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Mafia Free UP: योगी के 7 साल, खौफ के वो 10 नाम जो मिट्टी में मिल गए; 6000 करोड़ की संपत्ति भी जब्त

Mafia free Uttar Pradesh: यूपी के सारे माफिया मिट्टी में मिला दिए गए हैं. योगी राज के 7 साल के कार्यकाल में उन माफियाओं के साम्राज्य को नष्ट कर दिया है, जो दशकों से उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय थे. यूपी में अब तक गैंगस्टरों और माफियाओं की 5775 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है. खासकर टॉप 10 माफियाओं का अंत हो चुका है. अब तो उन बदमाशों की नींद भी उड़ गई है. जो पुलिस के शिकंजे से दूर हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में एक बार कहा था- 'माफिया को मिट्टी में मिला देंगे' (Mafia ko mitti me mila denge). वाकई ऐसा ही हो रहा है, उनकी कही गई बात एक दो बार नहीं लगातार सच साबित हो रही है. 2024 में भी यही सिलसिला जारी रहने का दावा किया जा रहा है.

माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश का दावा

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माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश का दावा

उत्तर प्रदेश (UP), कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर वर्ष 2023 एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ. 2024 में भी ऐसा ही होने की दावा किया जा रहा है. दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. अपराधियों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री को 'बुलडोजर बाबा' के नाम से भी जाना जाता है. अपराधियों की हर एक्शन को लेकर उनकी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अक्सर देशभर की सुर्खियों में रहती है.

मुख्तार अंसारी

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मुख्तार अंसारी

माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत के बाद आज उसे गाजीपुर में सुपुर्द - ए - खाक कर दिया गया. माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में बीमारी के दौरान मौत हो गई थी.  

मुकीम काला

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मुकीम काला

14 मई 2021 को यूपी की चित्रकूट जेल में खूंखार माफिया मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. काला करोड़ों की लूटपाट और दर्जनों हत्याओं का आरोपी था. शामली के जहानपुरा का रहने वाला मुकीम काला शुरुआत में छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देता था. बाद में वो कग्गा गैंग में शामिल हुआ. एक एनकाउंटर में सरगना के ढेर होने के बाद मुकीम गिरोह का सरदार बना और कमान संभाली. काला, पश्चिमी यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में दर्जनों वारदातों में शामिल था. काला की हत्या जेल में हुई गैंगवार की घटना थी. जिसे पूर्वांचल के बड़े गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने अंजाम दिया था. मुकीम काला के साथ एक और अपराधी मेराज भी उसी वारदात में मारा गया था. 

अंशू दीक्षित

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अंशू दीक्षित

यूपी की चित्रकूट जेल में जो शूटआउट हुआ था. उसे अंशू दीक्षित ने ऑस्ट्रिया मेड ग्लोक पिस्टल से अंजाम दिया था. आपको बता दें कि ग्लोक पिस्टल का इस्तेमाल सेना और पुलिस करती है. पूर्वांचल में आतंक का पर्याय रहे अंशू ने इसी विदेशी पिस्टल से मेराज और मुकीम को गोली मारी थी. मुकीम काला और मेराज अली की हत्या करने के बाद अंशु दीक्षित ने जेल के पांच कैदियों को बंधक बना लिया था. पुलिस ने उसे बाकी कैदियों को छोड़ने को कहा तो उसने इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों ओर से फायरिंग हुई और अंशू वहीं मारा गया. जेल में गैंगवार को अंजाम देने वाला अंशु दीक्षित 11 दिसंबर 2008 को गोमतीनगर के नेहरू इंक्लेव में हुई छात्र नेता विनोद त्रिपाठी और गौरव की हत्या का मुख्य आरोपी था. उस वारदात में उसके साथ जय सिंह और सुधाकर पांडेय भी आरोपी थे. जय सिंह को मार्च 2008 में पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था. उसके एनकाउंटर के बाद सुधाकर और अंशु दीक्षित पुलिस के डर से गोपालगंज में आर्म एक्ट के मामले में जानबूझकर गिरफ्तार हो गए थे.

