Cyber Frauds: साइबर ठगों के नए तरीकों ने पुलिस की भी मुश्किलें बढ़ा दी है. पुलिस ने अपने आधिकारिक हैंडल से लोगों से आधार के वेबसाइट पर जाकर अपने बायोमेट्रिक पहचान को लॉक करने की अपील भी की गई है.
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Tricks Of Cyber Thuggee: टेक्नोलॉजी ने जितना इंसान को लाभ पहुंचाया है, उतनी ही उसकी मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं. हमारे देश में अब साइबर फ्रॉड के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. पुलिस जब तक पुलिस इन तक पहुंचकर इनकी धरपकड़ करती हैं, तब तक ये शातिर ठगी के नए तरीके ईजाद कर लेते हैं. पुलिस और बैंक आए दिन लोगों से अलर्ट रहने की अपील करते हैं.
जामताड़ा साइबर ठगी का केंद्र माना जाता है. यहीं से नए-नए तरीके ईजाद होते हैं, फिर अलग-अलग जगहों पर रहकर गिरोह लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. आज यहां जानेंगे कि साइबर ठगों ने लोगों की जेब खाली करने के कौन-कौन से नए पैंतरे अपनाएं हैं...
1. आधार के डेटा को क्लोन कर
इसमें जिन अकाउंट होल्डर्स के आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम एक्टिव होता है, उनकी जानकारी निकाली जाती है. शातिर लोग ये डेटा रजिस्ट्री, पेंशन आदि से जुड़ी ऑफिशियल वेबसाइट से हासिल करता है. इसके बाद खाताधारकों के बायोमेट्रिक पहचान को क्लोन कर लिया जाता है. इसके बाद साइबर अपराधी आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम के जरिए खाते से पैसे उड़ा लेता है.
2. फिशिंग मैसेज
साइबर ठग लोगों को बैंक या किसी सरकारी दफ्तर के हूबहू अकाउंट से मैसेज भेजता है, जिसके साथ एक लिंक इम्बेड रहता है. इस लिंक पर लोगों से क्लिक करने के लिए कहा जाता है. जैसे ही आप इस लिंक पर क्लिक करेंगे, फौरन आपके मोबाइल फोन का डेटा शातिर के पास चला जाएगा, जिसके बाद कुछ सेकंड्स में आपका अकाउंट खाली हो जाता है. बैंक के मुताबिक साइबर ठग बैंक के ग्राहकों के मोबाइल में फिशिंग मैसेज भेजता है और उसकी जेब खाली कर देता है.
3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स
साइबर ठग भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. इसमें ठग को जिस व्यक्ति को शिकार बनाना है, पहले उस व्यक्ति के किसी परिचित की आवाज निकालकर एआई टूल के जरिए वॉयस ओवर तैयार करता है. फिर इसे व्हाट्सऐप के जरिए भेजा जाता है. वहीं, व्यक्ति को वीडियो कॉल किया जाता है. यह कुछ सेकेंड का ही होता है, जिसमें अर्जें पैसे भेजने की बात कही जाती है.
4. स्क्रीन शेयर
इसमें साइबर ठग लोगों से पहले फोन के जरिए संपर्क करता है और उसे एनी डेस्क जैसे ऐप डाउनलोड करने को कहता है. व्यक्ति जैसे ही ऐप डाउनलोड करता है, उसका मोबाइल ठग के कंट्रोल में चला जाता है. इसके बाद ठग व्यक्ति से उसके खाते पर एक रुपये भेजने का कहता है. इस दौरान व्यक्ति का ओटीपी और पासवर्ड रिकॉर्ड कर लेता है. इसके बाद व्यक्ति का अकाउंट खाली हो जाता है. किसी भी सूरत में इसलिए एनी डेस्क ऐप डाउनलोड न करें.
5. डुप्लिकेट वेबसाइट या विज्ञापन के जरिए
साइबर अपराधियों का यह भी नया और लेटेस्ट मॉड्यूल है. इसके जरिए साइबर अपराधी गूगल पर किसी वेबसाइट का हूबहू लिंक बनाकर शेयर कर देता है. लिंक पर जैसे ही लोग क्लिक करते हैं, वैसे ही उनका सारा डिटेल अपराधियों के पास चला जाता है.