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Photos: इस्लाम के उदय से पहले ऐसा क्या था, जिसे दुनिया से छिपाता है सऊदी अरब

Saudi Arabia History Photos: दुनिया में हर देश के पास अपना एक अतीत, विरासत और प्राचीन संस्कृति होती है, जिस पर उस मुल्क में रहने सभी लोग गर्व करते हैं. वे दुनिया में कहीं भी शिफ्ट हो जाएं, लेकिन अपने मूल देश की उन सांस्कृतिक जड़ों से कभी नहीं टूटते. लेकिन सऊदी अरब के साथ ऐसा नहीं है.

 

सऊदी अरब से दुनिया में फैला इस्लाम

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सऊदी अरब से दुनिया में फैला इस्लाम

सऊदी अरब दुनिया का अहम मुस्लिम मुल्क है, जहां पर मक्का और मदीना जैसे दो पाक इस्लामिक शहर स्थित हैं. दूसरे शब्दों में समझाएं तो सऊदी अरब इस्लाम का उद्दम स्थल है, जहां से यह विभिन्न तरीकों से दूसरे देशों में फैला. 

 

दुनिया में 57 देश मुस्लिम बहुल

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दुनिया में 57 देश मुस्लिम बहुल

सऊदी अरब में छठी शताब्दी में कुरैश कबीले से आने वाले पैगंबर मोहम्मद ने यह इस्लाम मजहब शुरू किया था. 1400 सालों के अंदर यह दुनिया के तमाम देशों में फैल गया. वर्तमान में 57 देश तो पूरी तरह मुस्लिम बहुल हो चुके हैं.

 

इस्लाम से पहले किस धर्म को मानते थे

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इस्लाम से पहले किस धर्म को मानते थे

सऊदी अरब में जब इस्लाम शुरू नहीं हुआ था तो वहां का जनजीवन कैसा था और वे किस धर्म को मानते थे. यह ऐसा सवाल है, जिसे सऊदी अरब हमेशा दुनिया से छिपाने की कोशिश करता है. वह अपने लोगों को भी छठी सदी से पहले का इतिहास पढ़ाना पसंद नहीं करता.

 

तीन देवियों की होती थी पूजा

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तीन देवियों की होती थी पूजा

इतिहासविदों के मुताबिक इस्लाम से पहले अरब में 3 देवियों की पूजा होती थी. इन देवियों के नाम अल-लात, मनात और अल-उज्ज़ा थे. इन तीनों देवियों के मंदिर मक्का के आस-पास ही बने थे. उस वक्त सऊदी अरब के लोग भी सनातन धर्मियों की तरह प्रकृति पूजक थे. वे मूर्ति बनाकर अपने इष्टदेवताओं की पूजा करते थे. 

काबा की करते थे परिक्रमा

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काबा की करते थे परिक्रमा

सऊदी अरब मक्का शहर की मुख्य मस्जिद में एक चबूतरा बना है, जिसे लोग काबा कहते हैं. वहां पर इन तीनों देवियों की भी मूर्तियां होती थी. इनके अलावा लोग चंद्रमा को नियंत्रित करने वाले देवता हुबल की भी पूजा करते थे. जबकि अल्लाह मुख्य देवता होते थे. पूजा के बाद वे काबा की परिक्रमा करते थे.

 

कुरैश कबीले की प्रमुख देवी अल-लात

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कुरैश कबीले की प्रमुख देवी अल-लात

इन तीनों देवियों में से अल-लात को प्रमुख देवी माना जाता था. उनका मंदिर मक्का से करीब 100 किमी दूर तायफ़ में था. काबा की तरह उनका मंदिर भी पवित्र माना जाता था और वहां पर लोग उनकी पूजा करने जाते. वह कुरैश कबीले की प्रमुख देवी थीं. पैगंबर मोहम्मद भी इसी कबीले से संबंध रखते थे. 

 

तोड़ दी गईं सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां

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तोड़ दी गईं सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां

जब मोहम्मद ने खुद को अल्लाह का पैगंबर (संदेशवाहक) घोषित कर अनुयायियों के साथ मक्का की ओर कूच किया तो वहां से सभी देवी- देवताओं की मूर्तियां तोड़ दी गई. साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में बने मंदिरों को भी ढहा दिया गया. साथ ही सभी मुस्लिमों को केवल अल्लाह की इबादत का संदेश दिया गया.

प्राचीन स्थलों पर जाने की नहीं है प्रमीशन

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प्राचीन स्थलों पर जाने की नहीं है प्रमीशन

सऊदी अरब के पुराने अतीत को संजोए उन देवी- देवताओं की अधिकतर मूर्तियां अब नष्ट हो चुकी हैं. जो एकाध बची हैं, वे कहीं संग्रहालयों में भूली- बिसरी पड़ी हैं. उन देवी- देवताओं के मंदिरों से जुड़े अवशेष आज भी वहां पर दिखते हैं लेकिन सऊदी सरकार आमतौर पर वहां लोगों को जाने नहीं देती और न ही उस विरासत के बारे में बताती.

 

क्या है सऊदी सरकार की डर की वजह?

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क्या है सऊदी सरकार की डर की वजह?

सऊदी सरकार को डर है कि अगर आम लोगों और दुनिया को देश की प्राचीन विरासत से अवगत कराया गया तो इससे इस्लाम की नींव कमजोर हो सकती है. साथ ही इस्लाम के रक्षक के नाम पर दुनियाभर में बना उसका दबदबा भी हमेशा के लिए खत्म हो सकता है. इसलिए वह इस सच्चाई को खूबसूरती से दबाए हुए है. 

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