारी से कोई परेशानी नहीं है, उन्हें केवल हिंदुओं और हिंदुत्व से परेशानी है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय जब उनकी पूर्ण बहुमत की सरकारें थीं, तब देश की विकास दर दो प्रतिशत से ऊपर नहीं गई थी, उस समय लोग मजाक करते थे कि यही तो है ‘‘हिंदू विकास दर’’ और उस समय महंगाई दर 15 फीसदी से ऊपर थी. 

(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)

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