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Charity Secret: प्रेमानंद जी महाराज के कई ऐसे विचार हैं जो लोगों को सही राह पर चलने के बारे में बताती है. उनके उपदेश आजकल लोगां के बीच में चर्चा का विषय बने हुए हैं. हाल ही में उन्होंने सत्संग के दौरान एक भक्त के द्वारा पूछे गए सवाल पर बड़े ही अनमोल विचार को सभी के सामने रखा जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या परिवार की राजामंदी के बिना किया गया दान पुण्य गलत है
पति को बताए बिना नहीं करें कोई काम
प्रेमानंद महाराज कहते हैं अगर आपने पानी ग्रहण संस्कार किया है तो पत्नी पति की अधार्गिंनी कही जाती है। कोई भी काम पति से छुपा कर नहीं करना चाहिए। पति की अनुमति से ही कोई भी काम करना चाहिए क्योंकि उनकी प्रसन्नता ही पत्नी का परम धर्म होता है। धर्म के लिए पति की सलाह अत्यंत आवश्यक होती है.
प्रभु के नाम का करें दान
अगर पति दान करने के लिए मना करें तो ऐसा ना करें। नाम जप कीजिए यही परम धर्म है, नाम किर्तन कीजिए यही परम दान है। इससे बड़ा और कोई दान नहीं है। नाम कीर्तन करने से जीव जंतू सबका मंगल होता है।
पति के अनुमति के बिना किया गया कार्य गलत
दान का अर्थ केवल रूपए पैसे दे देना थोड़ा ही होता है। आपके पति पूरे परिवार को चलाने के लिए कैसे कैसा क्या कर रहा है कितनी मेहनत कर रहा है और कैसे चल रहा है, यह आप नहीं जानते। इसलिए उसकी अनुमति के बिना यह काम ना करें नहीं तो बिगाड़ हो जाएगा।
पैसे का दान ही मात्र एक दान नहीं
दिखावे की कोई जरूरत नहीं होती। केवल पैसा ही देना का मतलब नहीं होता कि दान करना है। मात्र कष्ण का नाम लें यह सभी के कानों में पड़ेगा। सूमेर पर्वत दान करना और कृष्ण के नाम का जाप कर दूसरे के कानों तक पहुंचाना एक बराबर नहीं है। श्री कष्ण नाम हरि नाम का जाप करें, बस इतना ही काफी है, दान की इस मुल्य बात को सही से समझे यही सबसे जरूरी है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)