ब्लैक होल के पास दिखीं लाल-लाल बिंदिया! जेम्स वेब टेलीस्कोप की खोज, वैज्ञानिकों ने क्यों ली राहत की सांस?
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ब्लैक होल के पास दिखीं लाल-लाल बिंदिया! जेम्स वेब टेलीस्कोप की खोज, वैज्ञानिकों ने क्यों ली राहत की सांस?

James Webb Space Telescope (JWST): जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने अपनी तमाम खोजों से ब्रह्मांड के विकास से जुड़े प्रचलित सिद्धांतों को सीधी चुनौती दे डाली थी. हालांकि, नई खोज से वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है.

ब्लैक होल के पास दिखीं लाल-लाल बिंदिया! जेम्स वेब टेलीस्कोप की खोज, वैज्ञानिकों ने क्यों ली राहत की सांस?

Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने James Webb Space Telescope (JWST) की मदद से प्राचीन आकाशगंगाओं का सबसे बड़ा सैंपल इकट्ठा किया है. इन्हें 'लिटिल रेड डॉट्स' कहा जा रहा है. ये "लिटिल रेड डॉट्स" ऐसी आकाशगंगाएं हैं जो बिग बैंग के लगभग 1.5 बिलियन साल के भीतर अस्तित्व में आईं. रिसर्च में पाया गया कि इनमें से अधिकतर आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल्स मौजूद हैं, जो तेजी से सामग्री को अपनी ओर खींच रहे हैं. नई खोज से वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि अभी तक JWST की खोजों ने ब्रह्मांड के बनने के बुनियादी सिद्धांतों को ही चुनौती दे डाली थी.

शुरुआती ब्रह्मांड में 'लिटिल रेड डॉट्स' की खोज

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने पहली बार 2022 में इन 'लिटिल रेड डॉट्स' को देखा. एस्ट्रोनॉमर्स ने तुरंत समझ लिया कि यह एक नई प्रकार की आकाशगंगा है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था. वैज्ञानिकों ने पाया कि लगभग 70% 'लिटिल रेड डॉट्स' के केंद्र में गैस और धूल 2 मिलियन मील प्रति घंटे (लगभग 1,000 किलोमीटर प्रति सेकंड) की रफ्तार से घूम रही है. यह ब्लैक होल के चारों ओर मौजूद 'एक्रिशन डिस्क' का इशारा है, जिससे यह एक एक्टिव गैलेक्टिक न्युक्लियस (AGN) के रूप में पहचाना गया.

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JWST द्वारा खोजे गए 'लिटिल रेड डॉट्स' (Photo: NASA, ESA, CSA, STScI, Dale Kocevski (Colby College))

आकाशगंगाओं के लाल रंग की वजह

इन आकाशगंगाओं के लाल रंग का मुख्य कारण 'रेडशिफ्ट' है. जब किसी आकाशगंगा से प्रकाश पृथ्वी की ओर आता है, तो ब्रह्मांड के विस्तार के कारण उसकी वेवलेंथ खिंच जाती है और वह 'लाल' हो जाती है. जितनी दूर आकाशगंगा होगी, उतना ही उसका रेडशिफ्ट अधिक होगा. JWST ऐसी ही लंबी वेवलेंथ वाले इन्फ्रारेड प्रकाश को देखने के लिए डिजाइन किया गया है.

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रिसर्च टीम के सदस्य स्टीवन फिंकेलस्टीन ने कहा, 'सबसे रोमांचक बात यह है कि ये रेडशिफ्ट वाली आकाशगंगाएं बिग बैंग के कुछ समय बाद ही समाप्त हो जाती हैं. अगर इनमें ब्लैक होल्स हैं, और हमें लगता है कि 70% मामलों में ऐसा है, तो यह दिखाता है कि ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में ब्लैक होल्स का तेजी से विकास हुआ.'

'कॉस्मोलॉजी बिखर गई' के दावों का जवाब

JWST द्वारा 'लिटिल रेड डॉट्स' की खोज के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि कॉस्मोलॉजी के सिद्धांत टूट गए हैं. ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि इन प्राचीन आकाशगंगाओं में अपेक्षा से अधिक तारे और प्रकाश मौजूद था. लेकिन नई रिसर्च से पता चलता है कि इन आकाशगंगाओं से आने वाले प्रकाश का बड़ा हिस्सा उनके केंद्र में मौजूद ब्लैक होल्स द्वारा पैदा हुआ हो सकता है, न कि तारों से.

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ब्लैक होल्स के चारों ओर मौजूद एक्रिशन डिस्क में गैस और धूल के तेज गति से घूमने और गर्म होने के कारण बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है. यह AGN इतना चमकीला होता है कि यह तारों के प्रकाश को पीछे छोड़ सकता है. इस खोज से यह समस्या सुलझ सकती है कि ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में इतनी ज्यादा चमकीली आकाशगंगाएं कैसे मौजूद थीं.

हालांकि, इस नई खोज से सभी सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. वैज्ञानिक अब भी इस बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इन 'लिटिल रेड डॉट्स'  जैसे ऑब्जेक्ट्स आज के ब्रह्मांड में क्यों नहीं दिखते. वैज्ञानिक अब इन 'लिटिल रेड डॉट्स' को मिड-इन्फ्रारेड लाइट में और स्टडी करेंगे. इस रिसर्च से पता चल सकता है कि ये प्राचीन आकाशगंगाएं कैसे विकसित हुईं और इनका ब्रह्मांड के विकास में क्या योगदान था.

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