India Tallest Hindu Temple: ये मंदिर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर होगा. इस मंदिर की ऊंचाई इतनी होगी कि यहां से ताजमहल को स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा, जो लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है. मंदिर के शीर्ष पर लगाए गए टेलीस्कोप की मदद से भक्त ताजमहल के खूबसूरत नज़ारों का आनंद ले सकेंगे.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद अब मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर एक विशाल मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इस मंदिर को दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर बनने का लक्ष्य रखा गया है. यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र होगा. खास बात यह है कि इस मंदिर के शीर्ष से एक दूरबीन की मदद से विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को देखा जा सकेगा.
यह मंदिर वृंदावन के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा है. मंदिर का नाम चंद्रोदय मंदिर रखा गया है और इसकी नींव की गहराई दुबई के बुर्ज खलीफा से भी अधिक है. मथुरा के पवित्र नगर वृंदावन में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर विश्व का सबसे ऊंचा और भव्य मंदिर बन रहा है. यह मंदिर न केवल अपनी ऊंचाई बल्कि अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए भी जाना जाएगा.
यह मंदिर कुतुब मीनार से तीन गुना अधिक ऊंचा होगा और इसकी नींव की गहराई दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से भी तीन गुना अधिक होगी. इस विशाल परियोजना का शिलान्यास वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया था और इसे अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ द्वारा बनाया जा रहा है. मंदिर के अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है.
यह भव्य मंदिर 166 मंजिलों वाला होगा और इसका आकार पिरामिड जैसा होगा. मंदिर के चारों ओर श्रीमद्भागवत और अन्य शास्त्रों में वर्णित 12 वन बनाए जाएंगे. इन कृत्रिम वनों को प्राकृतिक रूप से विकसित किया जाएगा. इस विशाल परियोजना पर 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आ रही है. मंदिर का निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा है और आधा से अधिक काम पूरा हो चुका है.
चंद्रोदय मंदिर 210 मीटर ऊंचा होगा और इसकी नींव की गहराई 55 मीटर होगी, जो दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से भी 5 मीटर अधिक है. यह मंदिर 8 रिक्टर स्केल के भूकंप और 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले तूफान को भी झेलने में सक्षम होगा. यह मंदिर 70 एकड़ में फैला होगा जिसमें कार पार्किंग और एक हेलीपैड भी शामिल होगा. मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागरा शैली और आधुनिक वास्तुकला के अनूठे सम्मिश्रण से किया जा रहा है.
मंदिर परिसर को एक हरे-भरे स्वर्ग में बदलने के लिए, इसके चारों ओर 12 कृत्रिम वन बनाए जाएंगे. इन वनों को श्रीमद्भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णित 12 वनों के अनुरूप बनाया जाएगा. इन वनों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फूल और झाड़ियाँ लगाई जाएंगी, जो न केवल मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाएंगे बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाएंगे.
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