Supertech: रियल्टी कंपनी सुपरेटक ने बिना OC सर्टिफिकेट के हजारों फ्लैट के मालिकों को पजेशन दे दिए. मामला सामने आने के बाद अब घर खरीदारों के सामने मुश्किलें आ रही हैं.
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Supertech Builder: कर्ज में डुबी कंपनी सुपरटेक ने बिना कब्जा प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) दिए ही खरीदारों को 9,705 फ्लैटों के कब्जे दे दिए. फ्लैटों के ये 18 प्रोजेक्ट यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) हितेश गोयल ने कंपनी के बारे में स्टेटस रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) को सौंपी थी, जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ. मामला सामने आने के बाद खरीदारों का कहना है कि OC न होने से मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने दावा किया कि नोएडा में ऐसे फ्लैटों की संख्या 50 हजार से 1 लाख के बीच हो सकती है. खबरों के मुताबिक, सुपरटेक ने NCLAT के इस साल 25 मार्च के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी है. बता दें कि NCLAT ने कंपनी के खिलाफ दिवाला होने की कार्यवाही शुरू की थी. यह मामला अभी एनसीएलएटी के सामने लंबित है.
2,062 करोड़ रुपये बकाया
सुपरटेक पर यूपी में दो विकास प्राधिकरणों - ग्रेनो औद्योगिक विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का भी 2,062 करोड़ रुपये बकाया है. बता दें कि इसी साल अगस्त में नोएडा में सुपरटेक बिल्डर के दो 31 मंजिला टावर एपेक्स और सियाने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था.
ये होती है दिक्कत
बता दें कि बिल्डिंग प्लान का पालन करने के अलावा बिल्डरों को फायर और लिफ्ट सेफ्टी को लेकर संबंधित विभाग से NOC लेनी होती है. इन NOC के बिना OC नहीं मिलता है. वहीं, किसी भी प्रोजेक्ट को अगर OC नहीं मिलता है तो यहां फ्लैट खरीदने वाले बायर्स को बैंक से कर्ज नहीं मिलता है. वहीं, ऐसे फ्लैटों की कीमतें OC वाले फ्लैट की तुलना में 25 प्रतिशत कम होती हैं.
ग्रेटर नोएडा में सबसे ज्यादा फ्लैट
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के कानूनी सलाहकार वेंकट राव ने कहा है कि बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विकास प्राधिकरणों से जमीन पट्टे पर ले लेते हैं. वहां परियोजना का निर्माण करते हैं, लेकिन पट्टे की राशि का भुगतान नहीं करते. ऐसे में प्राधिकरण उन्हें ओसी नहीं देते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन परियोजनाओं में ग्रेटर नोएडा में इको-विलेज-1 में बिना OC के बिना 3,171 फ्लैटों के कब्जे दिए गए हैं.
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