Halal Certificate: हलाल के नाम पर कैसे चल रहा फर्जी सर्टिफिकेट बांटने का खेल, अरबों रुपये का है कारोबार
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Halal Certificate: हलाल के नाम पर कैसे चल रहा फर्जी सर्टिफिकेट बांटने का खेल, अरबों रुपये का है कारोबार

DNA on Halal Products: देश में बरसों से चल रहा हलाल सर्टिफिकेट बांटने का गोरखधंधा अब कानूनी शिकंजे में आ गया है. यूपी में हलाल उत्पादों पर बैन लगने के बाद अब बाकी जगहों पर भी ऐसी ही मांग उठने लगी है.

Halal Certificate: हलाल के नाम पर कैसे चल रहा फर्जी सर्टिफिकेट बांटने का खेल, अरबों रुपये का है कारोबार

Zee News DNA on Halal Products: कुछ समय पहले टीवी पर एक Adevertisment आता था. जिसमें पूछा जाता था...आपके Toothpaste में नमक है? नमक होने के नाम पर उस product की marketing इस तरह से की गई कि लोगों को ये लगने लगा कि अगर किसी Toothpaste में नमक ना हो तो वो बेकार है. अब कुछ यही हाल 'हलाल सर्टिफिकेट' को लेकर हो गया है. देश में बिकने वाले सामानों की गुणवत्ता की जांच कुछ सरकारी संस्थाएं करती हैं.

जैसे खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता तय करने और उसको लेकर certificate देने का अधिकार FSSAI यानी Food Safety and Standards Authority of India के पास है. Cosmetics और दवाईयों की गुणवत्ता जांचने और certificate देने का अधिकार Central Drugs Standard Control Organisation के पास है.

देश में BIS बांटती है सर्टिफिकेट

औद्योगिक सामानों की गुणवत्ता जांचने और certificate देने का अधिकार Bureau Of Indian Standards के पास है. लेकिन देश में एक अलग तरह का certificate बांटने का खेल चल रहा है, जिसे कहते हैं 'हलाल सर्टिफिकेट'. देश में कई ऐसी private institutions हैं, जो 'हलाल सर्टिफिकेट' बांटने का धंधा चला रहे हैं. अब सवाल ये है कि 'हलाल सर्टिफिकेट' क्या है. 

यहां आपका जानना जरूरी है कि इसका संबंध इस्लामिक दुनिया से है. हलाल और हराम, अरबी भाषा के शब्द हैं. हलाल का अर्थ है वैध और हराम का अर्थ है अवैध. इस्लाम में जिन चीजों को खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने, करने या ना करने के बारे बताया गया है. उनको दो श्रेणियों में बांट दिया जाता है, एक है हलाल और दूसरा है हराम. इस्लाम में हलाल की श्रेणी में बताई गई बातों या चीजों को करना जरूरी बताया गया है. इस्लाम में ही हराम की श्रेणी में बताई गई चीजों को ना करने के लिए कहा गया है. 

हलाल सर्टिफिकेट पर योगी सरकार सख्त

अब इसी बात का लाभ हमारे देश की कुछ प्राइवेट संस्थाएं उठा रही हैं. उत्तर प्रदेश में फर्जी हलाल certificate दिए जाने के मामले में सख्त कार्रवाई की गई है. यूपी सरकार ने प्रदेश में बिकने वाले हर उस सामान को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो 'हलाल सर्टिफाइड' हैं. यानी जिस भी कंपनी ने अपने product को बाजार में उतारने से पहले हलाल certificate लिया और उस पर हलाल सर्टिफाइड का निशान लगवाया है, उसे यूपी में बेचना मना है.

यूपी में हलाल certificate देने वाली संस्थाओं पर एक FIR दर्ज की गई है. इस FIR में आरोप लगाया गया है कि हलाल certificate देने वाले कई Private संस्थान, देश के मुस्लिम वर्ग को मजहब के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं. वो कुछ ऐसे उत्पादों के लिए हलाल certificate जारी कर रहे हैं, जिनको इसकी जरूरत नहीं है.

