Super Earth Planet: NASA के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने 55 Cancri e नाम के एक्सोप्लैनेट पर मोटे वायुमंडल की खोज की है. इस एक्सोप्लैनेट को 'सुपर अर्थ' कहा जा रहा है.
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Super Earth NASA: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से परे जीवन की तलाश से जुड़ी अहम खोज की है. उन्हें सौरमंडल के बाहर एक ऐसा ग्रह मिला है, जहां वायुमंडल मौजूद है. 55 Cancri e नाम का यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से 41 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के टेलीस्कोप ने 55 Cancri e पर वायुमंडल का पता लगाया है. 'सुपर अर्थ' कहे जाने वाले इस ग्रह का आकार पृथ्वी से दोगुना है लेकिन घनत्व थोड़ा कम है. 55 Cancri e उन पांच ज्ञात ग्रहों में से एक है जो कर्क तारामंडल में सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करते हैं. Nature जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक, 55 Cancri e के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मोटी परत मौजूद है. किस गैस की मात्रा कितनी है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है. पृथ्वी का वायुमंडल नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन और अन्य गैसों से मिलकर बना है.
एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स ने 55 Cancri e को सुपर अर्थ की कैटेगरी में रखा है. इसका मतलब यह है कि 55 Cancri e पृथ्वी से बड़ा है लेकिन वरुण से छोटा है. 55 Cancri e की संरचना हमारे सौरमंडल के ग्रहों की संरचना के जैसी है. इस ग्रह का तापमान बेहद ज्यादा है - जो 2,300 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. इसका मतलब यह है कि यहां जीवन की संभावना नहीं है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जेम्स वेब टेलीस्कोप की यह खोज उम्मीद जगाती है कि मोटे वायुमंडल वाले अन्य चट्टानी ग्रह भी मौजूद हो सकते हैं, जो जीवन के लिए अधिक अनुकूल हो सकते हैं.
क्या मंगल पर कभी जीवन था? वैज्ञानिकों को मिला हैरान करने वाला सबूत
55 Cancri e का द्रव्यमान पृथ्वी से करीब आठ गुना ज्यादा है. यह एक्सोप्लैनेट अपने तारे की इतनी करीब से परिक्रमा करता है कि वहां परमानेंट दिन और रात होते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रह की सतह पर मैग्मा महासागर से ढकी हुई है. इसके वायुमंडल का पता लगाने के लिए जेम्स वेब टेलीस्कोप ने ग्रह के तारे को क्रॉस करने से पहले और बाद में नजर रखी.
ग्रह और तारे से निकली रोशनी की तुलना की गई और उस डेटा से ग्रह का तापमान निकाला गया. ऐसे सबूत भी मिले हैं कि ग्रह की गर्मी उसकी सतह पर समान रूप से फैली है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सुपर अर्थ पर स्टडी से हमें यह पता लग सकेगा कि पृथ्वी और मंगल ग्रह कैसे बने होंगे.