Hinduja Family: हिंदुजा समूह के मालिक और ब्रिटेन के सबसे अमीर भारतवंशी परिवार हिंदुजा परिवार एक बार फिर से विवादों में है. परिवार के चार सदस्यों को घर के नौकरों के साथ अत्याचार करने, उनके साथ क्रूरता करने के आरोप में चार साल जेल की सजा सुनाई गई है. स्विस कोर्ट ने प्रकाश हिंदुजा, उनकी पत्नी, बेटे और बहू को य सजा सुनाई है
Hinduja Family: हिंदुजा समूह के मालिक और ब्रिटेन के सबसे अमीर भारतवंशी परिवार हिंदुजा परिवार एक बार फिर से विवादों में है. परिवार के चार सदस्यों को घर के नौकरों के साथ अत्याचार करने, उनके साथ क्रूरता करने के आरोप में चार साल जेल की सजा सुनाई गई है. स्विस कोर्ट ने प्रकाश हिंदुजा, उनकी पत्नी, बेटे और बहू को य सजा सुनाई है. हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है, जब हिंदुजा परिवार विवादों में आया हो. इससे पहले संपत्ति विवाद को लेकर हिंदुजा ब्रदर्स खूब चर्चा में रहे थे.
ब्रिटेन से अपने कारोबार का संचालन करने वाले हिंदुजा परिवार पहले भी कानूनी विवादों में फंस चुके है. संपत्ति को लेकर चारों भाईयों में इतना विवाद बढ़ा कि मामला ब्रिटेन की अदालत तक पहुंच गया. 1914 में हिंदुजा ग्रुप की शुरुआत करने वाले हिंदुजा परिवार में प्रॉपर्टी का विवाद दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया था. जिसकी शुरुआत एक चिट्ठी से हुई. साल 2014 की इस चिट्ठी को चारों भाईयों ने ही तैयार किया था, लेकिन वहीं चिट्ठी चारों भाईयों के बीच जंग की वजह बन गई थी.
साल 2014 में हिंदुजा ब्रदर्स ने एक समझौता किया. समझौते के मुताबिक 'हिंदुजा ग्रुप की प्रॉपर्टी पर सबका हक है और कुछ भी किसी का नहीं है.' चारों भाईयों श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश और अशोक ने इस पर सहमति जताई और साइन कर दिया. इस समझौते के मुताबिक हिंदुजा परिवार के एक भाई के पास जो दौलत है उस पर बाकी भाईयों का भी अधिकार होगा. हर भाई दूसरों को अपने एग्जीक्यूटर के तौर पर नियुक्त करेगा. कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, लेकिन बाद में इसी चिट्ठी को लेकर विवाद शुरू हो गया.
इस समझौते के करीब एक साल बाद हिंदुजा भाइयों में सबसे बड़े श्रीचंद हिंदुजा ने हिंदुजा बैंक ऑफ स्विटजरलैंड पर अकेले स्वामित्व का दावा किया. श्रीचंद हिंदुजा और उनकी बेटी वीनू ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने आरोप लगाया कि बाकी तीनों भाई उस संपत्ति में दखल के लिए इस समझौते का इस्तेमाल करना चाहते हैं,जो श्रीचंद हिंदुजा के नाम पर है. इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट में अपने तीनों अन्य भाइयों पर केस कर दिया. याचिका में कहा गया 2014 में हुआ समझौता कानूनी तौर पर वैध नहीं था.
हिंदुजा फैमिली के सबसे बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा और उनकी बेटी वीनू ने इस समझौते से बाहर निकलने के लिए कोर्ट में अर्जी दी. श्रीचंद हिंदुजा की बेटियों ने आरोप लगाया था उनके चाचाओं ने उन्हें परिवार से अलग-थलग कर दिया है. जबकि बाकी भाईयों ने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा और उनकी बेटियों पर आरोप लगाया कि वो संपत्ति हथियाना चाहते हैं. जहां एक ओर श्रीचंद हिंदुजा और उनकी बेटी वीनू उस चिट्ठी को बेकार घोषित करना चाहते थे तो वहीं बाकी भाईयों ने आरोप लगाया कि श्रीचंद हिंदुजा की बेटियां पर संपत्ति हथियाने का आरोप लगा रहे थे. साल 2020 में श्रीचंद के भाई गोपीचंद ने वीनू को पावर ऑफ अर्टनी मिलने को भी चुनौती दी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई श्रीचंद हिंदुजा को भूलने की बीमारी थी, ऐसे में उनकी बेटी को दिया गया पावर ऑफ अर्टनी वैध नहीं माना जा सकता.
संपत्ति का विवाद लंदन की कोर्ट में पहुंचा, जहां जज ने कहा कि श्रीचंद अहूजा के तीन अन्य भाइयों गोपीचंद, प्रकाश और अशोक ने हिंदुजा बैंक का नियंत्रण लेने के लिए पत्र का इस्तेमाल करने की कोशिश की. विवाद 8 सालों तक चलता रहा. कोर्ट में लंबे वक्त तक चले विवाद के बाद आखिरकार हिंदुजा भाईयों ने परिवार के बीच ही सुलझाने का फैसला किया.
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