Monsoon 2024 Update: दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, कानपुर, लखनऊ, पटना... हर जगह जून में गर्मी ने कहर बरपा रखा है. अधिकतम तापमान 45 डिग्री के पार दर्ज हो रहा हैं. दिन में तो सुकून पहले भी नहीं मिलता था, लेकिन इस बार तो रातें भी तप रही हैं. Reuters की रिपोर्ट है कि अभी तक देशभर में लू से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. हीट स्ट्रोक के 40 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. इस भयावह स्थिति में सबको बस बारिश का इंतजार है, लेकिन निगोड़ा मॉनसून आखिर इस बार कहां फंस गया? मॉनसून 2024 ने केरल में समय से पहले दस्तक थी. फिर दो भागों में बंटे मॉनसून की रफ्तार जैसे थम सी गई है. एक हिस्सा महाराष्ट्र में फंसा है, दूसरा बंगाल की खाड़ी पर अटका है. गर्मी, मॉनसून और बारिश पर अभी तक के 5 बड़े अपडेट आगे जानिए.
उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में रहने वाले 60 करोड़ से ज्यादा लोगों को इस साल प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. कहीं-कहीं तो पारा 50 डिग्री सेल्सियस के आंकड़े को भी पार कर गया. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा कई दिनों से भीषण लू की चपेट में हैं.
बुधवार रात को दिल्ली-एनसीआर के मौसम में थोड़ा बदलाव दिखा. तापमान में कमी आई और रात तक तेज हवाएं चलने लगीं. कुछ जगहों पर बूंदाबांदी की भी खबरें हैं लेकिन व्यापक बारिश का इंतजार है.
मौसम विभाग के मुताबिक, मॉनसून ने 19 मई को अंडमान सागर और निकोबार द्वीप पर दस्तक दी थी. 30 मई को मॉनसून केरल पहुंच गया, सामान्य से दो दिन पहले. नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों तक भी मॉनसून छह दिन पहले ही पहुंच गया. ऐसा कभी-कभार ही होता है जब मॉनसून केरल और पूर्वी भारत में एकसाथ एंट्री करे.
30 मई के बाद, मॉनसून रोज आगे बढ़ा और 10 जून तक यह अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, केरल, लक्षद्वीप, माहे, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के बड़े हिस्से तक पहुंच गया था. इन सभी राज्यों में मॉनसून तीन से पांच दिन पहले पहुंचा था.
11 जून के बाद से, मॉनसून को सुस्ती आने लगी. दक्षिणी प्रायद्वीप में सूखा और गर्मी की स्थितियां लौट आई हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान, पूरे भारत में बारिश का आंकड़ा औसत से नीचे रहा. द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने कहा, 'शुरुआत में मॉनसून एक बड़ी धारा के रूप में आया, लेकिन बहुत ज्यादा बारिश नहीं हुई. यह मॉनसून का सामान्य फ्लो नहीं है, जिसकी अपेक्षा थी.'
मंगलवार को, मॉनसून की उत्तरी सीमा - मॉनसून के आगे बढ़ने का संकेत देने वाली काल्पनिक रेखा - नवसारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मलकानगिरी, विजयनगरम और इस्लामपुर से होकर गुजरी. मॉनसून की दूसरी शाखा - यानी बंगाल की खाड़ी वाली धारा भी पूर्वी हवाओं की गैरमौजूदगी में अटकी हुई है.
आईएमडी के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डी शिवानंद पई ने इंडियन एक्सप्रेस कहा, 'तेज पूर्वी हवाओं की अनुपस्थिति में, मॉनसून की बंगाल की खाड़ी शाखा भी आगे नहीं बढ़ सकी. हमें एक नई लहर और मॉनसून की कम दबाव वाली रेखा के स्थापित होने का इंतजार करना होगा, ताकि मॉनसून सिस्टम फिर से मजबूत हो सके.'
जून-सितंबर के बीच मॉनसून में सालभर की 70% बारिश हो जाती है. आम तौर पर, मध्य भारत तक मॉनसून बड़ी तेजी से बढ़ता है, जिसके बाद यह धीमा हो जाता है. सामान्य स्थिति में , मॉनसून जून के अंत तक उत्तरी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और आस-पास के इलाकों में पहुंच जाता है. 15 जुलाई तक मॉनसून पूरे देश को कवर कर लेता है.
मॉनसून अभी अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में सक्रिय है. इस सप्ताह के आखिर तक, कोंकण और उत्तरी कर्नाटक में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी लेकिन देश के अन्य सभी क्षेत्र शुष्क रहेंगे.
वीकेंड तक, मॉनसून महाराष्ट्र के बाकी इलाकों, पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार के कुछ हिस्सों तथा तटीय आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकता है. IMD वैज्ञानिक ने उम्मीद जताई कि जून के अंत तक मॉनसून में नई जान आएगी. लेकिन यह उत्तरी भारत तक कब पहुंचेगा, इस पर कुछ साफ नहीं बोले.
ट्रेन्डिंग फोटोज़