धरती से 20 किमी. ऊपर स्थित स्‍पेस एलीवेटर से होगा अंतरिक्ष यानों का प्रक्षेपण!
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धरती से 20 किमी. ऊपर स्थित स्‍पेस एलीवेटर से होगा अंतरिक्ष यानों का प्रक्षेपण!

दुनिया के पहले स्‍पेस एलीवेटर के निर्माण के लिए एक कनाडियन कंपनी को अमेरिकी पेटेंट मिल गया है। यह एलीवेटर दुनिया की सबसे ऊंची इमारत दुबई स्थित बुर्ज खलीफा से 20 गुणा ऊंचा होगा। इस एलीवेटर पर एक टावर ऐसा भी होगा, जहां से अंतरिक्ष यानों को उतरने एवं उड़ान भरने में मदद मिलेगी।

टोरंटो : दुनिया के पहले स्‍पेस एलीवेटर के निर्माण के लिए एक कनाडियन कंपनी को अमेरिकी पेटेंट मिल गया है। यह एलीवेटर दुनिया की सबसे ऊंची इमारत दुबई स्थित बुर्ज खलीफा से 20 गुणा ऊंचा होगा। इस एलीवेटर पर एक टावर ऐसा भी होगा, जहां से अंतरिक्ष यानों को उतरने एवं उड़ान भरने में मदद मिलेगी।

ओंटेरियो आधारित थोठ टेक्‍नोलॉजी ने अंतरिक्ष तक एलीवेटर के निर्माण की योजना भी बना ली है। डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस एलीवेटर के जरिये बड़ी मात्रा में फ्यूल और पैसे की बचत होगी जोकि रॉकेट लॉन्चिंग के दौरान खर्च होता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, यह कंपनी एक फ्रीस्‍टैंडिंग टावर बनाएगी जो धरती की सतह से 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगी। एक इलेक्ट्रिक एलीवेटर के जरिये अंतरिक्षयात्री 20 किलोमीटर तक उपर जाएंगे। टावर के शीर्ष से अंतरिक्ष में संबंधित कक्षा में की ओर यानों को सिंगल स्‍टेज में लॉन्‍च किया जाएगा। फिर इसके बाद टावर के शीर्ष पर दोबारा ईंधन भरने (री-फ्यूलिंग) और उड़ान के लिए यान पहुंचेंगे। ये बातें इसके खोजकर्ता डा. ब्रेंडन क्विन ने कही हैं।

इस एलीवेटर का इस्‍तेमाल पवन ऊर्जा उत्‍पादन और संचार के लिए भी किया जाएगा।

थोट के सीईओ और प्रेसीडेंट केरोलिन रॉबर्ट्स के अनुसार, इस स्‍पेस टावर में सेल्‍फ लैंडिंग रॉकेट टेक्‍नोलॉजी भी शामिल होगा जोकि अंतरिक्ष में आवागमन के नए युग की शुरुआत करेगा। उन्‍होंने कहा कि समुद्र में भी लैंडिंग एक महान प्रदर्शन है लेकिन समुद्र की सतह से 20 किमी. ऊपर अंतरिक्ष यानों की लैंडिंग और उड़ान एक यात्री विमान के सरीखा ही होगा। इसे स्थिरता देने के लिए थोट डिजाइन में काफी नए तकनीक जोड़े गए हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरिक्ष में प्रक्षेपण के उद्देश्‍य से धरती की सतह से ऊपर ये प्‍लेटफॉर्म या पॉड भारी यानों के प्रक्षेपण में कारगर होगा। इसी के मद्देनजर आत्‍मसहायक इस स्‍पेस एलीवेटर टावर की यह वर्तमान खोज की गई है। इसके जरिये वैज्ञानिकी शोध, संचार और पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। साल 1895 में रूसी वैज्ञानिक कोन्‍सटेन्टिन सियोल्‍कोवस्‍की ने पहली बार स्‍पेस एलीवेटर की परिकल्‍पना को प्रस्‍तावित किया था।

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