भारतीय थल सेना आज अपना 77वां सेना दिवस मना रही है. इसका मुख्य कार्यक्रम महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज महाराष्ट्र के दौरे पर होंगे. इस खास मौके पर वे मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना के तीन महत्वपूर्ण युद्धपोत आईएनएस सूरत ( INS Surat ), आईएनएस नीलगिरि ( INS Nilgiri ) और आईएनएस वाघशीर (INS Waghshir ) पनडुब्बी को देश को समर्पित करेंगे. पीएम इस कार्यक्रम का मकसद भारत की समुद्री रक्षा को मजबूत और सबसे बेहतरीन बनाना है. ऐसे में आज इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि तीनों युद्धपोत कितने ताकतवर हैं और इनकी क्या-क्या विशेषताएं हैं.
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तीनों युद्धपोत आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर सबमरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता कई गुणा तक बढ़ जाएगी. खास बात यह है कि ये तीनों मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में डिजाइन और बनाए गए हैं, जो स्वदेशी निर्माण का एक बेहतरीन उदाहरण भी हैं. इनमें आईएनएस सूरत एक स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं और आईएनएस नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए की पहली स्टेल्थ फ्रिगेट है. वहीं, INS वाघशीर एक स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन है. आइए अब जानते हैं कितने शक्तिशाली हैं तीनों युद्धपोत...
मिली जानकारी के मुताबिक, आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत तैयार किया गया है, जो चौथा और आखिरी स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है और यह अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. आईएनएस सूरत दुश्मनों के खिलाफ सटीक मार करने की क्षमता रखता है. भारतीय नौसेना ने आईएनएस सूरत की नींव 7 नवंबर 2019 को रखी थी और 17 मई 2022 को इसे लॉन्च किया गया था. यह भारतीय नौसेना की अब तक की सबसे तेजी से बनाए गए डिस्ट्रॉयर है. अगर इसकी विशेषताओं और तकनीकी क्षमता की बात करें तो इस जंगी जहाज लंबाई 164 मीटर है और ये 7,400 टन के डिस्प्लेस्मेंट साथ आता है. इसके अलावा ये स्टेल्थ फीचर्स और उन्नत रडार सिस्टम से लैस है, जो इसे दुश्मनों की नजरों से दूर रखता है यानी इस जंगी जहाज को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.
वहीं, इसकी तकनीकी क्षमता की बात करें तो इसमें चार गैस टर्बाइनों को संचालित करने के लिए ‘कंबाइंड गैस एंड गैस’ (COGAG) प्रोपल्शन सिस्टम मौजूद है. समुद्री परीक्षणों के दौरान इस पोत ने 30 नॉट्स (करीब 56 किमी/घंटा) की रफ्तार से गति प्राप्त की.
समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार आईएनएस नीलगिरि को भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाया है, जो पहला स्टेल्थ फ्रिगेट भी है. सेना ने इसकी नींव 28 दिसंबर 2017 को रखी थी और 28 सितंबर 2019 को इसे लॉन्च किया गया था. आधुनिक तकनीकों से लैस इस जंगी जहाज ने समुद्री परीक्षण अगस्त 2024 में शुरू किए और सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किए. इस विशेषताओं और तकनीक की बात करें तो
149 मीटर लंबी यह शिप 6,670 टन का डिस्प्लेस्मेंट रखती है. इसमें रडार सिग्नेचर को कम करने के लिए विशेष डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है, खास तौर पर नीलगिरि को ब्लू वॉटर ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है, जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में काबिल है. ‘इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम’ (IPMS) से सुसज्जितइस जंगी जहाज में सपरसोनिक सतह-से-सतह और मीडियम रेंज सतह-से-हवा में मार करने के लिए मिसाइल लगाई गई है. साथ ही इसमें रैपिड फायर क्लोज-इन वेपन सिस्टम भी लगाए गए हैं.
भारतीय नौसेना आईएनएस वाघशीर को स्कॉर्पीन-क्लास प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाया है, जो छठी और आखिरी डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है. ये जंगी जहाज अत्याधुनिक तकनीक और गुप्त संचालन क्षमता के लिए मशहूर है. वाघशीर को बेहद शांत और दुश्मन के इलाकों में खुफिया काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी लंबाई 67 मीटर है और ये 1,550 टन वजनी है. सबमरीन में वायर-गाइडेड समेत उन्नत सोनार सिस्टम लगाए गए हैं. इनकी तकनीकी क्षमताओं की बात करें तो यह पनडुब्बी सतह और पानी के नीचे के टारगेट को खत्म करने में सक्षम रहेगी.
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