Pulwama News: फारूक अब्दुल्ला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह देश आज़ाद है और यहाँ रहने वाले लोगों को अपनी पसंद के हिसाब से आज़ादी से जीने का पूरा अधिकार है और हमने गांधी के भारत से हाथ मिलाया है जो सांप्रदायिक नहीं था. यह नफ़रत सबसे बड़ा ख़तरा है.
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Farooq Abdullah: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है. मध्य कश्मीर के बड़गाम में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "हमारे जवान शहीद हुए हैं, आप कब तक उन्हें शहीद करते रहेंगे? राज्यपाल ने खुद कहा कि तीन दिन तक पुलवामा में गाड़ी इधर-उधर घूमती रही और जब गाड़ी वहां पहुंची तो निर्दोष लोग शहीद हो गये.
उन्होंने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, जब पुलवामा में जवान शहीद हुए तो प्रधानमंत्री जंगल में फिल्म बना रहे थे और राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने जब उनसे कहा कि हमारी लापरवाही के कारण वे शहीद हुए तो प्रधानमंत्री ने कहा, चुप रहो, हम इसका दोष दूसरे देश (पाकिस्तान) पर डाल देंगे." फारूक ने कहा.
अब्दुल्ला यहीं नहीं रुके उन्होंने चिंता जताई कि देश में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं, "शुक्र है कि हम चल रहे हैं लेकिन भारत में जो नफरत फैलाई जा रही है, वह देश को बर्बाद कर देगी, मुसलमान खतरे में हैं, उन्हें पकड़ते हैं, दाढ़ी काटते हैं, कहते हैं कहो "जय सिया राम" क्या राम सिर्फ उन्हीं के हैं? मैं बार-बार कहता हूं कि सब को अपने तरीके से पूजा करने की इजाजत है, यह देश आजाद देश है, लेकिन यह देश आजाद नहीं रहेगा, वे आपसे कहेंगे कि क्या पहनना है क्या खाना, नमाज कहाँ और कैसे पढ़नी है, क्या आपको याद है कि कैसे उन्होंने हमारी मस्जिदें तोड़ी, कैसे उन्होंने हमारे मदरसे तोड़े और वे कहते हैं सबका साथ, सबका विकास और सबका “बेड़ागरक”.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह देश आज़ाद है और यहाँ रहने वाले लोगों को अपनी पसंद के हिसाब से आज़ादी से जीने का पूरा अधिकार है और हमने गांधी के भारत से हाथ मिलाया है जो सांप्रदायिक नहीं था. “यह नफ़रत सबसे बड़ा ख़तरा है. क्या यह भारत को मजबूत बनने देगा? क्या हिंदू और मुसलमानों में कोई फर्क है? उन्होंने (ईश्वर ने) कोई फर्क नहीं किया, हमने किया. हम राजनेताओं ने फर्क पैदा किया, उन्होंने कहा “वरना भारत में हिंदू और मुसलमानों में कोई फर्क नहीं था, जब हमें आज़ादी मिली, तो यह गांधी का भारत था और हमने गांधी के देश से हाथ मिलाया था. फ़ारूक ने कहा.