Navratri 2023 Mahavidya: नवरात्रि में महाविद्या की भी होती है पूजा, जानिए कौन-कौन सी हैं दस महाविद्याएं
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Navratri 2023 Mahavidya: नवरात्रि में महाविद्या की भी होती है पूजा, जानिए कौन-कौन सी हैं दस महाविद्याएं

Navratri 2023: नवरात्रि हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की उपासना का मुख्य पर्व है. इस दौरान दस महाविद्याएं, जो आदिशक्ति के विभिन्न रूप हैं, उनकी पूजा का महत्व भी है. ये विद्याएं जीवन की विभिन्न परिस्थितियों और चुनौतियों का प्रतीक हैं, जिससे भक्त अपने आप को शक्तिशाली और संरचित महसूस करता है. महाविद्याओं की उपासना से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास, साहस और संघर्ष की शक्ति बढ़ती है.

Navratri Mahavidya 2023

Navratri 2023: नवरात्रि का पर्व सिर्फ शक्ति स्वरूपा देवी भगवती के विभिन्न रूपों की आराधना के लिए ही नहीं होता है बल्कि इसमें दस महाविद्याओं की पूजा का भी विधान है. हिंदू धर्म के वैदिक दर्शन में अनेकता में एकता की परम्परा है. इस सिद्धांत की स्थापना पुराणों और तंत्र ग्रंथों के अध्ययन में भी देखने को मिलती है. मुंडमाला तंत्र नामक ग्रंथ में लिखा है, जो शिव हैं, वही दुर्गा हैं और जो दुर्गा हैं वही विष्णु हैं, इनमें किसी भी तरह का भेद नहीं है और जो भेद मानता है वह मनुष्य दुर्बुद्धि है. देवी, शिव और विष्णु आदि में एकत्व ही देखना चाहिए. देवी भागवत के अनुसार देवताओं ने एक बार देवी पराम्बा से पूछा, हे देवी आप कौन हैं, इस पर देवी ने उत्तर दिया, मैं ब्रह्मरूपिणी हूं और यह प्रकृति पुरुषात्मक जगत मुझसे ही पैदा हुआ है. देवी पराम्बा ने देवताओं को स्पष्ट किया कि मुझमें और ब्रह्म दोनों में सदैव एवं शाश्वत एकत्व है, कोई अंतर नहीं. जो वह हैं वही मैं हूं और जो मैं हूं वही वह हैं. 

जानिए दस महाविद्याओं के नाम 
शाक्त तंत्र के अनुसार दस महाविद्याएं काली तारा, त्रिपुर सुंदरी, श्री विद्या या ललिता, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला यानी लक्ष्मी. इन दस महाविद्याओं का ज्ञान एक गूढ़ रहस्य है. श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पूरे मनोयोग से जप करने वाले साधक के लिए भगवती पराम्बा अपना रहस्य कभी शास्त्र तो कभी सद्गुरु के माध्यम से व्यक्त करती हैं. यह स्वार्थी, अहंकारी व्यक्ति को कभी नहीं फलता है. 

सांसारिक जीवों को भोग और मोक्ष दिलाती है महाविद्या
ऋषियों ने पराशक्ति के निर्गुण, निराकार और परब्रह्म स्वरूप का दार्शनिक विवेचन करने के साथ ही साधकों की मनोकामना पूरी करने के लिए उसके सगुण और साकार रूपों का सुंदर चित्रण किया है. उसके असंख्य रूपों में नवदुर्गा और दस महाविद्या सर्वाधिक प्रसिद्ध है. आज भी लोग पूरी श्रद्धा, विश्वास एवं भक्ति के साथ भगवती के इन स्वरूपों की आराधना करते हैं. लौकिक एवं पारलौकिक दोनों प्रकार की सिद्धि के लिए दस महाविद्याओं की उपासना की परम्परा प्राचीन काल से है. आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात 15 अक्टूबर से शुरु हो रहे नवरात्रि में इन महाविद्याओं की उपासना करें. नवरात्रि की नवमी 23 अक्टूबर को होगी.

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