जवानों के अदम्य साहस का सूचक है परमवीर चक्र, जानिए भारत के इस सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान से जुड़ा इतिहास?
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जवानों के अदम्य साहस का सूचक है परमवीर चक्र, जानिए भारत के इस सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान से जुड़ा इतिहास?

Param Vir Chakra Award: भारतीय सेना में देश को अपनी सेवाएं देने वाले वीरों को उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से नवाजा जाता है. आज हम जानेंगे कि कब इस वीरता सम्मान की शुरुआत हुई थी और यह सबसे पहले किसे दिया गया था.

जवानों के अदम्य साहस का सूचक है परमवीर चक्र, जानिए भारत के इस सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान से जुड़ा इतिहास?

Param Vir Chakra Award: भारत सरकार दुश्मनों के सामना करने वाले अपने जवानों को उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें कई तरह के सम्मानों से सम्मानित करती हैं. इन्हीं में से एक है परमवीर चक्र. परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान है, जो सैन्य सेवा से जुड़े लोगों को दिया जाता है. इतना तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप इस वीरता सम्मान से जुड़े इतिहास के बारे में जानते हैं? 

सैन्य सेवाओं में सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है परमवीर चक्र 
भारतीय सेना से जुड़े लोगों को उनके साहस, बलिदान और दुश्मनों को मिट्टी में मिला देने के लिए परमवीर चक्र दिया जाता है.  इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 में हुई थी. यह पदक सैनिकों को मरणोपरांत भी दिया जाता है

वॉर टाइम में साहसी प्रदर्शन करने के लिए मिलता है यह चक्र 
कांस्य निर्मित मेडल के ऊपर केंद्र में उभरी हुए राज्य के प्रतीक के साथ 'इन्द्र के वज्र' की चार प्रतिकृतियां होती हैं. इसके पिछले भाग पर हिंदी और अंग्रेजी में दो कमल के फूलों के साथ परम वीर चक्र उभरा होता है.

क्यों दिया जाता है परमवीर चक्र?
इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवानों ने आजादी के 75 सालों में हर बार अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को पराजित करके देश का का सिर शान से ऊंचा किया है. इन शूरवीरों के आत्म-त्याग शौर्य, बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र दिया जाता है.

सबसे पहले किसे मिला था यह सम्मान?
कश्मीर को हथियाने की पाकिस्तान की नापाक साजिश को नाकाम करने के लिए सबसे पहले मेजर सोमनाथ शर्मा को इस वीरता सम्मान से नवाजा गया था. सोमनाथ कुमाउं रेजीमेंट में अधिकारी थे,  उन्होंने 3 नवंबर 1947 को जान देकर श्रीनगर एयरपोर्ट को दुश्मनों से बचाया था. उन्होंने पाकिस्तानी ट्राइब फोर्सेज के 700 जवानों को रोके रखा था.

दुश्मन लगातार मोर्टार दागकर इंडियन आर्मी पर हमला कर रहे थे, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के मंसूबे ढेर कर दिए, उस समय उनकी उम्र केवल 24 साल थी. उनके मरणोपरांत 26 जनवरी 1950 को उनकी बहादुरी के लिए उनके परिवार को परमवीर चक्र सौंपा गया था. अब तक 21 सैनिकों को यह सम्मान दिया जा चुका है, जिनमें से मरणोपरांत यह सम्मान पाने वालों की संख्या 14 है. 

परमवीर चक्र के साथ मिलती हैं ये सुविधाएं
परमवीर चक्र पाने वाले जवान को नकद भत्ता दिया जाता है. साल 1996 से परमवीर चक्र पाने वाले जवान को प्रति माह 3,000 रुपये दिए जाते हैं. यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाएगा, हर बार उतनी ही राशी प्रदान की जाएगी, जितनी पहली बार पदक प्राप्त करने पर प्रदान की गई थी. 

ये भी जानें 
राष्ट्रपति के हाथों बहादुर जवानों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.
देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' के बाद 'परमवीर चक्र'  को सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार का दर्जा मिला है. 
इसे अमेरिका के सम्मान पदक और यूके के विक्टोरिया क्रॉस के बराबर का दर्जा हासिल है.
परमवीर चक्र को विदेशी महिला 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' ने डिजाइन किया था.

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