Pakistan Economy: कंगाल पाकिस्तान को IMF ने दी नसीहत तो छलक उठा जनता का दर्द, लोग बोले- इन हालातों में कैसे जिंदा रहें?
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Pakistan Economy: कंगाल पाकिस्तान को IMF ने दी नसीहत तो छलक उठा जनता का दर्द, लोग बोले- इन हालातों में कैसे जिंदा रहें?

IMF Advice to Pakistan: पाकिस्तान की जनता महंगाई से त्राहिमाम कर रही है. जबकि अंतरिम सरकार ने देश में बढ़ते वित्तीय संकट पर अपने हाथ खड़े करते हुए कहा है कि वह आईएमएफ के साथ समझौते के तहत बंधी है और आईएमएफ से अप्रूवल के बिन कोई भी वित्तीय राहत वाला फैसला नहीं ले सकती.

Pakistan Economy: कंगाल पाकिस्तान को IMF ने दी नसीहत तो छलक उठा जनता का दर्द, लोग बोले- इन हालातों में कैसे जिंदा रहें?

Pakistan Economy: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan News) किस हद तक गर्त में चली गई है, यह किसी से छिपा नहीं है. पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से बेलआउट पैकेज की गुहार लगा रहा है. अब आईएमएफ ने पाकिस्तान को सलाह दे डाली है.  IMF ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अमीरों पर टैक्स लगाने और गरीबों की रक्षा करने के लिए कहा गया है.

आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) से इतर पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर के साथ बैठक की. उन्होंने काकर से कहा कि वे अमीरों पर टैक्स लगाएं और गरीबों की रक्षा करें.

'अमीरों पर लगाएं ज्यादा टैक्स'

बैठक के बाद क्रिस्टालिना ने कहा, 'मैंने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री से कहा कि अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाएं और गरीबों की रक्षा करें. मुझे यकीन है कि पाकिस्तान के लोग भी यही चाहते हैं.'

यह बैठक पाकिस्तान के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वह अपने नागरिकों को बिजली बिलों पर कुछ राहत देने के लिए आईएमएफ से मंजूरी चाहता है, जिससे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और स्थानीय लोगों में गुस्सा पैदा हो गया है, जो अधिक टैक्स लगाने और बिजली दरों में इजाफे के लिए सरकार से सवाल करते हैं. उनके लिए अपने बिलों का भुगतान करना असंभव है.

छलका आम जनता का दर्द

इस्लामाबाद के एक स्थानीय निवासी मोहम्मद इमरान ने कहा, 'आज, ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गई हैं, बिजली इकाइयों की दरें बढ़ गई हैं, महंगाई बढ़ गई है, करने के लिए कोई नौकरी या कारोबार नहीं है. यह सरकार ज्यादा टैक्स लगाती है और कीमतों में इजाफा करती है. यह सब उन लोगों पर किया जा रहा है, जो अपने बिलों का भुगतान करते हैं.

इमरान ने कहा, 'अमीर और गरीबों के लिए इन टैक्स में कोई अंतर नहीं है. लोग आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि वे अब अपने परिवार का पालन-पोषण नहीं कर सकते. आईएमएफ और इस सरकार को ये अच्छी बातें अपने तक ही सीमित रखने की जरूरत है. क्योंकि पाकिस्तान में गरीब आत्महत्या कर रहे हैं. मिडिल क्लास के परिवार गरीब हो गए हैं और अमीर भ्रष्टाचार से अवैध धन कमाने का मजा लूट रहे हैं. उन्हें कोई चिंता नहीं है.'

'कोई कर्ज नहीं देता, किसी के पास पैसा नहीं'

इस्लामाबाद में एक मजदूर अमानुल्लाह ने कहा, 'मैं कंस्ट्रक्शन फील्ड में काम करता हूं. मेरा पांच लोगों का परिवार है. पिछले नौ महीनों से कोई काम नहीं है. बिजल के बिल इतने ज्यादा आते हैं. पेट्रोल की कीमतें इतनी ज्यादा हैं. काम ढूंढने के लिए कहीं भी अपनी बाइक से भी जाता हूं. अब कोई कर्ज भी नहीं देता, क्योंकि किसी के पास पैसा नहीं है. क्या यह सरकार बता सकती है कि मैंने या मेरे परिवार ने क्या गलत किया है? क्या मैंने पैसे चुराए हैं या भ्रष्टाचार किया है? नहीं. लेकिन फिर भी, यह मैं और मेरे जैसे लोग हैं जो पीड़ित हैं.'

