China India Military Preparation: खुद को दादा समझ रहा चीन अब एशिया में भारत और अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए बड़ी सैन्य तैयारियों पर काम कर रहा है. भारत भी उसके इरादों से अनजान नहीं है और खामोशी के साथ ईंट का जवाब पत्थर से दे रहा है.
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China India Military Preparation Against Each Other: दुनिया में तेजी से अपना प्रभाव बढ़ा रहा चीन अब विदेशों में सैन्य बढ़ाने के मिशन पर काम कर रहा है. अफ्रीका के उत्तरी छोर पर बसे जिबूती में वह अपना पहला सैन्य अड्डा पहले ही स्थापित कर चुका है. अब उसकी निगाहें पाकिस्तान और श्रीलंका पर लगी हुई हैं. ये दोनों देश उसके कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और ड्रैगन का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसा करने के पीछे चीन का लक्ष्य भारत को चारों ओर से घेरना है लेकिन भारत भी उसके इरादों को लेकर सजग है और ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए जवाबी तैयारियां कर रहा है.
लोन के जाल में फंसाकर हड़प रहा जमीन
रिपोर्ट के मुताबिक चीन (China Military Preparation Against India) ने विकास के नाम पर पूर्वी अफ्रीका के देश जिबूती को मोटा लोन दिया. जब जिबूती वह लोन नहीं लौटा पाया तो चीन ने उससे सैन्य अड्डा बनाने के लिए जमीन ले ली और वर्ष 2016 में पहला सैन्य अड्डा बना लिया. शुरू में चीन ने कहा कि उस अड्डे को हिंद महासागर और अरब सागर में तैनात चीनी नौसेना के रिसप्लाई डिपो के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन कुछ समय बाद ही उसने वहां पर युद्धपोतों की तैनाती शुरू कर दी थी.
जिबूती में बनाया पहला सैन्य अड्डा
चीन (China Military Preparation Against India) ने ऐसा करने के पीछे बहाना बनाया कि युद्धपोतों की तैनाती का मकसद आसपास के जल क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले चीनी मालवाहक जहाजों को समुद्री डाकुओं से बचाना है. लेकिन धीरे-धीरे चीन के असल इरादे सामने आने लगे. पिछले एक वर्ष में वह जिबूती के पहले नौसैनिक अड्डे का काफी विस्तार कर चुका है. अब वहांप र हर वक्त करीब 2 हजार नौसैनिक और कई युद्धपोत जंग के लिए हमेशा तैनात रहते हैं.
ये 78 बंदरगाह हैं निशाने पर
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए चीन (China Military Preparation Against India) एक खास रणनीति पर काम कर रहा है. उसने दुनिया भर में रणनीतिक लिहाज से अहम 100 से ज्यादा बंदरगाहों की पहचान की है. इसके बाद इन देशों की सरकारों से मेलजोल बढ़ाकर वह 2000 से 2021 78 बंदरगाहों का निर्माण किया है. इसके लिए चीन ने 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च किए हैं. अब वह इन प्रोजेक्टों पर हुए खर्च की वसूली के लिए उन देशों पर तकादा कर रहा है और पैसे न देने वाले देशों को उन बंदरगाहों को उसके हवाले करने के लिए दबाव डाल रहा है. ऐसा करके चीन वहां पर अपनी नौसेना के अड्डे बनाना चाहता है.
चीन ने कब्जाया हंबनटोटा बंदरगाह
चीन (China Military Preparation Against India) पर हुई ताजा स्टडी के मुताबिक एशिया में भारत और अमेरिका के दबदबे को कम करने के लिए ड्रैगन 8 देशों के बंदरगाहों पर नजर गड़ाए हुए है. इनमें श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह सबसे ऊपर है. माना जा रहा है कि इस साल के आखिर तक वहां पर चीन अपना सैन्य अड्डा शुरू करने का ऐलान कर सकता है. कर्ज न चुका पाने की वजह से चीन पहले ही श्रीलंका के इस बंदरगाह को 99 साल के लिए पट्टे पर ले चुका है.
ग्वादर में खोल सकता है तीसरा सैन्य अड्डा
उसके निशाने (China Military Preparation Against India) पर दूसरा देश पाकिस्तान है. वह बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अपने सैन्य अड्डे के रूप में विकसित करने के काम में लगा हुआ है. ऐसा करने से उसे सीधे तौर पर 3 लाभ प्राप्त हो जाएंगे. पहला, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को अपनी सुरक्षा दे सकेगा. दूसरा, ओमान की खाड़ी में उसका दबदबा बढ़ेगा और तीसरा, वह इस बंदरगाह के जरिए अरब सागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर निगाह रख सकेगा. माना जा रहा है कि अगले साल के मध्य तक वह ग्वादर में अपना सैन्य बेस शुरू करने की घोषणा कर देगा.
भारत भी खामोशी से दे रहा ड्रैगन को जवाब
बता दें कि चीन के पास इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें करीब 400 के आसपास युद्धपोत शामिल हैं. ड्रैगन भले ही अपनी योजनाओं को लेकर आगे बढ़ रहा है लेकिन भारत (India's military preparation against China) भी इससे अनजान है. वह भी खामोशी के साथ ईंट का जवाब पत्थर से देने पर लगा है. ग्वादर बंदरगाह का मुकाबला करने के लिए उसने थोड़ी दूरी पर ईरान से चाहबहार बंदरगाह ले लिया है. वहीं जिबूती में चीनी नौसेना बेस पर नजर रखने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर जिबूती सरकार से दूसरा बंदरगाह ले लिया है. हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी सैन्य अड्डा बनने की स्थिति से निपटने के लिए भारत अपनी पनडुब्बी और युद्धपोत नाशक मिसाइलों के जखीरे को बढ़ा रहा है.