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अफगानिस्तान के हक्कानी गुट में बड़ा रोल, कौन है हाफिज गुल बहादुर? जिसके आतंकियों को पाकिस्तान ने मारा

Who is Hafiz Gul Bahadar: पाकिस्तान को अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक करना भारी पड़ रहा है. अफगान बॉर्डर पर तालिबान की सेना ने अपने तोपों के मुंह पाकिस्तान की तरफ खोल दिए हैं. दरअसल, पाकिस्तान की सेना ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के हमले में सेना के दो अधिकारियों समेत 7 जवानों की मौत के बाद अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक की, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई. पाकिस्तान का दावा है कि हाफिज गुल बहादुर ग्रुप से जुड़े एक कमांडर समेत सात संदिग्ध आतंकवादी मारे गए हैं.

 

कौन है हाफिज गुल बहादुर?

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कौन है हाफिज गुल बहादुर?

हाफिज गुल बहादुर उत्तरी वजीरिस्तान स्थित पाकिस्तानी तालिबान गुट का आतंकवादी कमांडर है. दिसंबर 2007 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के गठन के बाद हाफिज गुल को आतंकी घोषित किया गया था.

हाफिज गुल का राजनीतिक कनेक्शन

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हाफिज गुल का राजनीतिक कनेक्शन

हाफिज गुल बहादुर का जन्म साल 1961 में पाकिस्तान में हुआ है. उसने अपनी पढ़ाई पाकिस्तान के मुल्तान में स्थित एक देवबंदी मदरसे से की है. वह जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) राजनीतिक दल से भी जुड़ा हुआ है.

हक्कानी से भी गुल बहादुर का कनेक्शन

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हक्कानी से भी गुल बहादुर का कनेक्शन

गुल बहादुर ने सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान और बाद में तालिबान के शासन के दौरान अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ी. हाफिज गुल बहादुर, सिराजुद्दीन हक्कानी के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है. गुल बहादुर उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी गुट के लिए ग्राउंड लेवल पर बेस बनाता है. दरअसल, अमेरिकी विरोधी तालिबान का नेतृत्व गुल बहादुर और हक्कानी नेटवर्क ही कर रहे हैं.

2014 में भाग गया था अफगानिस्तान

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2014 में भाग गया था अफगानिस्तान

प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) नेता हाफिज गुल बहादुर का समूह उत्तरी वजीरिस्तान में सबसे मजबूत आतंकवादी समूहों में से एक है. वह साल 2014 में ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब के बाद अफगानिस्तान भाग गया था.

हवाई हमले में बच निकला था गुल बहादुर

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हवाई हमले में बच निकला था गुल बहादुर

साल 2014 में पाकिस्तान ने के सैन्य लड़ाकू विमानों ने दत्ता खेल इलाके में एक परिसर को निशाना बनाया था, जहां गुल बहादुर की शुरा मुजाहिदीन नार्थ वजीरिस्तान के करीब 30 कमांडर बैठक कर रहे थे. हमले में गुल बहादुर समेत बैठक में शामिल सभी आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया था, लेकिन गुल बहादुर की मौत की पुष्टि नहीं हुई थी.

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