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Ram Katha: धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस में प्रभु श्री राम के अलावा माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान के अलावा कई और महत्वपूर्ण पात्र के बारे में पता चलता है, जिन्होंने श्री राम की युद्ध में मदद की. 14 वर्ष के वनवास के दौरान लंकापति राक्षस रावण ने जब माता सीता का हरण किया था, तब प्रभु श्री राम ने माता सीता को लाने के लिए युद्ध किया. इस युद्ध को जीतने में ना केवल लंकापति रावण के भाई विभीषण ने मदद की बल्कि एक और ऐसे मुख्य पात्र थें, जिन्होंने इस युद्ध में अपना योगदान दिया. रामचरित मानस द्वारा इस बारे में विस्तार में जानते हैं कि लंका के कौन से पात्र ने युद्ध को जीतने में प्रभु श्री राम की अहम भूमिका निभाई.
प्रभु राम के शरण में आए विभीषण
रामचरित मानस के अनुसार मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम सीता के हरण के बाद लंका पर चढ़ाई कर रहे थे. इस दौरान लंकापति रावण के भाई विभीषण रावण और लंका को त्याग कर प्रभु श्री राम के शरण में आ गए थे. विभीषण ने ही प्रभु श्री राम को रावण के वध कैसे होगा इसके राज के बारे में बताया था. जिसके बाद ही श्री राम युद्ध में विजय हुए.
कुंभकरण ने भी चेताया
विभीषण के अलावा रावण के भाई कुंभकरण ने भी युद्ध में जाने से पहले लंकापति को चैतावनी दी थी कि वह प्रभु श्री राम के शरण में चले जाए और माता सीता को जाने दें, वह उन्हें माफ कर देंगे. लेकिन रावण ने महाबलशाली कुंभकरण को भी रणचंडी की भेंट चढ़ा दी.
प्रभु श्री राम की सुषेण वैद्य ने की थी मदद
बता दें कि युद्ध के दौरान रावण के बेटे मेघनाद ने लक्ष्मण पर वीरघाती शक्ति का प्रयोग करते हुए हमला किया था. जिसके बाद ही लक्ष्मण मूर्छित हो गए. जिसके बाद लक्ष्मण पूरी तरह से अचेत हो गए. जिसके बाद विभीषण ने प्रभु श्री राम की सलाह पर लंका के सुषेण वैध को उपचार के लिए बुलाया. ऐसी स्थिति में वैद्य सुषेण ने अपनी चिंता किए बिना प्रभु श्री राम का साथ दिया. उन्होंने लक्ष्मण का उपचार किया और लक्ष्मण को स्वस्थ कर ही वह वापस लंका गए.