Ramlila: सेतु पार कर लंका पहुंचे श्रीराम, जानें एक ही बाण से किसका मुकुट और बाल काटा
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Ramlila: सेतु पार कर लंका पहुंचे श्रीराम, जानें एक ही बाण से किसका मुकुट और बाल काटा

Mahasangram: सुबेल पर्वत के शिखर पर श्रीराम ने देखा कि दक्षिण दिशा में बादल घुमड़ रहे हैं. इस पर विभीषण ने कहा कि लंका की चोटी पर एक महल है, जहां पर रावण नाच गाना देख रहा है. इस पर भगवान राम ने बाण चला दिया. 

 

रामलीला

Ram Ravana Mahasangram: नल और नील ने विशाल समुद्र पर पुल बनाया तो श्रीराम और लक्ष्मण ने वानरों और भालुओं की सेना के साथ समुद्र को पार कर लंका के बाहर डेरा लगाया. प्रभु श्रीराम की आज्ञा पाते ही वानर और भालू सुंदर और स्वादिष्ट फलों को खाने में जुट गए. वह वृक्षों को हिला रहे थे और पर्वत शिखरों को तोड़कर लंका की ओर फेंककर उत्पात मचाने लगे. घूमते- फिरते जहां कहीं भी उन्हें राक्षस मिल जाते तो सब उन्हें घेरकर पहले नाचते और फिर दांतों से उनके नाक- कान काटकर उन्हें प्रभु श्रीराम चंद्र की जय बोलने को मजबूर करते. नाक- कान कटे हुए राक्षसों ने भागकर रावण को यह संदेश सुनाया तो पहले तो वह बहुत व्याकुल हुआ फिर उसे छिपाने के लिए हंसते हुए अपने महल में गया.

मंदोदरी ने रावण को समझाने का किया प्रयास

इधर महल में रावण की पटरानी मंदोदरी को भी अपने दूतों से यह खबर मिली तो वह रावण के पास गई और उसके चरण पकड़ कर आंचल फैलाते हुए बोली, हे नाथ! बैर उसी से करना चाहिए, जिसको बुद्धि और बल के द्वारा जीता जा सके, आप श्रीराम को समझने का प्रयास करें, यह ही विष्णु, वाराह रूप में नृसिंह, वामन अवतारी, परशुराम  भी हैं. उन्होंने पृथ्वी के भार को कम करने के लिए ही  राम रूप में अवतार लिया है. उनका विरोध न करिए और उनके चरणों में सिर नवाकर जानकी जी को सौंप दीजिए. आपने देवता, राक्षस, चर- अचर सभी को जीत लिया है. संत जनों का कहना है कि हर किसी को अपने चौथे पन में माया मोह त्यागकर जंगल में हरि का भजन करना चाहिए, सो अपना राज्य पुत्रों को सौंपकर ऐसा ही कीजिए. दरबार में पहुंचने पर रावण के पुत्र प्रहस्त ने भी इसी तरह से समझाने का प्रयास किया, किंतु अहंकारी रावण को कुछ भी समझ में नहीं आया.

श्रीराम ने नाच गाना देख रहे रावण के महल में चलाया बाण

इधर सुबेल पर्वत के शिखर पर डेरा जमा चुके श्रीराम ने विभीषण जी से कहा कि दक्षिण दिशा में कैसे बादल घुमड़ रहा है और बिजली चमक रही है. इस विभीषण ने वास्तविकता बताते हुए कहा कि लंका की चोटी पर एक महल है, जहां पर रावण नाच गाना देख रहा है. इस पर श्रीराम को हंसी सूझी और उन्होंने अपने धनुष पर बाण चढ़ाकर चलाया, जिसने रावण के मुकुट और मंदोदरी के कान के बालों को एक ही क्षण में काट दिया और बाण वापस श्रीराम के तरकश में आ गया. इस दृश्य को देख मंदोदरी ने फिर से रावण को समझाने का प्रयास किया, किंतु रावण ने कहा हे प्रियतम तुम डरो नहीं, तुम तो त्रिलोक विजेता अपने पति रावण और उसकी विशाल सेना पर विश्वास करो.

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