देश में अगस्त में मुद्रास्फीति (साल-दर-साल) बढ़कर 27 फीसदी से अधिक हो गई है. इससे हर घर का बजट सिकुड़ गया है, जबकि ज्यादातर नागरिक कर्ज में डूब गए हैं, जिन्हें वे चुका नहीं सकते. बढ़े हुए बिजली बिल, हाई टैरिफ और ईंधन की कीमतों में लगातार इजाफा पाकिस्तान में हर घर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.

60 दिन बाद मिलती है एक महीने की सैलरी

इस्लामाबाद के एक अन्य निवासी अब्दुल रहमान ने कहा, 'मैं काम कर रहा हूं. मेरी कंपनी ने कहा है कि वे मुझे 60 दिनों के बाद एक महीने की तनख्वाह देंगे. मैंने नौकरी स्वीकार कर ली, क्योंकि कहीं और कोई नौकरी नहीं है. अब, जब सरकार ईंधन, बिजली, गैस और बुनियादी चीजों की कीमतें हर 15 दिन में बढ़ाएगी, तो अपने घर का बजट कैसे मैनेज करूंगा? जब तक मुझे भुगतान मिलता है, मेरे घरेलू खर्च 60 दिनों में कम से कम चार गुना बढ़ चुके होते हैं. यह सोचना पागलपन है कि पाकिस्तान में कोई भी ऐसा कर सकता है. इन परिस्थितियों में कैसे जिंदा रहें.'

दूसरी ओर, अंतरिम सरकार ने देश में बढ़ते वित्तीय संकट पर अपने हाथ खड़े करते हुए कहा है कि वह आईएमएफ के साथ समझौते के तहत बंधी है और आईएमएफ से अप्रूवल के बिन कोई भी वित्तीय राहत वाला फैसला नहीं ले सकती.

अमीर-गरीब सब पर एक जैसा टैक्स

आईएमएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर जॉर्जीवा ने कहा, 'हम स्थिरता सुनिश्चित करने, टिकाऊ और समावेशी विकास को बढ़ावा देने, रेवेन्यू कलेक्शन को तरजीह देने और पाकिस्तान में सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए मजबूत नीतियों की जरूरत पर सहमत हुए हैं.'

जबकि सरकार आईएमएफ के आदेशों का पालन करने के लिए सहमत हुई है. देश में स्थानीय लोगों का तर्क है कि टैक्स को मिडिल और गरीब तबके समेत सभी पर लागू किया जा रहा है.

'IMF-सरकार ने मिडिल क्लास को मार डाला'

इस्लामाबाद में एक कामकाजी महिला नादिया ने कहा, 'आईएमएफ कहता है कि अमीरों पर टैक्स लगाया जाए, लेकिन पाकिस्तान में गरीबों और अमीरों पर एक ही तरह से टैक्स लगाया जा रहा है. अमीर टैक्स चोरी करके बच जाते हैं जबकि गरीबों को बिल भुगतान और वसूली के लिए निशाना बनाया जाता है. वहां केवल दो कैटेगरी बची हैं- अमीर और गरीब. इस सरकार और आईएमएफ ने मिडिल क्लास को मार डाला है.'

नादिया ने आगे कहा, 'आईएमएफ का कहना है कि अमीरों पर पाकिस्तानी सरकार टैक्स लगाएं. मुझे लगता है कि उन्हें पहले एक सर्वे करने की जरूरत है और पता लगाना चाहिए कि देश की कुल आबादी में से कितने लोग अमीर या मिडियम क्लास की श्रेणी में आते हैं. वे यह देखकर चौंक जाएंगे कि देश की ज्यादातर आबादी कमरतोड़ महंगाई के कारण आज गरीबी के स्तर तक गिर गई है.'

(इनपुट- द डॉन/एजेंसियां)

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