आपने अक्सर देखा होगा कि कई बुजुर्गो कीं जिंदगी के आखिरी कुछ साल मुश्किलों में गुजरते हैं क्योंकि उन्हें अलग-अलग कारणों से मेडिकल सपोर्ट नहीं मिल पाता, ऐसे में पैलिएटिव केयर की जरूरत पड़ती है.
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What is Palliative Care: उम्र बढ़ने के साथ-साथ इंसान को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं, जिसकी वजह से उनकी जिंदगी मुश्किलों से भर जाती है. खासकर बुढ़ापे में मेडिकल केयर इतना आसान नहीं रहता, क्योंकि उन्हें हर वक्त देखभाल की जरूरत पड़ सकती है. जब आप सीनियर सीटीजन बन जाते हैं, तो आपके बच्चे नौकरी, करियर और अपने खुद के बेटे-बेटियों के फ्यूचर बनाने में बिजी हो जाते हैं, ऐसे यंग जेनेरेशन के खुदके पास इतना वक्त नहीं रहता कि वो पैरेंट्स की 100 परसेंट देखभाल कर सकें. ऐसे में जरूरत पड़ती है पैलिएटिव केयर की.
क्या है पैलिएटिव केयर?
पैलिएटिव केयर एक स्पेशियलाइज्ड मेडिकल सपोर्ट है जिससे लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों को मदद मिलती है.भारत में ऐसी सेवाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता क्योंकि यहां की आबादी ज्यादा है और डेंसिटी भी कुछ कम नहीं है. इसके अलावा गरीबी और सख्त नीतियां भी इस परेशानी के लिए जिम्मेदार है, नतीजतन हेल्थकेयर सेंटर की काफी कमी है.
मुश्किल हो जाती है बुजुर्गों की जिंदगी
ये परेशानी खास तौर से टर्मिनल इलनेस वाले सीनियर सिटीजन के लिए दुखदायी है, क्योंकि इसके कारण उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर काफी बुरा असर पड़ता है. जहां एक हमारे देश में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों में इजाफा देखा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पैलिएटिव केयर में काफी कमी देखने को मिल रही है.
केरल बन रहा है मिसाल
आयुर्वेदिक रिसर्च कंपनी 'हेम्पस्ट्रीट' के फाउंडर अभिषेक मोहन के मुताबिक केरल राज्य के बाहर जरूरतमंद बुजुर्गों में से महज 1 फीसदी को पैलिएटिव केयर मिल पाता है. लंबी लाइफ एक्पेक्टेंसी के बावजूद केरल के 51 फीसदी सीनियर सिटीजन कम से कम 2 क्रोनिक डिजीज से पीड़ित हैं, जिसमें डायबिटीज, दिल की बीमारी और कैंसर शामिल हैं
भारत में क्यों है जरूरत?
पैलिएटिव केयर प्रैक्टिशनर्स न सिर्फ शारीरिक, बल्कि इमोशनल, फाइनेंशियल और सामाजिक बोझ को भी कम किया जा सकता है. केरल में 'डिगनिटी' जैसे पैलिएटिव केयर प्लेटफॉर्म काम कर रहे हैं जिसमें अलi-अलग तरह की क्रोनिक बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों की देखभाल की जा रही है खासकर कैंसर, ल्यूकीमिया, पार्किंसन डिजीज, मिर्गी के मरीज शामिल हैं. अगर इस मॉडल को फैलाया जाए तो भारत में पैलिएटिव केयर फैसिलिटी में इजाफा हो सकता है, जिससे सीनियर सिटीजन को डिगनिफाइड लाइफ जीने का मौका मिल सके.