मेराज अहमद

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मेराज अहमद

किसी समय मुन्ना बजरंगी का खास रहा मेराज 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में हुई मुन्ना की हत्या की साजिश का आरोपी था.वारदात के बाद मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने पुलिस को दिए 161 के बयान में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह, बनारस के पूर्व डिप्टी एसपी जीएन सिंह, उनके बेटे प्रदीप सिंह और बाद में मुख्तार अंसारी के करीबी बने मेराज को भी आरोपी बनाया था. मेराज भी अंशू के हाथों हुए शूटआउट में मारा गया था.

संजीव जीवा

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संजीव जीवा

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Jiva) मुख्तार अंसारी गैंग का शूटर था. जून 2023 में एक दिन उसे लखनऊ जिला जेल से सेशन कोर्ट के लिए रवाना किया गया. उसकी सुरक्षा में 10 पुलिसकर्मी थे. इनमें दो SI, 5 कॉन्स्टेबल और 3 हेड कॉन्स्टेबल थे. पुलिसवाले जीवा को लेकर दोपहर करीब दो बजे कोर्ट पहुंचे. पुलिस अभिरक्षा में 10 सशस्त्र पुलिसकर्मियों के तैनात होने के बावजूद कोर्ट रूम में बंदी की हत्या कर दी गई थी.

अतीक-अशरफ

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अतीक-अशरफ

यूपी के प्रयागराज में 15 अप्रैल 2023 को पेशी के दौरान माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अतीक के हत्यारे पत्रकार बनकर पुलिस के काफिले के नजदीक पहुंचे थे अचानक गोलीबारी कर दी. इस दौरान करीब 18 राउंड गोलियां चली थी, जिनमें से 8 गोली अतीक अहमद को लगी थीं. अब भी यह रहस्य बना हुआ है कि अतीक की हत्या के पीछे कौन है.

विकास दुबे

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विकास दुबे

यूपी के कानपुर जिले का निवासी विकास दुबे जिले में दहशत का दूसरा नाम था. विकास दुबे को विकास पंडित के नाम से भी जाना जाता था. हिस्ट्रीशीटर दुबे के खिलाफ पहला आपराधिक मामला 1990 के दशक की शुरुआत में दर्ज किया गया था. 2020 तक उसके नाम पर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. जुलाई 2020 में कानपुर जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी. पुलिस की टीम बिकरू निवासी कुख्यात माफिया विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके घर दबिश देने गई थी. पुलिस का आरोप है कि विकास दुबे और उसके सहयोगियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करके एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. विकास दुबे 10 जुलाई को एक मुठभेड़ में मारा गया था जब उसे उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था. रास्ते में पुलिस की एक गाड़ी पलट गई तो दुबे ने भागने की कोशिश की और फिर वो मार गिराया गया.

खान मुकाबर खान

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खान मुकाबर खान

यूपी की हरदोई जेल में बंद माफिया खान मुबारक की पिछले जून 2023 में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. वो 2 जून 2022 से हरदोई जेल में बंद था और उसे निमोनिया हो गया था. खान मुबारक, अंडरवर्ल्ड बदमाश जफर सुपारी का छोटा भाई था और यूपी के टॉप 10 अपराधियों में शामिल था. खान मुबारक पर लूट, रंगदारी, जबरन वसूली और हत्या समेत कई मामले दर्ज थे.

मुन्ना बजरंगी

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मुन्ना बजरंगी

मुन्ना बजरंगी कभी दहशत और खौफ का दूसरा नाम था. जुलाई 2018 को बागपत जेल में ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी गई. जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी को 8 से 10 गोलियां मारी गई थीं. 2005 में गाजीपुर के विधायक कृष्णानंद राय पर ताबड़तोड़ 400 गोलियां बरसाने वाला मुन्ना बजरंगी एक ऐसा नाम था, जो कभी उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबलियों की ताकत बनकर उभरा था. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद फरार हुए मुन्ना को लगातार 2 साल की मेहनत के बाद 2009 में मुंबई से गिरफ्तार किया जा सका.

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