Ghost Particles FCC: यूरोप की मशहूर लैब CERN में वैज्ञानिक रहस्यमय 'घोस्ट' पार्टिकल्स का पता लगाने के लिए एक अनूठा प्रयोग करने जा रहे हैं. इसके लिए एक नया पार्टिकल कोलाइडर बनाया जा रहा है जो लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) से तीन गुना ज्यादा बड़ा होगा.
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Ghost Particles Search: ब्रह्मांड का सिर्फ 5 फीसदी हिस्सा ऐसा है जिसे हम अपनी आंखों से देख सकते हैं. बाकी हिस्सा डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बना है. इन दोनों के बारे में हमारी जानकारी बेहद सीमित है. लंबे समय से वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि ब्रह्मांड का असली रूप समझने के लिए हमें 'घोस्ट' पार्टिकल्स के बारे में जानना होगा. अब वैज्ञानिकों को लग रहा है कि वे इनकी मौजूदगी साबित कर सकते हैं. यूरोप की मशहूर साइंटिफिक लैबोरेटरी CERN में एक प्रयोग डिजाइन किया जा रहा है. यह काफी कुछ लॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) जैसा होगा. वही LHC जिससे हमें हिग्स बोसान और 'गॉड' पार्टिकल जैसे कणों का पता चला था. LHC में पार्टिकल्स की एक-दूसरे से टक्कर कराई गई थी. इस नए प्रयोग में पार्टिकल्स की एक कठोर सतह से टक्कर कराई जाएगी.
जैसा कि हमने पहले बताया, ब्रह्मांड का 95% हिस्सा ऐसा है जो हमें नजर नहीं आता. पार्टिकल फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल के मुताबिक, पूरा ब्रह्मांड 17 कणों से मिलकर बना है. इनमें इलेक्ट्रॉन, हिग्स बोसान, चार्म क्वार्क जैसे कण शामिल हैं. कुछ एक-दूसरे के साथ मिलकर बड़े कण बनाते हैं मगर ये भी बेहद छोटे होते हैं. इन्हीं कणों से हमारे आसपास की दुनिया बनी है और तारे, आकाशगंगाएं भी. लेकिन इन सबके बीच में भी कुछ है जो हमें दिखता नहीं, मगर है जरूर. जैसे आकाशगंगाएं कैसे आगे बढ़ती हैं, यह हम अब तक नहीं समझ पाए हैं.
वैज्ञानिकों को लगता है कि ब्रह्मांड की यह अदृश्य ताकत 'घोस्ट' पार्टिकल हैं. लेकिन अगर ये सच में मौजूद हैं तो उनका पता लगाना बेहद मुश्किल है क्योंकि वे पदार्थ से इंटरएक्ट ही नहीं करते. किसी भूत की तरह ये हर चीज के बीच से निकल जाते हैं और पता नहीं चलता.
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वैज्ञानिकों की थ्योरी है कि घोस्ट पार्टिकल, स्टैंडर्ड मॉडल के पार्टिकल्स में डिसइंटीग्रेट हो सकते हैं और फिर उन्हें डिटेक्ट किया जा सकता है. अभी तक के प्रयोगों में पार्टिकल्स की आपस में टक्कर कराई जाती है. एक नए प्रयोग (SHiP यानी सर्च फॉर हिडन पार्टिकल्स) में, पार्टिकल्स को पदार्थ के एक बड़े टुकड़े से टकराया जाएगा. नतीजा यह होगा कि सारे कण छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाएंगे. इस प्रयोग के लिए खास तरह के इक्विपमेंट की जरूरत होगी.
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर जैसे प्रयोगों में नए पार्टिकल्स टकराव से एक मीटर तक की दूरी में डिटेक्ट किए जा सकते हैं लेकिन घोस्ट पार्टिकल्स डिसइंटीग्रेट होने से पहले सैकड़ों, हजारों मीटर की दूरी तय कर सकते हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने एक नई मशीन बनाने की सोची है. SHiP को CERN के भीतर मौजूद फैसिलिटीज में ही बनाया जाएगा.