China Moon Mission: चांग ई-5 मिशन द्वारा चंद्रमा से लाए गए मिट्टी के नमूनों का अध्ययन कर रहे चीनी वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है. उन्हें चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अंश मिले हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत चांद पर पानी के संकेता का दावा 15 साल पहले ही कर चुका है.
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China Moon Mission: चांग ई-5 मिशन द्वारा चंद्रमा से लाए गए मिट्टी के नमूनों का अध्ययन कर रहे चीनी वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है. उन्हें चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अंश मिले हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत चांद पर पानी के संकेता का दावा 15 साल पहले ही कर चुका है. भारत के चंद्रयान-1 ने 2009 में ही चांद पर पानी की बर्फ के संकेतों का पता लगाया था.
चीन का मून मिशन
पहले चीन के हालिया मून मिशन की बात करते हैं. ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अनुसंधान बीजिंग नेशनल लेबोरेटरी फॉर कंडेंस्ड मैटर फिजिक्स और सीएएस के भौतिकी संस्थान तथा अन्य घरेलू अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. सीएएस ने कहा कि 2020 में ‘चांग ई-5’ मिशन द्वारा लाए गए चंद्रमा की मिट्टी के नमूनों के आधार पर चीनी वैज्ञानिकों ने आणविक जल से “युक्त” एक जलयोजित खनिज पाया है.
भारत को पहले ही मिल चुके हैं संकेत
बता दें कि भारत को चांद पर पानी के संकेत सालों पहले ही मिल चुके हैं. वर्ष 2009 में भारत के चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के सूर्य के प्रकाश वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अणुओं के रूप में जलयोजित खनिजों के संकेतों का पता लगाया था. इसके उपकरणों में नासा का मून मिनरलॉजी मैपर (एम3) भी शामिल था. जो एक इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर है, जिसने चंद्रमा पर खनिजों में पानी की खोज की पुष्टि करने में मदद की थी.
वैज्ञानिकों के लिए अच्छी खबर
चीन के चांग'ई-5 मिशन ने चंद्रमा की मिट्टी के नमूने वापस लाए, जिनमें पानी के अणुओं के प्रमाण मिले. यह चांद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि करने वाला पहला प्रत्यक्ष साक्ष्य है. बहरहाल, इन खोजों ने चंद्रमा पर पानी के स्रोत और वितरण, साथ ही भविष्य में चंद्रमा पर मानव उपनिवेशों की स्थापना की संभावनाओं के बारे में वैज्ञानिकों की समझ को आगे बढ़ाया है.
चीन का चांग'ई-5 मिशन
चीन का चांग'ई-5 मिशन ने 1 दिसंबर, 2020 को चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी के 1,731 ग्राम नमूने एकत्र किए. चीनी वैज्ञानिकों ने पाया कि इन नमूनों में हाइड्रॉक्सिल (OH) समूह होते हैं, जो पानी के अणुओं का एक घटक है. उनका अनुमान है कि चंद्रमा की मिट्टी में प्रति टन 120 ग्राम पानी हो सकता है. यह पानी संभवतः धूमकेतुओं या क्षुद्रग्रहों के प्रभावों से आया होगा, जो अरबों साल पहले चंद्रमा से टकराए थे.
इन खोजों का क्या महत्व है?
चांद पर पानी की खोज अंतरिक्ष की खोज में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर मौजूद पानी का इस्तेमाल पानी, ईंधन और ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चंद्रमा पर पानी की खोज अभी भी अपने शुरुआती चरण में है. वैज्ञानिकों को अभी भी यह समझना बाकी है कि चंद्रमा पर कितना पानी है, कहां पर है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.
कई देश कर रहे चांद पर पानी की खोज
अंतरिक्ष एजेंसियां अगले कुछ वर्षों में चंद्रमा पर पानी का अध्ययन करने के लिए कई मिशन लॉन्च करने की योजना बना रही हैं. इन मिशनों से हमें चंद्रमा के जल संसाधनों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी. यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि चीन और भारत ही एकमात्र देश नहीं हैं जो चांद पर पानी की खोज कर रहे हैं. अमेरिका, यूरोप और जापान भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)