Iranian President Helicopter: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन और ईरान के पूर्वी अज़रबैजान प्रांत के गवर्नर मलिक रहमती अब इस दुनिया में नहीं हैं. पूर्वी अज़रबैजान प्रांत में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में उनकी मौत हो गई. वे जिस 'बाबा आदम' के जमाने के हेलीकॉप्टर में सवार थे, उसे अमेरिकी प्रतिबंधनों ने उड़ता-फिरता ताबूत बना दिया था.
इब्राहिम रईसी दुर्घटना के वक्त जिस हेलीकॉप्टर पर सवार थे, उसका नाम बेल 212 हेलिकॉप्टर था. उसे अमेरिका ने 1960 के दशक के मध्य में कनाडाई सेना के लिए कनाडाई सरकार के सहयोग से विकसित किया था. यह एक ट्विन सीटर इंजन है.
बेल 212 हेलिकॉप्टर्स को यूटिलिटी हेलिकॉप्टर्स भी कहा जाता है. यह आग बुझाने, माल ढुलाई करने, हथियारों की सप्लाई और यात्रियों को लाने-ले जाने समेत कई तरह के कामों में इस्तेमाल हो सकता है. ईरान ने इन हेलीकॉप्टर्स को मॉडिफाई करके शीर्ष नेताओं के ट्रैवल के लिए तैयार किया था.
यूरोपियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बेल 212 हेलिकॉप्टर की ऊंचाई करीब 4 मीटर और लंबाई 17 मीटर होती है. इस हेलीकॉप्टर में क्रू समेत 15 लोग बैठ सकते हैं. यह हेलिकॉप्टर 230 से 260 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ता है.
ईरान के इन हेलीकॉप्टर्स की तकनीक को बाबा आदम के जमाने की माना जाता है. ईरान को छोड़कर दुनिया में किसी अन्य देश में शीर्ष स्तर के नेता या अधिकारी इस हेलीकॉप्टर को यूज नहीं करते हैं. इसके बावजूद ईरान इन्हें यूज करता है. वहां की वायु सेना और नेवी के पास इस तरह के 10 हेलिकॉप्टर्स हैं.
एविएशन सेफ्टी से जुड़ी एक वेबसाइट के मुताबिक वर्ष 1972 से 2024 तक दुनियाभर में बेल 212 हेलीकॉप्टर्स से जुड़ी 432 घटनाएं हुई हैं. इन दुर्घटनाओं में क़रीब 630 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. ईरान में ही इसी तरह का एक हेलीकॉप्टर वर्ष 2018 में भी क्रैश हुआ था. उस वक्त भी 4 लोग घटना में मारे गए थे.
तमाम खामियों के बावजूद ईरान करीब 64 साल पुरानी तकनीक वाले हेलीकॉप्टर्स क्यों इस्तेमाल कर रहा है, इसकी वजह कोई नहीं बल्कि अमेरिका है. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से दुनिया का कोई भी देश ईरान के साथ बिजनेस नहीं कर सकता, जिसके उसके एविएसन सेक्टर की कमर टूट चुकी है.
ईरान ने अपने देश के खस्ताहाल एविएशन सेक्टर को उबारने के लिए पश्चिमी देशों से समझौते और अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील की कोशिश भी की. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने डील से हाथ पीछे खींचकर ईरान पर फिर से बैन लगा दिया. इसके चलते ईरान फिर वहीं पहुंच गया, जहां से वह चला था.
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान को दुनिया के देशों से न तो नई तकनीक मिल पा रही है और न ही वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे पा रहा है. ऐसे में उसके पास 60 के दशक में बने पुराने हेलीकॉप्टरों को राष्ट्रपति, विदेश मंत्री समेत की सेवा में लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है. जिसका खामियाजा उसे क्रैश के रूप में भुगतना पड़ रहा है.
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