'मैं खेलना चाहता हूं, जगह कहां है?..' अश्विन ने रिटायरमेंट पर मारा 'टोंट', कौन है संन्यास का कसूरवार?
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'मैं खेलना चाहता हूं, जगह कहां है?..' अश्विन ने रिटायरमेंट पर मारा 'टोंट', कौन है संन्यास का कसूरवार?

R Aswhin: साल 2024 के अंत में भारतीय फैंस को आर अश्विन के रिटायरमेंट पर बड़ा झटका लगा. अश्विन ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बीच अचानक संन्यास का ऐलान कर सभी को सरप्राइज कर दिया था. दुनियाभर की बातें बनी, लेकिन अश्विन का रिएक्शन शांत था. अब उन्होंने अपने उस फैसले पर विस्तार से बात की है. 

 

R Ashwin

R Aswhin: साल 2024 के अंत में टीम इंडिया ने अपने वर्ल्ड क्लास स्पिनर को खो दिया. आप समझ ही गए होंगे हम बात कर रहे हैं अश्विन की, जिन्होंने साल के अंत में अचानक रिटायरमेंट लेकर सभी को हैरान कर दिया. किसी को भी अश्विन के रिटायरमेंट की भनक भी नहीं थी और धीरे से फिरकी मास्टर ने विदाई ले ली. इसके बाद टीम में उथल-पुथल से लेकर ड्रेसिंग रूम में अनबन के भी चर्चे देखने को मिले. यहां तक अश्विन के पिता ने टीम मैनेजमेंट को ही अश्विन के रिटायरमेंट का गुनहगार बता दिया. लेकिन अब अश्विन ने खुद इस मुद्दे पर खुलकर बात की है.

ड्रॉप हुए थे अश्विन

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अश्विन को सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला था. पहले मुकाबले में वह टीम का हिस्सा नहीं थे. दूसरे में उनकी वापसी हुई और एक विकेट हासिल किया. तीसरे मुकाबले में एक बार फिर ड्रॉप हुए और इसके बाद उन्होंने अपने टेस्ट करियर पर ही विराम लगा दिया. टीम इंडिया में हार की उथल-पुथल थी और सीरीज को 1-3 से गंवाना पड़ा था. अश्विन ने खुद के ड्रॉप होने पर भी चुप्पी तोड़ी है. 

क्या बोले अश्विन? 

अश्विन ने रिटायरमेंट पर बात करते हुए अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, 'मैं बहुत सोचता हूं, जीवन में क्या करना है. आप सभी को यह समझने की जरूरत है कि यह सहज रूप से होता है. अगर किसी को पता चल जाता है कि उसका काम पूरा हो गया है, तो एक बार जब वह सोच में आ जाता है. सोचने के लिए कुछ नहीं होता. लोगों ने बहुत सी बातें कहीं, मुझे नहीं लगता कि यह कोई बड़ी बात है. आप सोचिए क्या हुआ. मैंने पहला टेस्ट नहीं खेला. मैंने दूसरा टेस्ट खेला, तीसरा नहीं खेला. यह संभव था कि मैं अगला खेल सकता था या नहीं खेल सकता था. यह मेरी रचनात्मकता का एक पहलू है और मैं इसे तलाशना चाहता था. उस समय, मुझे लगा कि मेरा टैलेंट खत्म हो गया है इसलिए यह सरल था.'

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फेयरवेल की जरूरत नहीं- अश्विन

उन्होंने आगे कहा, 'अगर मैं गेंद लेकर मैदान पर उतरता हूं और लोग तालियां बजाते हैं तो इससे क्या फर्क पड़ेगा? लोग इसके बारे में कब तक बात करेंगे? जब सोशल मीडिया नहीं था, तो लोग इसके बारे में बात करते थे और एक हफ्ते बाद भूल जाते थे. विदाई की कोई जरूरत नहीं है. खेल ने हमें बहुत कुछ दिया है और हमने बहुत खुशी के साथ खेला है.'

मेरे क्रिकेट में दम था- अश्विन

अश्विन ने आगे कहा, 'मैं और अधिक क्रिकेट खेलना चाहता हूं. इसके लिए जगह कहां है? जाहिर है कि भारतीय ड्रेसिंग रूम में नहीं, बल्कि कहीं और से. मैं खेल के प्रति ईमानदार रहना चाहता हूं. कल्पना कीजिए कि मैं विदाई टेस्ट खेलना चाहता हूं लेकिन मैं इसके लायक नहीं हूं. कल्पना कीजिए, मैं सिर्फ़ इसलिए टीम में हूं क्योंकि यह मेरा विदाई टेस्ट है. मैं ऐसा नहीं चाहता. मुझे लगा कि मेरे क्रिकेट में और अधिक ताकत थी. मैं और अधिक खेल सकता था लेकिन हमेशा तब खेल खत्म करना बेहतर होता है जब लोग 'क्यों' पूछते हैं न कि 'क्यों नहीं'

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