China-India Siachen Conflict: चीन को दो टूक जवाब देते हुए भारत ने कहा, हमने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसके जरिए पाकिस्तान ने अवैध रूप से इस क्षेत्र को चीन को सौंपने की कोशिश की थी. हमने लगातार अपना विरोध जताया है.
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MEA Press Conference: भारत ने सियाचिन के पास चीन की हरकतों को लेकर गुरुवार को दो टूक जवाब दिया. भारत ने जमीनी स्तर पर तथ्यों को बदलने की कोशिश को लेकर चीन के सामने विरोध दर्ज कराया है. सियाचिन के पास चीनी गतिविधियों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, 'हम लोग शक्सगाम घाटी को अपना क्षेत्र मानते हैं. हमने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसके जरिए पाकिस्तान ने अवैध रूप से इस क्षेत्र को चीन को सौंपने की कोशिश की थी. हमने लगातार अपना विरोध जताया है.
जयसवाल ने आगे कहा, 'हमने जमीनी स्तर पर फैक्ट्स को बदलने की अवैध कोशिशों के खिलाफ चीनी पक्ष के साथ अपना विरोध दर्ज कराया है. हम अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी उपाय करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं.' शक्सगाम घाटी रणनीतिक रूप से अहम इलाका है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का हिस्सा है.
#WATCH | On Chinese activities near Siachen, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "We consider Shaksgam Valley to be our territory. We have never accepted the so-called China-Pakistan boundary agreement of 1963 through which Pakistan unlawfully attempted to cede the area to… pic.twitter.com/z8atFy5m2T
— ANI (@ANI) May 2, 2024
'उन्होंने राजनीतिक पासपोर्ट पर यात्रा की'
यौन उत्पीड़न के आरोपों से जूझ रहे जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना के विदेश जाने को लेकर रणधीर जयसवाल ने कहा, सांसद रेवन्ना की जर्मनी यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय से न तो कोई राजनीतिक मंजूरी मांगी गई थी और न ही जारी की गई थी. जाहिर है, कोई वीज़ा नोट भी जारी नहीं किया गया था. राजनयिक पासपोर्ट होल्डर्स को जर्मनी की यात्रा के लिए किसी वीज़ा की जरूरत नहीं है. मंत्रालय ने सांसद के लिए किसी अन्य देश के लिए कोई वीज़ा नोट भी जारी नहीं किया है...हां, उन्होंने राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा की थी.
#WATCH | On JD(S) MP Prajwal Revanna, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "No political clearance was either sought from or issued by MEA in respect of the travel of the said MP to Germany. Obviously, no visa note was issued either. No visa is required for diplomatic passport… pic.twitter.com/wltTjWuVgo
— ANI (@ANI) May 2, 2024
अमेरिका को भारत का जवाब
इसके अलावा भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग का वार्षिक रिपोर्ट के नाम पर भारत को लेकर दुष्प्रचार प्रकाशित करना जारी है. अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) को पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है.
भारत ने कहा, "हमें वास्तव में कोई उम्मीद नहीं है कि यूएससीआईआरएफ भारत के विविध, बहुलवादी और लोकतांत्रिक लोकाचार को समझने की कोशिश भी करेगा. दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की उनकी कोशिशें कभी सफल नहीं होंगी.'
जब रणधीर जयसवाल से 2020 में 'रहस्य चुराने' की कोशिश के लिए ऑस्ट्रेलिया से निष्कासित दो भारतीय जासूसों के बारे में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्टों को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हमारे पास वास्तव में उन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं है. हम उन्हें अटकलबाजी रिपोर्ट के रूप में देखते हैं और हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.'
यौन उत्पीड़न के आरोपों से जूझ रहे जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना के विदेश जाने को लेकर रणधीर जयसवाल ने कहा, सांसद रेवन्ना की जर्मनी यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय से न तो कोई राजनीतिक मंजूरी मांगी गई थी और न ही जारी की गई थी. जाहिर है, कोई वीज़ा नोट भी जारी नहीं किया गया था. राजनयिक पासपोर्ट होल्डर्स को जर्मनी की यात्रा के लिए किसी वीज़ा की जरूरत नहीं है. मंत्रालय ने सांसद के लिए किसी अन्य देश के लिए कोई वीज़ा नोट भी जारी नहीं किया है...हां, उन्होंने राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा की थी.
ट्रूडो की टिप्पणी पर बोला MEA
इसके अलावा खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी को लेकर भी विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. रणधीर जयसवाल ने कहा, 'हमने उस कार्यक्रम को लेकर कनाडाई उप उच्चायुक्त को तलब किया था जिसमें पीएम ट्रूडो ने हिस्सा लिया था. खालिस्तान के नारे लगाए गए. आप जिस अन्य मीडिया कार्यक्रम का जिक्र कर रहे हैं, वह इस कार्यक्रम के अलग हुआ था. इसलिए, यह कोई नई बात नहीं है कनाडा में अलगाववाद, उग्रवाद और हिंसा को राजनीतिक स्थान दिया गया है, यह न केवल भारत-कनाडा संबंधों पर असर डालता है बल्कि कनाडा में अपने नागरिकों के लिए हिंसा और आपराधिकता के माहौल को भी बढ़ावा देता है.'