Kisan Mahapanchayat Delhi Photos: किसानों ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर दिल्ली में अपनी ताकत दिखाई. हजारों किसान सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए. ऐसे में सवाल है कि क्या मोदी सरकार 2 साल पहले की तरह एक बार फिर झुक जाएगी.
रद्द हो चुके केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर चुके संयुक्त किसान मोर्चा ने इस महापंचायत का आयोजन किया था. हालांकि वर्ष 2020-21 में दिल्ली की सीमाओं पर हुए उग्र आंदोलन के उलट इस बार उसके तेवर अपेक्षाकृत शांत नजर आए.
इस महापंचायत को दिल्ली पुलिस ने कई शर्तों के साथ मंजूरी दी थी. जिसमें रैली का सुबह 10 से शाम 4 बजे तक तय किया गया था. साथ ही भाग लेने वाले किसानों की संख्या 5 हजार और बिना ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के तय की गई थी. हथियार लाने पर बैन लगाया गया था.
इस किसान महापंचायत में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों की तादाद ज्यादा नजर आई. बिहार, एमपी, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी कई किसान रैली में पहुंचे थे. वे बसों, ट्रेनों और अपने निजी वाहनों के जरिए रामलीला मैदान तक गए थे.
किसानों के उपद्रव को रोकने के लिए इस बार सुरक्षाबलों ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी. यूपी, हरियाणा से सटे दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर दिल्ली पुलिस के साथ ही अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी संख्या भी बढ़ा दी गई है. कई किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ पहुंचे, जिन्हें प्रवेश करने से रोक दिया गया.
महापंचायत का आयोजन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने रैली में आए किसानों के लिए बैठने, पानी और भोजन का इंतजाम कर रखा था. मंच पर किसान आंदोलन से जुड़े कई लोगों को बिठाया गया था. उन्होंने सरकार की नीतियों के खिलाफ ‘लड़ाई तेज करने’ का आह्वान किया.
पंजाब से आए किसानों ने सरकार से मांग की कि वह किसानों के फेवर वाली नीतियां बनाने के साथ ही सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की उनकी मांग भी पूरी की जाए. इसके साथ ही अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग भी की.
किसान जब रामलीला मैदान में रैली कर रहे थे तो उनके आगमन की वजह से गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू मार्ग, बाराखंभा रोड, बहादुरशाह जफर मार्ग, टॉल्स्टॉय मार्ग, आसफ अली रोड, जय सिंह रोड, स्वामी विवेकानंद मार्ग, संसद मार्ग, नेताजी सुभाष मार्ग और बाबा खड़ग सिंह मार्ग के आसपास ट्रैफिक डिस्टर्ब रहा.
पिछले किसान आंदोलन की तरह इस बार किसान प्रदर्शनकारियों को पहले की तरह जनता का सपोर्ट नहीं मिल रहा है. वे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ एक बार फिर दिल्ली में डेरा डालने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि सरकार की सख्ती की वजह से उनकी दाल नहीं गल पा रही है.
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