सिमी को जब भी समय मिलता वह स्लम इलाकों में बच्चों को पढ़ाया करती थी. इस दौरान वह आईआईटी बॉम्बे में बी टेक की छात्रा थी. जब उसने इन बच्चों की हालत देखी तो उसे बहुत बुरा लगा और उसने सोचा कि उसे इन बच्चों की मदद करनी चाहिए. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया.
सिमी करण (Simi Karan) ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा छत्तीसगढ़ के भिलाई (Chattisgarh) में की है. उनके पिता भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे, जबकि उनकी मां एक शिक्षिका थीं.
सिमी बचपन से ही एक अच्छी और नेकदिल छात्रा थी. इसके बाद उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद इंजीनियरिंग में जाने का फैसला किया. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया. लेकिन इंजीनियर बनने का उनका सपना तब बदल गया जब उन्हें वहां झुग्गी बस्तियों में बच्चों से मिलने का मौका मिला. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया.
यूपीएससी की तैयारी के लिए सिमी ने यूपीएससी के टॉपर्स का इंटरव्यू बड़ी एकाग्रता से देखा. फिर उसने इंटरनेट पर यूपीएससी के सिलेबस को अच्छी तरह से पढ़ा और उसी के अनुसार किताबें इकट्ठा करना शुरू किया. सीमित संख्या में किताबों के साथ सिम्मी ने अपनी तैयारी शुरू करने का फैसला किया. साथ ही उसने अपने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया ताकि वह ठीक से पढ़ाई कर सके.
अपना सिलेबस पूरा करने के बाद उसने इसे रिसर्च करना शुरू कर दिया. अंत में, वर्ष 2019 में उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 31 हासिल की और एक आईएएस अधिकारी बन गईं. सिमी के मुताबिक, लक्ष्य तय करना बेहद जरूरी है. लक्ष्य तय करने के बाद चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें. आपको रणनीति पर ध्यान देने और हर विषय को महत्व देने की जरूरत है.
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