Best Teacher: एक श्रेष्ठ शिक्षक में पाए जाते हैं ये 9 लक्षण, ये शख्स माने जाते हैं अब तक के बेस्ट टीचर
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Best Teacher: एक श्रेष्ठ शिक्षक में पाए जाते हैं ये 9 लक्षण, ये शख्स माने जाते हैं अब तक के बेस्ट टीचर

Ramcharitmanas: धर्म ग्रंथों के अनुसार एक श्रेष्ठ आचार्य के नौ लक्षण बताए गए हैं. धर्म ग्रंथ रामचरित मानस में सभी पात्रों का एक विशेष गुण और चरित्र है. सर्वोच्य चरित्र के कारण श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए.

श्रेष्ठ आचार्य

Great Teacher Qualities: धर्म ग्रंथ रामचरित मानस में सभी पात्रों का एक विशेष गुण और चरित्र है. सर्वोच्य चरित्र के कारण श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. मानव जाति में जन्म लेकर श्रीराम आदर्श, आज्ञाकारी पुत्र, पति, राजा, भाई, मित्र आदि मर्यादाए स्थापित कीं और जिन्हें आज भी माना जा रहा है. संत महात्मा अपने सत्संगों में उनके बनाए आदर्श पर चलने को प्रेरित करते हैं. उसी तरह से उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी भी श्रेष्ठ आचार्य माने जाते हैं.

धर्म ग्रंथों के अनुसार एक श्रेष्ठ आचार्य के नौ लक्षण बताए गए हैं. इन लक्षणों में सबसे प्रमुख वही आचार्य श्रेष्ठ है जो सदैव परम तत्व के संग चले. इसके अलावा आचार्य का अपना दर्शन होना चाहिए. आचार्य को इतना विद्वान और वेद वेदांग का ज्ञाता होना चाहिए कि वह किसी विषय पर शास्त्रार्थ कर सके. वह त्यागमूर्ति हो और सदैव जागृत हो. श्रेष्ठ आचार्य का छटा लक्षण है कि वह अपने से बड़ों के साथ-साथ अपने से छोटों से भी समान रूप से चर्चा करे और उनकी बात को ध्यान से सुने. 

आचार्य का सातवां लक्षण होता है कि वह देश काल और परिस्थितियों को ठीक से समझे और उसके अनुसार ही वह लक्ष्मण रेखाएं खींचे. आचार्य का आठवां लक्षण विषपान करने का अभ्यास होना चाहिए, वह अपने और दूसरे सभी के अपमानों का विषपान करे और कभी भी क्रोधित न हो. नवें और अंतिम लक्षण के अनुसार वह परम तत्व में समाहित हो जाए. अब लक्ष्मण जी के जीवन पर विचार कर देखिए तो वह इन सभी श्रेष्ठ नौ लक्षणों से युक्त हैं, इसीलिए उन्हें श्रेष्ठ आचार्य का पद दिया गया है. वह सदाचार की मूर्ति श्री राम के अनुगामी हैं. परशुराम लक्ष्मण संवाद को लक्ष्मण द्वारा परशुराम जी से किसी तरह के विवाद के रूप में नहीं, बल्कि शास्त्रार्थ के रूप में देखा जाना चाहिए.  

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