ये है कलयुग का कुंभकर्ण! 365 दिन में 300 दिन सोता है ये शख्स, वजह है चौंका देने वाली
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ये है कलयुग का कुंभकर्ण! 365 दिन में 300 दिन सोता है ये शख्स, वजह है चौंका देने वाली

Kumbhkaran of Kalyug: जैसा कि अध्ययनों से पता चलता है कि एक्सिस हाइपरसोमनिया, मस्तिष्क के भीतर टीएनएफ-अल्फा नामक प्रोटीन में उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होता है. पुरखाराम के लिए, प्रारंभिक निदान के बाद से पिछले 23 वर्षों से इस विकार ने उनके डेली लाइफ को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है.

 

ये है कलयुग का कुंभकर्ण! 365 दिन में 300 दिन सोता है ये शख्स, वजह है चौंका देने वाली

Kalyug Kumbhkaran: राजस्थान के नागौर जिले के भादवा गांव के रहने वाले पुरखाराम ने अपनी असाधारण नींद के पैटर्न के कारण स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. एक्सिस हाइपरसोमनिया से पीड़ित (एक दुर्लभ स्लीपिंग डिसऑर्डर) वह प्रति वर्ष आश्चर्यजनक रूप से 300 दिन नींद की स्थिति में बिताता है. इस वजह से उनकी तुलना रामायण के पौराणिक चरित्र कुंभकर्ण से की, जो छह महीने तक बिना किसी बाधा के सोते रहे.

शख्स को है एक्सिस हाइपरसोमनिया की बीमारी

जैसा कि अध्ययनों से पता चलता है कि एक्सिस हाइपरसोमनिया, मस्तिष्क के भीतर टीएनएफ-अल्फा नामक प्रोटीन में उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होता है. पुरखाराम के लिए, प्रारंभिक निदान के बाद से पिछले 23 वर्षों से इस विकार ने उनके डेली लाइफ को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है. एक बार जब वह सो जाता है, तो उसे जगाना एक विकट चुनौती बन जाता है, जिससे उसके परिवार को गहरी नींद की अवस्था में उसे उठाकर खिलाने और नहलाने जैसे आवश्यक कार्यों को करने की जिम्मेदारी मिल जाती है.

गांव में खोल रखी है किराने की दुकान

इस स्थिति ने पुरखाराम की नियमित गतिविधियों में इन्वॉल्व होने की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित कर दिया है. गांव में एक छोटी सी किराने की दुकान संचालित करने के बावजूद, काम करते समय सो जाने के कारण वह इसे हर महीने केवल पांच दिनों के लिए ही खोल पाता है. उनके सोने के पैटर्न की वजह से कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था. उसके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं के दौरान वह नींद में ही रहता.

शुरू में पुरखाराम प्रति दिन 15 घंटे सोते थे, जिससे उनके परिवार के सदस्यों में चिंता पैदा हो जाती थी. इलाज खोजने की उम्मीद में उन्होंने चिकित्सा सहायता मांगी, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी स्थिति लाइलाज साबित हुई. समय के साथ उनकी नींद की अवधि लगातार बढ़ती गई, अंततः कई घंटों तक और बाद में 2015 तक कई दिनों तक सोने की समस्या हो गई.

दवाएं लेने और लंबे समय तक सोने के बावजूद, पुरखाराम लगातार थकान का अनुभव करता है, जिससे वह काफी हद तक अनप्रोडक्टिव हो जाता है. इस थकावट के साथ-साथ वह गंभीर सिरदर्द से भी पीड़ित है. पुरखाराम की पत्नी लिछमी देवी और उसकी मां कंवरी देवी, उसके ठीक होने की आशा रखती हैं और उसके सपने को एक बार फिर से सामान्य जीवन जीने में सक्षम होने का सपना देखती हैं.

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