शाकाहारी चीजों को भी बांटे जा रहे सर्टिफिकेट

आरोप है कि किसी खास प्रोडक्ट की बिक्री बढ़ाने के लिए उन्हें हलाल certificate बांटे गए हैं. आरोप ये भी है कि ये private companies समाज विरोधी आपराधिक षडयंत्र रच रही हैं. आरोप है कि ये कंपनियां खाने-पीने की शाकाहारी चीजों, साबुन, Toothpaste, यहां तक की Cosmatics बनाने वाली companies को भी 'हलाल certificate बांट रही हैं. जबकि देखा जाए तो इन चीजों के लिए हलाल certificate की जरूरत ही नहीं होती. 

इस FIR में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई और जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, मुंबई का नाम शामिल किया गया है.  इन्हीं कंपनियों पर फर्जी हलाल certificate दिए जाने का आरोप लगाया गया.

यूपी में हलाल certificate के खेल की शिकायत मिलते ही कार्रवाई की गई. जिसके तहत पूरे प्रदेश में हलाल सर्टिफाइड सामान को लेकर जगह जगह Raid भी की गई. अब सवाल ये है हलाल certificate बांटने का लाभ इन कंपनियों को कैसे होता है. हलाल और हराम के बारे में हमने आपको पहले ही बताया था.

कैसे चल रहा है ये गोरखधंधा?

अभी तक मांसाहारी खाद्य पदार्थों को लेकर ही हलाल या हराम का विषय उठता आया है. मांसाहारी लोगों को ये मालूम होगा कि 'हलाल और झटका' क्या है. खाने-पीने के मकसद से किसी जानवर को मारने का तरीका या कहें कि 'जिबह' का तरीका ही हलाल और झटका के तौर पर देखा जाता है. इस्लाम में हलाल मीट को ही सही माना गया है. हालांकि अब हलाल का संबंध केवल मांसाहार से नहीं रह गया है.

हलाल इस्लाम से जुड़ा मामला है. इसी का लाभ हलाल certificate बांटने वाले संस्थाएं उठा रही हैं. इस्लामिक देशों में सामान बेचने के लिए हलाल certificate जरूरी है. इसीलिए देश की ज्यादातर कंपनियां, जिन्हें इस्लामिक देशों में सामान बेचना है, वो हलाल certificate लेती हैं. किसी प्रोडक्ट की मुस्लिम वर्ग में बिक्री बढ़ाने के लिए उसको 'हलाल certificate' देने का खेल चल रहा है.

मुस्लिमों की भावनाओं से खेल

हलाल certified mark देखकर, मुस्लिम वर्ग उस सामान को खरीदने के प्रति मजहबी तौर पर मजबूर हो जाता है. इसी का लाभ हलाल certificate देने वाले कर रहे हैं. आप सोचिए कि साबुन, टूथपेस्ट, शाकाहारी चीजों को भी हलाल certificate दिया जा रहा है. 'हलाल certificate' देने वाली संस्थाएं certificate देने के लिए एक बार में करीब 2 लाख रुपये लेती हैं. इसके बाद कंपनियां हर साल करीब 40 हजार रुपये देकर certificate renew कराती हैं.

non-vegetarian product पर हलाल certificate देने की बात कही जाती थी. लेकिन अब लगभग हर तरह के शाकाहारी खाद्य पदार्थों, यहां तक की beauty products को भी Halal certified किया जा रहा है. एक तरह से Halal Certificate बांटने वाली प्राइवेट संस्थाएं देश के लोगों को मजहब के नाम पर गुमराह कर रही हैं. जिन चीजों के लिए हलाल certificate की जरूरत नहीं हैं, उनकी बिक्री, मुसलमानों में बढ़ाने के लिए, पैसे लेकर हलाल certificate बांट रही हैं.

लोगों को किया जा रहा है भ्रमित

Halal Certificate बांटने का खेल इस स्तर पर आ गया है कि ये दूध-दही,चीनी, ब्रेड-मक्खन, नमकीन भुजिया, तेल सबको ही लेने पड़ रहे हैं. हलाल और हराम की लड़ाई अभी तक केवल मांसाहार को लेकर थी. लेकिन अब मामला मजहबी हो गया है. हलाल के नाम पर, लोगों को भ्रमित किया जा रहा है.

