Roop Chaudas 2024: आज छोटी दीवाली है. इस दिन को हम नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि नर्क चतुर्दशी के दिन दीप दान क्यों करते हैं?
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Roop Chaudas 2024: आज छोटी दीवाली है. इस दिन को हम नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि नर्क चतुर्दशी के दिन दीप दान क्यों करते हैं? दीप दान की यह परंपरा आखिर कहां से आई? आज के इस खबर में जानेंगे कि कैसे मान्यताओं के आधार पर दीप दान की परंपरा शुरू हुई.
क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और दैत्यराज बलि से कहा कि मुझे दान में तीन पग धरती दे दीजिए. तब दैत्यराज बलि ने भगवान वामन की बात मान ली. जिसके बाद भगवान वामन ने तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों को नाप लिया. जब राजा बलि से सुबकुछ छिन गया तो वह भगवान से प्रार्थना करने लगे. उन्होंने कहा-'हे भगवन! मैं आपसे एक वर चाहता हूं. अगर आप मेरे से खुश हैं तो मुझे वरदान देकर कृतार्थ कीजिए.
राजा बलि की करुण प्रार्थना
जिसके बाद भगवान वामन ने पूछा- क्या चाहते हो राजन? दैत्यराज बोले- भगवन! आपने कार्तिक मास के कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि तक में आपने संपूर्ण धरती नाप ली है इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में कृष्ण चतुर्दशी के दिन दीपदान करे उस व्यक्ति को यम यातना नहीं मिलनी चाहिए. साथ ही राजा ने यह भी मांगा कि जो भी व्यक्ति मृत्यु लोक में त्रयोदशी से लेकर अमावश्या तक इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, माता लक्ष्मी उनके घर को छोड़कर न जाएं.''
भगवान ने कहा ऐसा ही होगा
राजा बलि की ओर से करुण प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- हे राजन! मैं वचन देता हूं कि जो व्यक्ति चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज के लिए दीपदान करेगा, उनके पितर कभी भी नरक में नहीं रहेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीवाली का उत्सव मनाएगा उन्हें लक्ष्मी कभी भी छोड़कर नहीं जाएगी.
भगवान विष्णु के अवतार भगवान वामन की ओर से राजा बलि को मिले वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान की शुरुआत हुई. जिसके बाद यह प्रचलन अब भी लोग मना रहे हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)