Pushpa2, Red Sandalwood: हाल ही में लाल चंदन की लकड़ी पर 'पुष्पा' फिल्म का दूसरा पार्ट आया था, जिसको लेकर कहा जा रहा है कि उसने 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई करली है लेकिन असल जिंदगी में लाल चंदन का खरीदार नहीं मिल पा रहा है.
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Red Sandalwood: अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' के दो पार्ट आ गए हैं, इस फिल्म की कहानी क्या है ये भी सभी को पता है. फिल्म में चंदन की लकड़ी के कारोबार को दिखाया गया है. फिल्म देखने के बाद चंदन की लकड़ी ने लोगों के ज़हन में ऐसी जगह बना ली है जैसे कि यह कोई 'सोने' जैसे कीमती चीज हो. फिल्म के दूसरे पार्ट 'पुष्पा 2: द रूल' ने 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार कर लिया है लेकिन क्या आपको पता है कि असल जिंदगी में फिल्म वाली लकड़ी यानी लाल चंदन को कोई खरीदने वाला ही नहीं मिल रहा है?
लाल चंदन वनपस्तियों में लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है. साथ ही इस लकड़ी की कटाई या बिक्री निजी प्लेयर्स के लिए गैरकानूनी है. हालांकि भारत को स्पेशल गवर्नमेंट अथॉरिटी के साथ लिमिटेड लीगल सेल की इजाज़त देते हुए लुप्तप्राय सूची से प्रजातियों को हटाने की अनुमति मिली.
यह प्रजाति आंध्र प्रदेश के रायलसीमा इलाके में पाई जाती है, लेकिन भारत में लाल चंदन की प्रमुख अधिकृत विक्रेता आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा इस बेशकीमती लकड़ी की नीलामी करने के कई प्रयासों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार ने इसे खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है. पारंपरिक चिकित्सा और लग्जरी सामान से जुड़े क्षेत्रो में चंदन को इस्तेमाल के लिए जाना जाता है. कोरोना महामारी के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका एक टन भी बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ा है.
आंध्र प्रदेश सरकार के सूत्रों ने खुलासा किया है कि 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से किसी भी अंतरराष्ट्रीय नीलामी में लाल चंदन की लकड़ी नहीं बेची गई है, यहां तक कि चीन ने भी इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है. जबकि इससे पहले तक चीन लाल चंदन की लकड़ी का प्राथमिक बाजार था. 1990 के दशक से आंध्र प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय नीलामी के लगभग 24 दौर आयोजित किए हैं लेकिन सिर्फ 1,800 और 1,900 करोड़ रुपये के बीच ही धन जुटा पाई है, जो पुष्पा से होने वाली कमाई से बस थोड़ी ही ज्यादा है.
इस साल नवंबर-दिसंबर में भी उस समय बड़ा झटका जब 905 टन लाल चंदन की नीलामी करने की कोशिश की, लेकिन एक भी टन लकड़ी नहीं बिक पाई. सूत्रों का दावा है कि चीन प्राथमिक बाजार बना हुआ है लेकिन 2020 से महामारी के कारण मांग में गिरावट आई है. इस गिरावट के लिए वैश्विक आर्थिक मंदी को जिम्मेदार ठहराया. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने आंध्र प्रदेश को 11,000 टन लाल चंदन की नीलामी करने की इजाज़त दी है, लेकिन इसमें से लगभग 4000 टन अभी भी मंदिर शहर तिरुपति में एक उच्च सुरक्षा वाले डिपो में रखा हुआ है.
इसको तीन कैटेगरी में बांटा गया है. ए, बी और सी, जिसमें ए उच्चतम क्वॉलिटी होती है. तेलुगू देशम पार्टी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान आयोजित नीलामी में पहली बार 1 करोड़ से 1.5 करोड़ रुपये प्रति टन की दर से चंदन की बिक्री हुई थी. ए-ग्रेड लाल चंदन की कीमत वर्तमान में लगभग ₹75 लाख प्रति टन है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि बाजार में गिरावट के बावजूद कीमत कम करने की कोई योजना नहीं है.