इस्लामिक देशों में निर्यात किए जाने वाले खाने-पीने के सामानों पर Halal Certificate होना जरूरी है. विदेशी सामानों पर भी Product से जुड़ी जानकारी होती है. ठीक वैसे ही इस्लामिक देशों में खाने-पीने की चीजों का Halal Certificate होना जरूरी है. लेकिन भारत में अभी तक इसको लेकर गंभीरता कम थी. भारत में भी खाने-पीने की मांसाहारी चीजों को लेकर ही मुस्लिम समुदाय Halal certified mark देखते थे. हालांकि किसी Product का 'Halal certified' होना या ना होना, केवल धार्मिक मामला है. इसका कोई वैज्ञानिक महत्व नहीं है.

धर्म से जुड़ा मामला है हलाल

हाल ही में Italy के रोम शहर में United Nations की संस्था Food & Agriculture Organisation और WHO की एक संयुक्त बैठक हुई. इसमें egypt की ओर से halal food को लेकर कुछ खास बातें बताई गईं- जैसे गुणवत्ता और सुरक्षित होने के मामले में halal food केवल आस्था से जुड़ा मामला है, ये विज्ञान पर आधारित नहीं है. egypt एक इस्लामिक देश है, उनके यहां भी halal food को लेकर नियम बने हुए हैं. उन्होंने United Nations की इस बैठक में halal food को धर्म से जुड़ा मामला बताया है.

यानी अगर कोई सामान Halal certified है, तो इसका मतलब ये नहीं है, वो अन्य सामानों के मुकाबले ज्यादा गुणों से भरपूर है. कोई Company Halal Certified Product को ज्यादा पौष्टिक बताकर नहीं बेच सकती है. Halal Certified Product को ज्यादा बेहतर बताने वाला प्रचार भी भ्रामक ही माना जाएगा. ये अलग बात है कि धार्मिक कारणों से इस्लाम में खाने-पीने की चीजों का Halal Certified होना जरूरी किया गया है. यही वजह है कि Halal Certificate देने वाली companies इस सोच का लाभ उठा रही हैं.

हमारे देश में QUALITY COUNCIL OF INDIA ने कुछ companies या trust को ये अधिकार दिया है कि वो मांसाहारी खाद्य पदार्थों को लेकर कंपनियों को HALAL certificate बांट सकती हैं. इनमें से ही एक ट्रस्ट है 'जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट'. यूपी में जिन Halal Certificate देने वाली 4 private संस्थाओं के खिलाफ FIR दर्ज हुई है, उनमें से एक जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल trust भी है.

जमीयत ने आरोपों पर दिया ये जवाब

जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल trust पर भी शाकाहारी खाद्य पदार्थों और अन्य सामान बनाने वाली companies को पैसे लेकर Halal Certificate बांटने का आरोप है. दिल्ली में जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट के office में ही Halal Certificate दिया जाता है.

Halal Certificate बांटे जाने को लेकर खुद पर लगे आरोपों पर जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल trust ने लिखित जवाब दिया है. संस्था ने ये बताया है कि वो Halal Certificate भारत से निर्यात के लिए और घरेलू बाजार में बेचने के लिए निर्माता companies को दिए गए हैं. Halal certified सामानों की मांग विश्वभर में है, भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा certificate हासिल करना अनिवार्य है. जमीयत का कहना है कि Halal Certificate को लेकर झूठे आरोप लगाए गए हैं.

66 लाख करोड़ रुपये का बाजार

पूरी दुनिया में halal product का करीब 166 लाख करोड़ रुपये का बाजार है. अकेले भारत में ही हलाल अर्थव्यवस्था करीब 8 लाख 20 हजार करोड़ रुपये की है. इससे आप समझ सकते हैं कि Halal Certificate का खेल इतना बड़ा क्यों है? Halal Certificate देने वाली संस्थाएं भी जानती हैं कि इस मुद्दे को लेकर अभी तक सरकारें गंभीर नहीं थी. यही वजह है वो चीनी, चायपत्ती, तेल-नमकीन सबको ही Halal Certificate जारी किए जा रहे हैं. लेकिन यूपी सरकार की ये कार्रवाई, आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकती है. दरअसल Halal Certificate का ये मामला धार्मिक रूप से मुस्लिम समुदाय को भ्रमित करने से भी जुड़ा है और ये marketing का एक नया तरीका भी है.

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