Premanand Ji Maharaj: वृंदावन के मशूहर संत प्रेमानंद जी महाराज किडनी की समस्या से पीड़ित हैं. उनकी तरह देश में कुछ और भी महान संत महापुरुष हुए हैं, जिन्हें खतरनाक बीमारियों ने अपना शिकार बनाया.
Trending Photos
Swami Vivekananda in Hindi: अध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज को सुनने वालों मानने वालों की तादाद करोड़ों में है. उनके दर्शन करने के लिए भक्त बड़ी संख्या में 2 बजे रात से वृंदावन की सड़कों पर खड़े हो जाते हैं. वहीं सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज जी के सत्संग को सुनने वालों की संख्या बहुत बड़ी है. प्रेमानंद महाराज किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं. उनकी दोनों किडनियां खराब हैं और हफ्ते में 3 बार उन्हें डायलिसिस की बेहद दर्द वाली प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
फिर भी प्रेमानंद महाराज पूरा दिन सत्संग, पूजा-पाठ, आराधना में बीतता है. उनकी तरह भारत में पहले भी कुछ ऐसे महान साधु-संत, महापुरुष हुए हैं, जिन्हें ऐसी ही खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ा और इसके चलते उन्होंने कम उम्र में ही देह त्याग दी.
रामकृष्ण परमहंस को था गले का कैंसर
बंगाल में ब्राह्मण परिवार में जन्मे स्वामी रामकृष्ण परमहंस की गिनती ऐसे महात्माओं में होती है, जिन्होंने आध्यात्मिक रास्ते पर चलकर संसार के अस्तित्व संबंधी परम तत्व (परमात्मा) का ज्ञान प्राप्त किया. उन्होंने समाज को राह दिखाई और अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए. रामकृष्ण परमहंस का मानना था कि ईश्वर का दर्शन किया जा सकता है. उन्हें अपने जीवन में कई बार ईश्वर का साक्षात्कार हुआ. वे मां भद्रकाली के उपासक थे. स्वामी विवेकानंद उनके प्रमुख शिष्यों में से एक थे.
ये भी पढ़ें : कौन थीं जनाबाई? जिनके बनाए गोबर के उपलों से भी भगवान का नाम सुनाई देता था
स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ही 1 मई 1897 को कोलकाता में 'रामकृष्ण मिशन' की स्थापना की थी. जीवन के आखिरी दिनों में रामकृष्ण परमहंस जी को गले में सूजन आई और फिर पता चला कि उन्हें गले का कैंसर हुआ है. आखिर में 16 अगस्त 1886 को केवल 50 वर्ष की आयु में उन्होंने परम समाधि लेकर अपनी देह त्याग दी.
स्वामी विवेकानंद को थीं 2 दर्जन से ज्यादा बीमारियां
स्वामी विवेकानंद वो महापुरुष थे जिन्होंने वेदांत, योग और भारतीय दर्शन का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसाद किया. 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुई धर्म संसद में दिया गया उनका भाषण आज भी याद किया जाता है. जिसमें उन्होंने कई घंटों तक व्याख्यान दिया और पूरे पश्चिमी जगत समेत दुनिया की कई विभुतियां तन्मयता से सुनती रहीं. पूरी दुनिया में भारतीय दर्शन का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानंद ने महज 39 साल की उम्र में ही इस दुनिया से विदा ले ली थी.
स्वामी विवेकानंद का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था लेकिन उन्हें कई बीमारियां थीं. वे बेहद कम उम्र में ही बीमारियों के शिकार हो गए थे. उन्हें अनिद्रा, लिवर, डायबिटीज, किडनी, माइग्रेन और हार्ट जैसी 31 बीमारियां थीं. चूंकि उस समय डायबिटीज की कोई कारगर दवा उपलब्ध नहीं थी. इसलिए भी उन्हें काफी समस्या हुई थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)