Anant Ambani Radhika Merchant Wedding: अंबानी परिवार के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी से पहले फैमिली ने गांव में करीब 60 हजार लोगों को खाना खिलाया. विवाह से पहले की गई अन्न सेवा अनंत और राधिका के जीवन के नए सफर के लिए बहुत खास साबित हो सकती है.
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अन्न दान की महिमा: इस समय देश के सबसे बड़े उद्योगपति घराने अंबानी परिवार के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी के चर्चे जोरों पर हैं. अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी से पहले प्री-वेडिंग इवेंट हुआ. विवाह पूर्व के कार्यक्रमों की शुरुआत अन्न सेवा से हुई. इसके लिए जामनगर में रिलायंस टाउनशिप के पास जोगवड गांव में पूरे अंबानी परिवार ने करीब 60 हजार लोगों को भोजन कराया. अन्न सेवा में अनंत-राधिका समेत अन्य परिजनों ने लोगों को अपने हाथों से खाना परोसा. अंबानी परिवार ऐसे खास मौकों पर हमेशा से अन्न सेवा करता रहा है. हिंदू धर्म में अन्न दान को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आइए ज्योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर से जानते हैं कि अन्न सेवा या अन्न दान इतना महत्वपूर्ण क्यों है और इसका जीवन पर क्या असर होता है.
तुरंत मिलता है आशीर्वाद
पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि अन्न दान इसलिए बहुत अहम है क्योंकि इससे जातक को तुरंत आशीर्वाद मिलता है. जब कोई व्यक्ति लोगों को भोजन कराता है तो उदर तृप्त होकर (पेट भरने के बाद) तुरंत आशीर्वाद देता है. भगवान को भी इसलिए भोग जरूर लगाया जाता है. बिना भोग के पूजा पूरी नहीं होती है. इसलिए पितृ पक्ष में 15 दिन तक ब्राह्मणों, जरूरतमंदों, गाय, कुत्ते, कौवे आदि जीवों को रोजाना भोजन कराया जाता है और इस दौरान कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं.
अंबानी परिवार ने बेटे के विवाह से पहले इतनी बड़ी संख्या में लोगों को भोजन कराया है. इससे तुरंत ही बड़े पैमाने पर पॉजिटिव वाइब्रेशन पैदा हुईं जो जीवन के नए पड़ाव में प्रवेश कर रहे राधिका और अनंत के लिए बड़ा आशीर्वाद साबित होंगी. यही वजह है कि विवाह, जन्मदिन, पूजा-अनुष्ठान जैसे खास मौकों पर घर से किसी को बिना खाए नहीं जाने दिया जाता है. हर व्यक्ति को भोजन कराके ही जाने दिया जाता है ताकि वह तृप्त होकर आशीर्वाद दें और जीवन में मंगल हो. भोजन कराने के बाद लोगों के दिल से निकली दुआएं-आशीर्वाद जीवन में संकटों से बचाने के लिए कवच की तरह काम करती हैं.
हमेशा करें ये काम
जन्मदिन, विवाह, वैवाहिक वर्षगांठ, पितृ पक्ष, पुण्यतिथि जैसे खास मौकों पर तो गरीब-जरूरतमंदों को अवश्य ही भोजन कराएं. वैसे तो लोगों को सम्मानपूर्वक अपने हाथ से परोसकर भोजन कराएं. लेकिन ऐसा संभव ना हो सके तो भोजन के पैकेट या कच्चा अनाज ही बांट दें. इसके अलावा जब भी आप कहीं भोजन-जलपान आदि कर रहे हों या कहीं बाहर हों और कोई जरूरतमंद आपसे भोजन कराने का आग्रह करे तो उसे जरूर भोजन कराएं. हिंदू धर्म के अनुसार देवता ऐसे ही रूप लेकर आते हैं.