आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी की याचिका पर पूर्व में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआईटी में चल रहे निजी स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के पालन के लिए स्वामी ने एमएचआरडी में नोटशीट के लिए आरटीआई दाखिल की थी.
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नई दिल्लीः कोरोना संकट के बीच हानि उठा रही शिक्षा व्यवस्था और पढ़ाई के क्षेत्र के लिए एक अच्छी खबर है. अब देश के सभी आईआईटी, एनआईटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी में सरकार की ओर से केंद्रीय विद्यालय चलाए जाएंगे. इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी आईआईटी से इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य बिंदुओं पर प्रस्ताव मांगा है.
इससे पहले कई आईआईटी में निजी स्कूलों चलाए जा रहे थे. नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के बाद कोर्ट ने आईआईटीज में चल रहे निजी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए थे.
23 में से 7 आईआईटी में संचालित हो रहे केंद्रीय विद्यालय
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय स्कूल चलाने के साथ इन स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर संबंधित संस्थान के कर्मचारियों के बच्चों को दाखिला देने के आदेश जारी किए हैं. अभी मौजूदा हाल में 23 आईआईटी हैं, जिनमें से केवल सात में केंद्रीय विद्यालय चल रहे हैं.
इसी तरह 31 एनआईटी में से महज दो व केंद्र व राज्यों को मिलाकर 50 में से मात्र आठ सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ही केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं.
निजी स्कूलों को बंद करने का सुनाया था फैसला
आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी की याचिका पर पूर्व में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआईटी में चल रहे निजी स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के पालन के लिए स्वामी ने एमएचआरडी में नोटशीट के लिए आरटीआई दाखिल की थी इसके बाद यह तथ्य सामने आया. एक्सपर्ट के अनुसार सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह एक बड़ा कदम है.
इन संस्थानों में हैं केंद्रीय स्कूल
देश भर में कई आईआईटी, एनआईटी और विश्वविद्यालयों में ये स्कूल संचालित हो रहे हैं. आईआईटी गुवाहटी, दिल्ली, मुंबई, जोधपुर, मद्रास, कानपुर, खड़गपुर, एनआईटी सिलिचर, अगरतला, सेंट्रल यूनिवर्सिटी तेजपुर, सिलिचर, जम्मू, सागर, वर्धा, शिलांग, मिजोरम और नागालैंड में केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं.
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यह होगा लाभ
आईआईटी और एनआईटी में कर्मचारियों के एक संस्थान छोड़कर दूसरे संस्थान में जाने की स्थिति में छात्र एक केंद्रीय विद्यालय से दूसरे केंद्रीय विद्यालय में दाखिला ले सकेगा. इसके साथ ही सीटें खाली रहने पर अन्य छात्रों को दाखिला दिया जाएगा. इससे पहले कैंपस में संचालित होने वाले निजी स्कूल में सालाना 40 से 50 हजार रुपये बतौर फीस के लिए जा रहे थे. अब इससे कर्मचारियों पर भी भार कम होगा.
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