चक्रवात 'बिपरजॉय' को हराने की पूरी तैयारी, सरकार ने उठाए कई महत्वपूर्ण कदम
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चक्रवात 'बिपरजॉय' को हराने की पूरी तैयारी, सरकार ने उठाए कई महत्वपूर्ण कदम

Biparjoy cyclone: निसंदेह प्राकृतिक आपदाएं जीवन और संपत्ति की बड़ी तबाही का कारण बनती हैं. लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार चक्रवात, भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावित लोगों के जीवन को सुरक्षित करने और आवश्यक सहायता/आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए शुरु से प्रतिबद्ध रही है.

चक्रवात 'बिपरजॉय' को हराने की पूरी तैयारी, सरकार ने उठाए कई महत्वपूर्ण कदम

Biparjoy cyclone: निसंदेह प्राकृतिक आपदाएं जीवन और संपत्ति की बड़ी तबाही का कारण बनती हैं. लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार चक्रवात, भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावित लोगों के जीवन को सुरक्षित करने और आवश्यक सहायता/आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए शुरु से प्रतिबद्ध रही है. सरकार की यह प्रतिबद्धता प्राकृतिक आपदाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमने युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अपने नागरिकों का तत्काल बचाव, महामारी में प्रभावी योजनाओं और उसके निष्पादन में देखा है. 

पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का दृष्टिकोण आपदा के बाद राहत प्रदान करना था. आज दृष्टिकोण आपदा पूर्व तैयारी के कारण शून्य दुर्घटना का है. तकनीकी कार्यान्वयन में कई सुधारों ने इसे संभव बनाया है. मोदी सरकार ने भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है. पहले की सरकारों की एप्रोच आपदा के बाद राहत की होती थी आज एप्रोच आपदा से पहले की तैयारियों से जीरो casualty की है.

गृह मंत्रालय के इन प्रयासों से चक्रवातों के कारण जानमाल के नुकसान में लगभग 98% की कमी आई है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 13 जून 23 को आपदा प्रबंधन के लिए आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की तीन प्रमुख योजनाओं की घोषणा की है. यह राशि शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने, फायर ब्रिगेड सेवा को मजबूत करने और भूस्खलन शमन के लिए केंद्र सरकार राज्यों को आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान करेगी.

सरकार की परियोजनाएं

-राज्यों में अग्निशमन सेवा के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये की परियोजना, 

-शहरी बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए सर्वाधिक जनसंख्या वाले सात महानगरों-मुंबई, चेन्नई, कोलकाता बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे के लिए 2,500 करोड़ रुपये की परियोजना, 

-भू-स्खलन शमन के लिए 17 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 825 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम शमन योजना तैयार की गई है. 

-आपदा प्रबंधन पर समान कानून बनाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय सभी राज्यों को पत्र भी लिखेगा.

चक्रवात ‘बिपरजॉय’ की तैयारियों को लेकर हरसंभव मदद

गृह मंत्रालय ने चक्रवात ‘बिपरजॉय’ की तैयारियों को लेकर 13 जून को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से वर्चुअल माध्यम से चर्चा की. गृहमंत्री ने राज्य की ओर से चक्रवात से निपटने के लिए की गई तैयारियों को लेकर चर्चा की और केन्द्र की ओर से हरसंभव मदद की बात कही है.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सोमवार को चक्रवात से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और गुजरात के मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ बैठक की थी. इस तूफान से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए केन्द्र और राज्य की एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं.

गुजरात के आठ तटीय जिलों में कुल 1 लाख से ज्यादा लोगों को अस्थायी आश्रयों में ले जाया गया है. विज्ञप्ति के अनुसार, अकेले कच्छ जिले में लगभग 34,300 लोगों को, जबकि जामनगर में 10,000, मोरबी में 9,243, राजकोट में 6,089, देवभूमि द्वारका में 5,035, जूनागढ़ में 4,604, पोरबंदर जिले में 3,469 और गिर सोमनाथ जिले में 1,605 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. 

इसके साथ, एनडीआरएफ की 15, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की 12, राज्य सड़क एवं भवन विभाग की 115  और राज्य बिजली विभाग की 397 टीम विभिन्न तटीय जिलों में तैनात की गई हैं. 

इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात ''बिपरजॉय'' के प्रभाव से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की.

गृह मंत्रालय द्वारा किये गए महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णय

पूर्व चेतावनी एवं पूर्व तैयारी आधारित 
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन यौजना 
रेस्पोंस फ़ोर्स की पहले से तैनाती 
आपदा निधि का वैज्ञानिक वितरण 
समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन 
डिजास्टर रिस्क रिडक्शन   

आपदा निधि वितरण

वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक NDRF के तहत 76 हजार करोड़ जबकि SDRF के लिए 1 लाख 7 हजार करोड़ जारी.

यूपीए शासन काल से तुलना करें तो 2005-06 से 2013-14 तक, इन 9 वर्षों में, SDRF से 35,858 करोड़ रुपये जारी हुए थे जबकि 2014-15 से 2022-23 तक, इन 9 वर्षों में, 1,07,940 करोड़ रुपये जारी हुए अर्थात 3 गुना की बढ़ोतरी.

यूपीए शासन काल में 2005-06 से 2013-14 तक, इन 9 वर्षों में, NDRF से 25,036 करोड़ रुपये जारी हुए थे जबकि 2014-15 से 2022-23 तक, इन 9 वर्षों में, 76,709 करोड़ रुपये जारी हुए अर्थात 3 गुना की बढ़ोतरी.

-केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फरवरी, 2021 में नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन फंड (NDMF) का गठन किया*

-NDMF के अंतर्गत 13,693 करोड़ रुपये आवंटित किये गए और राज्य डिजास्टर मिटिगेशन निधि (SDMF) के अंतर्गत 32,031 करोड़ रुपये आवंटित किये गए.           
  
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) शुरू की*

आपदा प्रबंधन संबंधी सभी एजेंसियों और विभागों के बीच होरिजेंटल एवं वर्टिकल एकीकरण कर अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को एक मैट्रिक्स प्रारूप में भी निर्धारित किया गया. तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अपेक्षित सामग्री सूचि तैयार रखने के लिए 250 करोड़ रुपये के रेवोल्विंग फंड के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन रिज़र्व (NDRR) बनाया गया.

NDRF बल की ‘सक्रिय उपलब्धता’

‘पहले से तैनाती’ की नीति के तहत 26 राज्यों में तैनाती,  NDRF की टीमें 28 शहरों में रीजनल रेस्पोंस सेंटर के रूप में काम कर रही है. साथ ही सभी राज्यों में SDRF का गठन.

प्रोएक्टिव रुप से Inter-Ministerial Committee (IMC) भेजना.

आज प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद, राज्य सरकार के ज्ञापन की प्रतीक्षा किये बिना ही IMCT को भेजा जा रहा है. पिछले 4 वर्षों में, विभिन्न राज्यों में 73 IMCT टीमें भेजी गयीं.

आपदा मित्र योजना: इसे 350 बहु-जोखिम आपदा संभावित जिलों में लागू किया गया है, जिसका लक्ष्य 1 लाख से ज्यादा युवा वालंटियर्स को प्रशिक्षित किया जाना है. इन सभी का सरकार द्वारा जीवन बीमा भी क्या जायेगा. कुल 369.41 करोड़ रु के परिव्यय के साथ आपदा मित्र योजना अनुमोदित की गयी.

कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (CAP): गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2021 में 354 करोड़ रु के परिव्यय से आपदा के संबंध में मोबाइल फोन के जरिये भौगोलिक आधारित तत्काल अलर्ट मुहैया कराने का काम शुरू किया.

आपदा आपातकालीन स्थिति के लिए 41 करोड़ रु परिव्यय से ‘डायल 112’ इमरजेंसी रेस्पोंस सपोर्ट सिस्टम (ERSS).

देश में 2014-23 के दौरान 20 नए डॉपलर वेदर रडार चालू किए गए हैं*, जिससे कुल संख्या 37 हो गई है, जो क्षेत्र में होने वाली गंभीर मौसम की घटनाओं की जानकारी प्रदान करते हैं और आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को सहायता प्रदान करते हैं. ब्लॉक-स्तरीय मौसम पूर्वानुमान और कृषि मौसम सलाहकार सेवा 2018 में शुरू हुई और 2022 में पूरे देश को कवर किया गया. इन नीतियों से आपदा प्रबंधन में बड़ी सफलता मिली.

एक मजबूत अर्ली वार्निंग तथा फर्स्ट रेस्पोंडर व्यवस्था लागू करने से बहुत सफलता मिली है. इससे लोगों को पहले ही सूचित कर आपदा के लिए सचेत किया जाता है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जाता है. गृह मंत्रालय के इन प्रयासों से चक्रवातों के कारण जानमाल के नुकसान में लगभग 98% की कमी आई है. इसी तरह लू (हीट वेव) से सम्बंधित मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी हासिल की है.

अंतराष्ट्रीय सहयोग 

आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मलेन: नवम्बर 2016 के दौरान नयी दिल्ली में माननीय प्रधानमंत्री जी ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) पर 10 सूत्रीय एजेंडे की घोषणा की.

फरवरी 2023: बड़े पैमाने पर भूकंप से तबाह तुर्की के प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव कार्यों के लिए सभी आवश्यक उपकरणों के साथ NDRF के 151 कर्मियों वाली तीन टीमें तुर्की भेजी गयी.

अप्रैल 2015: नेपाल में जब विनाशकारी भूकंप आया था तो नेपाल सरकार से पहले भारत सरकार वहां मदद के लिए पहुंच गयी.  भारत ने उसकी सहायता करने के लिए 'ऑपरेशन मैत्री' शुरू किया था. लगभग 40 दिनों तक नेपाल में राहत कार्यों को अंजाम देने के बाद भारत का यह ऑपरेशन पूरा हुआ.

मोदी सरकार के 9 वर्षों में साइक्लोन की तबाही को रोकने के लिए तकनीक में सुधार

-मोदी सरकार ने 22 डॉप्लर वेदर रडार लगाए हैं.
-ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम की संख्या को 675 से 808 तक पहुंचाया है.
-200 एग्रो AWS सिस्टम लगाए गए हैं. 2014 से पहले एक भी ऐसा सिस्टम नहीं था.
-भारत के पहले अर्थ सिस्टम मॉडल को लॉन्च किया गया.
-13 नए अपर एयर ऑब्जर्वेशन सिस्टम लगाए गए हैं.
-23 जीपीएस बेस्ड पीबी सिस्टम लगाए गए हैं जो पहले एक भी नहीं था.
-एयरपोर्ट पर आरवीआर सिस्टम को 20 से 113 तक बढ़ाया गया है.
-एयरपोर्ट पर डिजिटल करेंट वेदर सिस्टम को भी 29 से बढ़ा कर 69 किया गया है.
-6 हेलीकॉप्टर वेदर ऑब्जर्वेशन सिस्टम लगाया गया है.
-2 जियो स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च किए गए हैं.
-वेदर फोरकास्टिंग सिस्टम को स्टेट ऑफ आर्ट बनाया गया है.

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