कोरोना महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर भले ही कुछ कम हो रही हो. इसके बावजूद तीसरी लहर की आशंका से लोग और सरकार डरी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों ने फिर से लापरवाही की तो बीमारी का पहले जैसा प्रकोप दिख सकता है.
डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल पहुंचने वाले कोरोना (Coronavirus) मरीजों में करीब 25 प्रतिशत मरीजों को किडनी (Kidney) और मूत्र संबंधी बीमारी भी हुई है. ऐसे मरीजों को ग्लोमेरुलो नेफ्राइटिस की समस्या हो जाती है. इस बीमारी में पेशाब में प्रोटीन और खून का स्त्राव होने लगता है. इससे किडनी की कार्यप्रणाली पर तो असर नहीं पड़ता. फिर मरीजों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है.
डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस (Coronavirus) फेफड़ों के जरिये खून की नलिकाओं में पहुंचकर किडनी (Kidney) और दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. अस्पतालों में भर्ती कई मरीज ‘एक्यूट किडनी फेलियर’ के भी शिकार हुए हैं. ऐसे मामलों में मरीजों को बचाने के लिए उन्हें डायलिसिस पर रखने की जरूरत पड़ती है.
कोरोना (Coronavirus) के इलाज में इन दिनों स्टेरॉयड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. सीमित मात्रा में इन्हें देने पर किडनी को नुकसान नहीं होता. हालांकि इसके अनियंत्रित इस्तेमाल से ब्लड शुगर बेकाबू हो सकता है. जिसका सीधा असर आपकी किडनी (Kidney) पर पड़ता है. ऐसे में घर में रहकर कोरोना का इलाज करा रहे लोगों को स्टेरॉयड के सेवन से पहले डॉक्टरों से कंसल्ट कर लेना जरूरी है.
डॉक्टर कहते हैं कि कोरोना (Coronavirus) की चपेट में किडनी (Kidney) रोगियों को सतर्क रहना ज्यादा जरूरी है. अगर वे इस महामारी की चपेट में आ जाते हैं तो घबराए नहीं. वे अच्छे डॉक्टरों की सलाह लेकर ही इलाज शुरू करवाएं. सबसे बड़ी बात अपना रवैया पॉजिटिव रखना है. अगर पहले ही बीमारी से हार मान लेंगे तो वायरस और ज्यादा तेजी से हमला करता है.
अगर कोई किडनी रोगी (Kidney Patients) कोरोना संक्रमित हो जाए तो किडनी (Kidney) फंक्शन टेस्ट जरूर करवाए. ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें. नमक के सेवन में कमी लाए. दर्द या बुखार होने पर पैरासिटामॉल ले और पेनकिलर के सेवन से बचे. घर से बाहर निकलने से बचें. डायलिसिस कराने वाले मरीज अस्पताल में कुछ भी खाने से बचें, घर लौटकर कपड़े बदलें, साबुन से हाथ-मुंह धोने के बाद ही कुछ खाएं.
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