विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फोरस के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है, जो हड्डियों और मसल्स की सेहत के लिए जरूरी हैं. इसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस और बच्चों में रिकेट्स जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
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विटामिन डी को 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है, क्योंकि यह मुख्य रूप से सूर्य की रोशनी से हमारे शरीर में बनता है. यह विटामिन हड्डियों, इम्यून सिस्टम और पूरी सेहत के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की रोशनी में भी सही समय होता है, जिससे विटामिन डी का उत्पादन अधिकतम होता है?
विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फोरस के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है, जो हड्डियों और मसल्स की सेहत के लिए जरूरी हैं. इसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस और बच्चों में रिकेट्स जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा, यह कैंसर, दिल की बीमारी और ऑटोइम्यून बीमारियों के खतरे को कम करने में भी मदद करता है.
कब लें सूरज की रोशनी?
विटामिन डी का उत्पादन करने के लिए सूर्य की पराबैंगनी बी (यूवीबी) किरणों की जरूरत होती है. ये किरणें दिन के मध्य भाग में सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं, आमतौर पर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच. इस दौरान सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं और त्वचा में विटामिन डी का उत्पादन अधिक होता है.
इन बातों का ध्यान रखें
सूरज की रोशनी में रहने का समय आपकी त्वचा के प्रकार पर निर्भर करता है. हल्की त्वचा वाले लोगों को कम समय में विटामिन डी मिल जाता है, जबकि गहरी त्वचा वालों को ज्यादा समय तक धूप में रहने की जरूरत हो सकती है. हालांकि, ज्यादा देर तक धूप में रहना त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है. इसलिए, 10 से 30 मिनट के बीच धूप लेने के बाद छाया में चले जाएं. इसके अलावा, सनस्क्रीन लगाने से विटामिन डी का उत्पादन कम हो सकता है, इसलिए धूप लेने के दौरान सनस्क्रीन का इस्तेमाल कम करें.
विटामिन डी बढ़ाने के अन्य तरीके
विटामिन डी रिच डाइट लें जैसे मछली, अंडे, दूध और दही. आप विटामिन डी सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.