Top 10 Weakest Currencies: दुनिया के तमाम ऐसे देश हैं जहां की करेंसी भारतीय रुपये के सामने बौनी है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो दुनिया की सबसे मजबूत और कमजोर करेंसी के बारे जानना चाहते हैं. यूएस डॉलर सबसे लोकप्रिय करेंसी है जो सबसे पहले लोगों के दिमा दिमाग में आती है. लेकिन यूएस डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी नहीं है.. सबसे मजबूत करेंसी कुवैती दीनार (KWD) है. आइये आपको बताते हैं दुनिया की सबसे कमजोर करेंसी के बारे में.
ईरानी रियाल दुनिया की सबसे सस्ती करेंसी है. इसके मूल्य में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं. सबसे पहले, 1979 में इस्लामी क्रांति की समाप्ति के बाद विदेशी निवेशकों ने देश से अपना पैसा वापस ले लिया. परमाणु कार्यक्रम और ईरान-इराक युद्ध ने भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई, जिससे ईरान में वित्तीय संकट और अन्य राजनीतिक अशांति पैदा हुई.
देश ने लंबे समय से एक केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था का पालन किया है. हालांकि सरकार ने एक बाजार अर्थव्यवस्था बनाने की शुरुआत की, लेकिन अभी भी इसे एक लंबा रास्ता तय करना है. अर्थव्यवस्था में सुधार को देखते हुए करेंसी में सुधार की संभावना अधिक है.
सिएरा लियोनियन लियोन एक अफ्रीकी करेंसी है जो गरीबी से अत्यधिक प्रभावित है. अफ्रीका में घोटालों और भ्रष्टाचार का इतिहास रहा है. देश ने पश्चिमी अफ्रीकी देशों में संघर्ष और गृहयुद्ध देखा. इन सभी ने देश की अर्थव्यवस्था और मूल्य में गिरावट ला दी.
लाओ या लाओटियन किप भी एक कमजोर करेंसी है. 1952 में इसकी शुरूआत के बाद से इसकी दर कम रही है. पिछले कुछ सालों में करेंसी के मूल्य में सुधार हुआ है.
पिछले 7 सालों में करेंसी में सुधार नहीं हुआ है. इसके कमजोर होने वाले कारकों में इसका घटता विदेशी मुद्रा भंडार शामिल है. इंडोनेशिया निर्यात बाजार पर बहुत अधिक निर्भर है, और वस्तुओं की लागत में गिरावट के साथ, मुद्रा मूल्य में और भी अधिक घटोतरी हुई है.
उज़्बेकिस्तान की सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं. लेकिन उनमें से कोई भी सफल साबित नहीं हुआ है. कोविड-19 महामारी ने भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया.
गिनी भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रही है, जिसके कारण करेंसी कमजोर होती जा रही है. देश की करेंसी का मूल्य पिछले कुछ सालों में कम ही होता गया है.
महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती गरीबी और भ्रष्टाचार के कारण पैराग्वे की अर्थव्यवस्था एक भयानक आर्थिक मंदी का सामना कर रही है. ये कारक मुद्रा के करेंसी को नुकसान पहुंचाते हैं.
पर्यटन और कृषि कंबोडिया की सबसे महत्वपूर्ण आय का जरिया हैं. देश में दोहरी मुद्रा प्रणाली है, जिसमें अमेरिकी डॉलर भी कानूनी निविदा के रूप में मान्य हैं. शहरी क्षेत्रों और पर्यटन स्थलों में डॉलर मानक हैं, इसलिए दूरदराज के क्षेत्रों में अक्सर कंबोडियन रील का इस्तेमाल किया जाता है.
ईदी अमीन के शासन में युगांडा को कई असफलताओं का सामना करना पड़ा. राष्ट्रपति की नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया. जो अभी भी देश के विकास को प्रभावित करता है. (ये आंकड़ा जुलाई 2024 तक है..)
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