Why do airplanes have blinking lights: क्या आपको पता है विमानों पर लगने वाली ब्लिंकिंग लाइट्स एकसाथ कई काम करती है. इनकी चमकती रोशनी न केवल विमान की उपस्थिति को दर्शाती हैं बल्कि उसकी उड़ान की दिशा और वर्तमान स्थिति के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी देती हैं. ये रोशनी अन्य विमानों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सटीक डेटा उपलब्ध कराती हैं.
वैसे तो हवाई सफर का अनुभव हमेशा से रोमांचकारी और सुविधा से भरपूर रहा है. लेकिन जब हम विमान में बैठते हैं और आसमान में उड़ते हैं, तो हमें एक और अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. इसी में से एक है प्लेन की बत्तियां, यानि कि पंखों पर लगे ब्लिंकिंग लाइट्स. उड़ान भरते समय हम बादलों के ऊपर होते हैं और ज़मीन से जुड़ी सभी चीजें छोटी दिखने लगती हैं. ऐसे में विमान की रफ्तार और उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी होता है. ब्लिंकिंग लाइट्स उसी से जुड़ी हैं.
असल में विमान के कई सिस्टम ऐसे होते हैं, जो उड़ान को सुचारु और सुरक्षित बनाते हैं. इन्हीं में से एक है - विंग्स (पंखों) पर लगे ब्लिंकिंग लाइट्स. यह लाइट्स छोटे से दिखने वाले उपकरण होते हैं, लेकिन इनकी उपयोगिता बहुत महत्वपूर्ण होती है. यह लाइट्स उड़ान भरते समय विमान की पहचान सुनिश्चित करने के साथ-साथ अन्य विमानों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल को संकेत देने में मदद करती हैं.
विमान के पंखों पर जो ब्लिंकिंग लाइट्स होती हैं, उनका प्रमुख उद्देश्य विमान को आसमान में दिखाई देना और दूसरे विमानों से टकराव की स्थिति से बचाना होता है. ये लाइट्स एक प्रकार की पहचान प्रणाली के रूप में कार्य करती हैं, जिससे आसमान में उड़ रहे अन्य विमान और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम को यह पता चलता है कि कौन सा विमान किस दिशा में जा रहा है. दिन हो या रात, हर समय यह लाइट्स सक्रिय रहती हैं ताकि विमान हर समय निगरानी में रहे.
विमान पर लगी ब्लिंकिंग लाइट्स विभिन्न रंगों की होती हैं और हर रंग का अपना विशेष महत्व होता है. आमतौर पर विमान के बाएं पंख पर लाल लाइट और दाएं पंख पर हरी लाइट होती है. इसके अलावा विमान के पिछले हिस्से में सफेद लाइट होती है. ये लाइट्स अन्य विमानों को यह जानकारी देती हैं कि विमान किस दिशा में उड़ रहा है. उदाहरण के लिए, अगर एक विमान की लाल लाइट दिख रही है, तो इसका मतलब है कि विमान का बायां हिस्सा सामने है. इससे विमान के चालकों को यह पता चलता है कि कौन सा विमान किस दिशा में जा रहा है.
इन लाइट्स की मदद से पायलट्स और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को विमान की लोकेशन और उसकी दिशा का सही आकलन करने में आसानी होती है. इन लाइट्स के बिना, विशेषकर रात के समय या खराब मौसम में, विमान की स्थिति का पता लगाना कठिन हो सकता है. जब आसमान में कई विमान होते हैं, तो टकराव की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं. ऐसे में यह लाइट्स पायलट्स को यह समझने में मदद करती हैं कि कौन सा विमान उनके आस-पास है और उसकी दिशा क्या है, ताकि वे सुरक्षित दूरी बनाए रख सकें.
ब्लिंकिंग लाइट्स के साथ ही विमान में स्टोब लाइट्स (strobe lights) भी होती हैं, जो बहुत तेज़ चमकती हैं. ये लाइट्स आमतौर पर विमान के टेकऑफ़ और लैंडिंग के समय सक्रिय होती हैं. इनका मुख्य उद्देश्य होता है कि विमान को दूर से आसानी से देखा जा सके, खासकर रात के समय या जब हवाई अड्डे पर कई विमान एक साथ होते हैं. ये लाइट्स काफी दूर से भी दिखाई देती हैं और विमान की पहचान को सुनिश्चित करती हैं.
सिर्फ ब्लिंकिंग लाइट्स ही नहीं, बल्कि विमान की सुरक्षा के लिए अन्य तकनीकी और संरचनात्मक उपाय भी होते हैं. इनमें रडार, GPS सिस्टम, और विमान के अन्य नेविगेशनल उपकरण शामिल होते हैं, जो पायलट को मार्गदर्शन करते हैं. इन सभी उपकरणों के साथ मिलकर ब्लिंकिंग लाइट्स विमान की सुरक्षा को एक नई ऊंचाई पर ले जाती हैं.
विमान के पंखों पर लगी ब्लिंकिंग लाइट्स एक छोटी सी तकनीक होते हुए भी विमान की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाती हैं. ये लाइट्स रात में और खराब मौसम में विमान को दिखाई देने योग्य बनाती हैं, जिससे टकराव की संभावनाओं को कम किया जा सके.
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